गोनोरिया यौन जनित रोग है जो मुख्य रूप से यौन अंगों को प्रभावित करता है गोनोरिया एक यौन संचारित रोग है जो कि नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु के कारण होता है। यह वयस्कों में सबसे अधिक सामान्य है। गोनोरिया का कारण जीवाणु है। यह जीवाणु जननांग पथ, मुंह या गुदा को संक्रमित कर सकता है। गोनोरिया सामान्यत: संक्रमित साथी के साथ योनि, मुख या गुदा के संपर्क से फैल सकता है। गर्भवती महिला बच्चे के जन्म के दौरान उसमें संक्रमण पारित कर सकती है। पुरुषों में पेशाब करते समय जलन और लिंग निर्वहन (लिंग से सफ़ेद, पीला या हरा स्राव) होता है। आज हम गोनोरिया या सुजाक रोग को जड़ से इलाज की जानकारी देंगे जिनसे इस रोग से छुटकारा पाया जा सके।
गोनोरिया से हैं परेशान ये दवाइयां करेंगी 100 % असर
गोनोरिया या सुजाक रोग क्या है?
सुजाक रोग यौन संचारित रोग है जो कि नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु के कारण होता है। यह वयस्कों में सबसे अधिक सामान्य है। गोनोरिया का कारण जीवाणु है। यह जीवाणु जननांग पथ, मुंह या गुदा को संक्रमित कर सकता है। गोनोरिया के मुख्य लक्षणों में योनि और लिंग से हरे या पीले रंग का गाढ़ा स्खलन, पेशाब करते समय दर्द का होना और महिलाओं में माहवारी के बीच में खून का निकलना है।इसके संक्रमण के पश्चात गुप्तांगों में घाव हो जाते हैं तथा सभी सेक्सुअल में सूजन आ जाती है तथा रिसाव होने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार का दर्द और जलन होने लगती है।
गोनोरिया या सुजाक रोग का संक्रमण
गोनोरिया संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में योनि, मुख या गुदा संपर्क के माध्यम से फैलता है। बैक्टीरिया सामान्यत: संक्रमित पुरुषों व महिलाओं की योनि से निकलने वाले द्रव एवं लिंग निर्वहन में पाया जाता है। गर्भवती महिलाएं जन्म के दौरान गोनोरिया को अपने बच्चे में पारित कर सकती हैं। हालांकि लगभग 10 में से 1 पुरुष और आधी संक्रमित महिलाओं को कोई लक्षण महसूस नहीं होते हैं। सामान्य रूप से वजाइनल, एनल या ओरल सेक्स के दौरान या सेक्स टॉय साझा करने से जब आप संक्रमित घाव के बहुत करीब से सम्पर्क में आते हैं, तो बैक्टीरिया आपके शरीर में पहुँच जाता है। जो महिला तथा पुरुषों में प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं।
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गोनोरिया के लक्षण
सामान्य रूप से गोनोरिया लक्षण 2 से 14 दिन के अंदर दिखाई देते हैं कभी-कभी इसके लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं या कभी-कभी गोनोरिया के लक्षण सामान्य ही रहते हैं। जिन व्यक्तियों में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते या सामान्य लक्षणों के होते हुए गोनोरिया का संक्रमण व्यक्तियों में होता है वही व्यक्ति इसके संचरण के कारण होते हैं क्योंकि जिन व्यक्तियों में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, उनमें गोनोरिया की पहचान करना बड़ा मुश्किल होता है जिसके कारण यह व्यक्ति एक दूसरे के साथ सामान्य रूप से रहते हैं और एक दूसरे को संक्रमित करते रहते हैं। गोनॉरिया के प्राथमिक लक्षण में निम्न लिखित होते हैं
- योनि और लिंग से असामान्य पानी निकलना।
- योनि से लगातार खून निकलना।
- पेशाब करते समय दर्द होना ।
- पेशाब करते समय जलन होना।
- सेक्स करते समय पेल्विस में दर्द होना।
- गुदा से पानी निकलना।
- गुदा में दर्द होना।
- आंखों में संक्रमण होना।
- बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना।
- महिलाओं में लंबे समय तक मासिकधर्म होना।
- लगातार गले में खराश होना।
- पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द।
- बार-बार बुखार का आना।
- पेशाब करते समय चुभन होना।
- अंडकोषों में सूजन होना।
- अंडकोषों में दर्द होना।
- लिंग की नली खुलने की जगह पर लाली और दर्द होना।
- गुदा से पानी निकलना और दर्द होना।
- आंखों में संक्रमण होना।
- लगातार गले में खराश होना।
गोनोरिया के उपचार
गोनोरिया के उपचार के लिए दो तरह का ट्रीटमेंट बनाया जाता है एंटीबायोटिक इंजेक्शन तथा एंटीबायोटिक टैबलेट्स एंटीबायोटिक लेने के पश्चात 95% मरीजों को इन दोनों में से किसी एक तकनीक का प्रयोग करके इलाज किया जा सकता है। जरूरत हो तो दवा तथा इंजेक्शन दोनों का प्रयोग किया जाता है। डॉक्टर संक्रमण के अनुसार किसी एक या दोनों का एक साथ एक ही दिन में प्रयोग करते हैं साथ ही साथ गोनोरिया के मरीज तथा उनके साथ ही पार्टनर का भी उपचार किया जाता है। और संक्रमण से बचने के लिए दोनों लोगों को या दोनों में से किसी एक को शारीरिक संबंध रखने से रोका जाता है। जिससे गोनोरिया का संक्रमण ना हो सके गोनोरिया के उपचार के लिए आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक तथा एलोपैथिक एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। यह दवाइयां निम्नलिखित हैं
- सुजाक का आयुर्वेदिक उपचार
- सुजाक का होम्योपैथिक इलाज
- सुजाक का एलोपैथिक इलाज
पुराने सुजाक रोग की आयुर्वेदिक दवा
भारतीय आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है। यह जड़ी बूटियों प्राकृतिक रूप में पाई जाती हैं, जो पेड़ पौधों तथा विभिन्न प्रकार के पदार्थों से प्राप्त की जाती है। जो शरीर के लिए पूर्णतया सुरक्षित होते हैं। गोनोरिया का इलाज करने के लिए विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक युक्त आयुर्वेदिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। जिनके द्वारा गोनोरिया का इलाज हो सफलतापूर्वक किया जाता है। इन दवाओं के नाम निम्नलिखित हैं
- नागार्जुन शतावरी घृतम
- पतंजलि दिव्य शिलाजीत रसायन वटी
- बैद्यनाथ चंद्रभा वटी
- बैद्यनाथ चंदानादी वटी
- पतंजलि गोक्षुरादि गुग्गुल
- बैद्यनाथ कैशोर गुग्गुल
नागार्जुन शतावरी घृतम
नागार्जुन शतावरी घृतम का प्रयोग गोनॉरिया के मरीजों के लिए किया जाता है। जिन महिला तथा पुरुषों में गोनोरिया के लक्षण दिखाई देते हैं, उनको रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नागार्जुन शतावरी घृतम का प्रयोग करने के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं, क्योंकि नागार्जुन शतावरी घृतम में एंटीबायोटिक गुण होने के साथ-साथ रोगों से लड़ने के रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक मात्रा में होती है। जिन पुरुष तथा महिलाओं में गोनोरिया का संक्रमण होता है, उनको दैनिक रूप से नागार्जुन शतावरी घृतम ए का प्रयोग एंटीबायोटिक के रूप में करना चाहिए। जिससे गोनोरिया के संक्रमण का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने लगता है, और कुछ समय पश्चात रोगी गोनोरिया के संक्रमण से ठीक हो जाता है।
पतंजलि दिव्य शिलाजीत रसायन वटी
पतंजलि शिलाजीत रसायन वटी का प्रयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। क्योंकि इसमें बहुत अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक तथा एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ शारीरिक शक्ति को भी बढ़ाते हैं। यदि हम शिलाजीत का नियमित रूप से सेवन करते है तो हमे बहुत सारी समस्याओं से छुटकारा पा सकते है। हमे शारीरिक कमजोरी, शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द, सास फूलने, थकावट, चिड़चिड़पन,काम में मन लगना जैसी समस्या कभी नही होती है।
इस दवा को रक्त और वीर्य वर्धक दवा मना जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा एंटीबायोटिक गुण होने के कारण पतंजलि शिलाजीत रसायन वटी का प्रयोग गोनोरिया के मरीजों को ठीक करने के लिए किया जाता है। जिन व्यक्तियों में पुरुष या महिलाओं में गोनोरिया का संक्रमण होता है संक्रमण को ठीक करने के लिए दैनिक रूप से शिलाजीत रसायन वटी का प्रयोग करना चाहिए जिससे गोनोरिया के संक्रमण को ठीक किया जा सकता है। पतंजलि दिव्य शिलाजीत रसायन वटी के दैनिक प्रयोग से शारीरिक शक्ति का विकास होता है, जिसके कारण शरीर विभिन्न रोगों से लड़ने के लिए सक्षम हो जाता है।
बैद्यनाथ चन्द्रप्राभा बाटी
बैद्यनाथ चंद्रभा वटी आंवला, चंदन, रुहाहल्दी, देवदार, गूगल, कपूर, दालचीनी, शिलाजीत, त्रिकूट, त्रिफला, चिरायता, लौहभस्म, बासं आदि विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक तत्वों का मिश्रण होता है। जिसका प्रयोग गोनोरिया के रोगियों के लिए किया जाता है। बैद्यनाथ चंद्रभा वटी में विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां होने के कारण इसमें बहुत अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक तथा इम्यूनिटी को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जो गोनोरिया के मरीजों के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं।
जिन महिला तथा पुरुषों में गोनोरिया का संक्रमण होता है, उनको दैनिक रूप से बैद्यनाथ चंद्रभा वटी का प्रयोग करना चाहिए, जिसके प्रयोग से गोनोरिया का संक्रमण धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। बैद्यनाथ चंद्रभा वटी दर्द से राहत दिलाने में भी फायदेमंद है। यूरिक एसिड कम करने के गुण के कारण जोड़ों के दर्द, गठिया वात के दर्द, जोड़ों के सूजन आदि को यह कम और समाप्त करती है। इसके सेवन से स्त्रियों में मासिक धर्म की अनियमितताएं भी ठीक होती हैं और उसके कारण होने वाले पेड़ू के दर्द, कमर दर्द आदि में आराम मिलता है।
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बैद्यनाथ चंदानादी वटी
बैद्यनाथ चंदानादीवटी का प्रयोग एंटीबायोटिक के रूप में किया जाता है। जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है, जिसके कारण शारीर विभिन्न प्रकार के रोगों के साथ-साथ गोनोरिया जैसे संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार होता है। इसका प्रयोग गोनोरिया के मरीजों के लिए किया जाता है।
इस में श्वेत चंदन का बुरादा, छोटी इलायची के बीज, कबाबचीनी, सफ़ेद राल, गंध बिरोजा का सत्व, कत्था, आमला और इस प्रकार के आयुर्वेदिक तत्व होते हैं, जिनमें औषधीय गुणों के साथ-साथ एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। जो शरीर से बैक्टीरिया के इंफेक्शन को खत्म करते हैं। सुजाक रोग नीसेरिया गानोरिआ बैक्टीरिया के प्रभाव के कारण होता है वैद्यनाथ चंदानादि वटी में नीसेरिया गानोरिआ वायरस को खत्म करने की पर्याप्त क्षमता होती है, जिसके द्वारा गोनोरिया रोग को ठीक किया जा सकता है।
वैद्यनाथ चंदानादि वटी में सफ़ेद चंदन, सफ़ेद राल, कबाब चीनी जैसे घटकों से बनी यह औषधि अत्यंत गुणकारी है इसका उपयोग सभी प्रकार के मूत्र विकारों में किया जाता है शरीर में अत्यधिक गर्मी या अन्य कारणों से पेशाब में जलन होना, मूत्र मार्ग में मवाद पड़ जाना, सुजाक जैसे रोगों में इसका उपयोग बहुत फायदेमंद होता है। चन्दनादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका कार्य मुख्य रूप से मूत्र संस्थान के रोगों को दूर करना होता है। इस औषधि का सेवन करने से मूत्र संक्रमण, पेशाब में जलन, पेशाब का बार बार आना, डाईसूरिया, मूत्र कृच्छता, सुजाक एवं मधुमेह (डायबिटीज) जैसे रोगों में फायदा होता है।
पतंजलि गोक्षुरादि गुग्गुल
पतंजलि गोक्षुरादि गुग्गुल का प्रयोग गोनोरिया के मरीजों को ठीक करने के लिए किया जाता है। पतंजलि गोक्षुरादि गुग्गुल का मुख्य कार्य गुर्दे तथा मूत्र संबंधी विकारों को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। जिन व्यक्तियों में सुजाक रोग का संक्रमण होता है उनको एंटीबायोटिक के रूप में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पतंजलि गोक्षुरादि गुग्गुल का प्रयोग करने के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं।
पतंजलि गोक्षुरादि गुग्गुल में गोखरू, हरण, आंवला, बहेड़ा, पिपली आदि आयुर्वेदिक औषधियों के मिश्रण से बना होता है, जिस में पर्याप्त मात्रा में एंटीबायोटिक तथा इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जो गोनोरिया जैसे रोग को ठीक कर सकते हैं। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया का संक्रमण होता है उनको पतंजलि गोक्षुरादि गुग्गुल का प्रयोग प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
बैद्यनाथ किशोर गुग्गुल
बैद्यनाथ किशोर गुग्गुल का प्रयोग गोनोरिया को ठीक करने के लिए किया जाता है। जिन व्यक्तियों में दोनों हरिया का संक्रमण होता है उनको एंटीबायोटिक के रूप में बैद्यनाथ किशोर गुग्गुल के प्रयोग करने की सलाह दी जाती है, जिसमें विभिन्न प्रकार के औषधि गुण के साथ-साथ एंटीबायोटिक तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के गुण होते हैं। कैशोर गुग्गुल एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो कि बहुत सारे गुणों से भरपूर हैं। कैसर गूगल शरीर में रक्त और वात दोष से उत्पन्न सभी समस्याओं को यह ओषधि समाप्त करती हैं।
शरीर में किसी प्रकार के दर्द व सूजन को दूर करता है। प्राकृतिक जीवाणुरोधी है, रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है अपक्व रस का पाचन करता है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तम धातुओं का निर्माण होता है। रसायनगुण होने के कारण शरीर को उर्जावान बनाये रखता है।
बैद्यनाथ किशोर गुग्गुल के एंटीबायोटिक तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण इसका प्रयोग गोनोरिया को ठीक करने के लिए किया जाता है। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया का संक्रमण होता है, उनको दैनिक रूप से बैद्यनाथ किशोर गुग्गुल के प्रयोग की सलाह दी जाती है, जिससे गोनोरिया का संपूर्ण कुछ समय पश्चात समाप्त हो जाता है।
सुजाक रोग की होम्योपैथिक दवा
गोनोरिया के उपचार के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के साथ साथ कुछ एंटीबायोटिक होम्योपैथिक दवाओं का प्रबंधन किया गया है, जिनके प्रयोग से गोनॉरिया की बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है। जिन होम्योपैथिक दवाओं में एंटीबायोटिक तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के गुण पाए जाते हैं ऐसी दवाओं का प्रयोग गोनोरिया के संक्रमण को ठीक करने के लिए किया जा सकता है। कुछ ऐसे होम्योपैथिक औषधियां हैं जिनका प्रयोग गोनोरिया को ठीक करने के लिए किया जाता है। निम्नलिखित हैं
- गोल्डनसील
- सब्लिमेटेड सल्फर
- पल्सेटिला प्रिंटेसिस
- ओफ्फिसिनैलिस
- ओलियम सैंटालीना
गोल्डनसील
गोल्डनसील एक होम्योपैथिक औषधि है, जिसका प्रयोग गोनोरिया के संक्रमण को ठीक करने के लिए किया जाता है। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया वायरस के संक्रमण के कारण सूजाक रोग हो जाता है, उनके जननांग या गले में एक विशेष प्रकार का इंफेक्शन हो जाता है, जिसके कारण गले तथा जननांगों में घाव हो जाते हैं, और उनसे एक विशेष प्रकार का द्रव या रक्त जैसा निकलने लगता है।
जिस में जलन तथा असहनीय पीड़ा होती है। इसको ठीक करने के लिए गोल्डनसील नामक होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग किया जाता है, जो एक एंटीबायोटिक औषधि होती है, जो गोनोरिया के संक्रमण को दूर करती है। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया संक्रमण का खतरा होता है, या गोनोरिया संक्रमण हो चुका होता है, उनको दैनिक रूप से गोल्डनसील नामक होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
सब्लिमेटेड सल्फर
सब्लिमेटेड सल्फर का प्रयोग विभिन्न प्रकार के मूत्र विकार के लिए किया जाता है। जिन पुरुषों के जननांगों में खुजली तथा लिंग से संक्रमण के कारण चुभन जैसी खुजली होती है तथा जिन महिलाओं में योनि से गहरे सफेद या पीले रंग का द्रव निकलता है, जननांगों मैं खुजली होती है या फिर गुदा मार्ग के चारों तरफ घाव जैसे दिखाई देते हैं तथा एक विशेष प्रकार का द्रव निकलता है, उनको गोनोरिया का संक्रमण हुआ होता है। इन सभी विकारों को दूर करने के लिए सब्लिमेटेड सल्फर का प्रयोग किया जाता है। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया के उपर्युक्त लक्षण दिखाइए देते हैं, उनको दैनिक रूप से सब्लिमेटेड सल्फर का प्रयोग करना चाहिए जिससे गोनोरिया रोग को दूर किया जा सकता है, तथा संक्रमित व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है।
पल्सेटिला प्रिंटेसिस
पल्सेटिला प्रिंटेसिस का प्रयोग गोनोरिया रोगियों के लिए किया जाता है जिन व्यक्तियों में गोनोरिया रोग का संक्रमण होता है जिसके कारण उनके जननांगों या गले में संक्रमण के साथ-साथ घाव दिखाई देते हैं, जिससे गाढे सफेद या पीले रंग का डिस्चार्ज निकलता रहता है, जो एक बदबूदार द्रव होता है। गोनोरिया के संक्रमण के कारण संक्रमित व्यक्ति दर्द तथा जलन का आभास होता है। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए पुरुष तथा महिलाओं में एंटीबायोटिक तथा इम्यूनिटी सिस्टम को अपडेट करने वाली दवा का प्रयोग किया जाता है। पल्सेटिला प्रिंटेसिस एंटीबायोटिक का प्रयोग गोनोरिया के संक्रमण को ठीक करने के लिए किया जाता है।
आफ्फिसिनैलिस
आफ्फिसिनैलिस एक प्रकार का पौधा होता है जिसके रस से आफ्फिसिनैलिस नामक औषधि का निर्माण किया जाता है, जो मूत्र रोग विकार के लिए होती है। जिन व्यक्तियों में मूत्र या जननांगों में संक्रमण हो जाता है, संक्रमण को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक के रूप में आफ्फिसिनैलिस का प्रयोग किया जाता है। आफ्फिसिनैलिस एक होम्योपैथिक औषधि है जिसका प्रयोग गोनोरिया रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है।
जिन व्यक्तियों में गोनोरिया रोग का संक्रमण हुआ होता है, जिसके कारण उनके गुप्तांगों से या गले से हल्के पीले या सफेद रंग का द्रव स्रावित होता है। गोनॉरिया के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। आफ्फिसिनैलिस भी एक एंटीबायोटिक दवा है जिसका प्रयोग गोनोरिया जैसे विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जाता है।
ओलियम सैंटालीन
ओलियम सैंटालीना का प्रयोग एंटीबायोटिक के रूप में किया जाता है। गोनोरिया एक संक्रमित रोग है, जिसका संक्रमण यौन जनित होता है, इसके संक्रमण को रोकने के लिए ओलियम सैंटालीना एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। गोनोरिया एक यौन जनित रोग है जिसका संक्रमण विभिन्न प्रकार के ओरल सेक्स या सामान्य सेक्स से फैलता है।
जिसमें संक्रमित व्यक्ति के गुप्तांगों से रक्त के तरह का द्रव श्रावित होता है तथा जननांगों में घाव हो जाते हैं। गोनोरिया रोग को ठीक करने के लिए ओलियम सैंटालीना का प्रयोग किया जाता है। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया रोग का संक्रमण होता है उनको डॉक्टर की सलाह से होम्योपैथिक दवा ओलियम सैंटालीना का प्रयोग करना चाहिए।
सुजाक का एलोपैथिक इलाज
सुजाक रोग एक ऐसा रोग है जिसका संक्रमण असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने के कारण अधिक मात्रा में फैलता है इस रोग में पुरुष तथा महिलाओं के गुप्तांगो, गुदा व गले में संक्रमण हो जाता है। संक्रमण के कारण संक्रमित व्यक्ति में गुप्तांगो में घाव हो जाते हैं तथा उनसे गहरे पीले सफेद रंग का पदार्थ निकलने लगता है, जिसके कारण संक्रमित व्यक्ति को बहुत अधिक पीड़ा होती है, तथा जननांगों में जलन होती है खुजली के साथ-साथ अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं। इन सभी समस्याओं को ठीक करने के लिए सुजाक रोग को जड़ से इलाज के लिए आज हम कुछ एलोपैथिक दवाओं का वर्णन करेंगे जिनके प्रयोग से गोनोरिया जैसे संक्रमित रोग को ठीक किया जा सकता।
- Ceftriaxone
- Azithromycin
- Cefixime
- Doxycycline
- Zifi
- Cefbact injection
- Taxim o injection
- Gramocef Cv
Ceftriaxone
Ceftriaxone का प्रयोग विभिन्न प्रकार के वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है। Ceftriaxone एक विशेष प्रकार की एंटीबायोटिक औषधि है, जिसका प्रयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया का संक्रमण होता है, उनको एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग करने के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं, तथा उनके लिए Ceftriaxone एंटीबायोटिक दवा गोनोरिया रोग के लिए बहुत ही लाभदायक होती है।
गोनोरिया के संक्रमण को ठीक करने के लिए संक्रमित व्यक्ति को Ceftriaxone एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग करना चाहिए। जिससे होने वाला वायरस संक्रमण अति शीघ्र ठीक हो जाता है। Ceftriaxone एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जिससे डॉक्टर आपके शरीर की संरचना के अनुसार मात्रा तथा अवध का निर्धारण कर सकते हैं।
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Azithromycin
Azithromycin एंटीबायोटिक औषधि है जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन को दूर करने के लिए किया जाता है, जैसे त्वचा के इन्फेक्शन व किसी विशेष प्रकार के बैक्टीरिया के इंफेक्शन, नाक, कान तथा गले में होने वाले इन्फेक्शन के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है।
जिन व्यक्तियों में गोनोरिया वायरस इन्फेक्शन होता है, उनके गुप्तांगों में विभिन्न प्रकार की समस्याएं होने लगती है, जिससे उनको दर्द तथा जलन का अनुभव होता है। इन समस्याओं को ठीक करने के लिए Azithromycin एंटीबायोटिक औषधि का प्रयोग किया जाता है, जो गोनोरिया रोग को अतिशीघ्र ठीक कर देती है। गोनोरिया के साथ-साथ एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग अन्य विभिन्न प्रकार के संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है।
Cefixime
Cefixime का प्रयोग शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले संक्रमण को दूर करने के लिए किया जाता है। इस दवा का प्रयोग एंटीबायोटिक ग्रुप की दवाओं की तरह किया जाता है, जिसमें संक्रमण को रोकने के गुण पाए जाते हैं। गोनोरिया एक संक्रमित रोग है जिसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। इसलिए गोनॉरिया के इलाज के लिए Cefixime एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग किया जाता है, जो गोनोरिया के वायरस के लिए बहुत ही असरदार दवा है। Cefixime एक एंटीबायोटिक दवा है, किंतु यह जुकाम तथा फ्लू जैसे संक्रमण में कार्य नहीं करती है। गोनोरिया में होने वाले संक्रमण के कारण घाव तथा निकलने वाले बदबूदार स्राव को रोकने के लिए Cefixime एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए।
Doxycycline
शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने के लिए Doxycycline नामक औषधि का प्रयोग किया जाता है। Doxycycline दवा एक एंटीबायोटिक दवा है जिसका प्रयोग चेहरे में होने वाले पिंपल्स तथा रिंकल्स को दूर करने के लिए भी किया जाता है। Doxycycline का प्रयोग गोनोरिया रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है। गोनोरिया एक बैक्टीरियल संक्रमित रोग होता है जिस के संक्रमण से गुप्तांगों तथा गले में घाव हो जाते हैं और उन घाव से गहरे सफेद या पीले रंग का द्रव निकलता है जिसके कारण गुप्तांगों में जलन तथा खुजली होती है।
इन सभी समस्याओं से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति को Doxycycline नामक एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग करना चाहिए, जो गोनोरिया जैसे संक्रमण को समाप्त कर देती है। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया का संक्रमण होता है उनको दैनिक रूप से डॉक्टर द्वारा परामर्श करके Doxycycline नामक एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग गोनोरिया वायरस के संक्रमण को दूर करने के लिए करना चाहिए।
Zifi
Zifi का प्रयोग एंटीबायोटिक के रूप में किया जाता है ज़िफ़ी टैबलेट एक एंटीबायोटिक है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है। यह श्वसन पथ (जैसे निमोनिया), मूत्र पथ, कान, नाक साइनस, गले और कुछ यौन संचारित रोगों के संक्रमण में प्रभावी है। गोनोरिया एक जीवाणु संक्रमित रोग है जिसका संक्रमण विभिन्न प्रकार के सेक्सुअल क्रियाकलाप के दौरान होता है जिसमें ओरल तथा इंटरनल सेक्स क्रियायें शामिल हैं।
जिन पुरुष तथा महिलाओं में गोनोरिया का संक्रमण होता है, उनके गुप्तांगों में घाव हो जाते हैं तथा घाव से एक विशेष प्रकार का गहरे पीले रंग का द्रव निकलता है तथा जननांगों में खुजली और जलन होती है जिसके कारण संक्रमित व्यक्ति को बहुत अधिक पीड़ा होती है। गोनोरिया के संक्रमण को ठीक करने के लिए Zifi नामक एंटीबायोटिक टेबलेट का प्रयोग करना चाहिए। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया का संक्रमण होता है उनको दैनिक रूप से डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक Zifi का प्रयोग करना चाहिए।
Cefbact injection
Cefbact injection का प्रयोग एंटीबायोटिक इंजेक्शन के रूप में किया जाता है जिसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के संक्रमण को दूर करने के लिए किया जाता है। Cefbact injection एक इंजेक्शन के रूप में रोगी को दिया जाता है। यह गोनोरिया महिला तथा पुरुष प्रजनन अंग का संक्रमण, श्रोणि सूजन की बीमारी और फेफड़ों, त्वचा, रक्त, हड्डियों, जोड़ों और पेट के संक्रमण जैसे बैक्टीरिया के कारण इन्फेक्शन का इलाज कर सकती है। यह यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए भी जानी जाती है। जिन पुरुष तथा महिलाओं में गोनोरिया का संचरण होता है। उनको दैनिक रूप से डॉक्टर की सलाह पर Cefbact injection लगवाना चाहिए। जिससे गोनोरिया का संक्रमण अतीशीघ्र समाप्त हो जाएगा।
Taxim o injection
Taxim o injection का प्रयोग गोनोरिया रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है। टैक्सीम 1gm इन्जेक्शन एक एंटीबायोटिक दवा है जो आपके शरीर में बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग की जाती है यह मस्तिष्क, फेफड़ों, कान, मूत्रमार्ग, त्वचा और मुलायम ऊतकों, हड्डियों और जोड़ों, रक्त और हृदय के संक्रमण में प्रभावी है इसका इस्तेमाल सर्जरी के दौरान संक्रमण को रोकने में भी किया जाता है। जिन व्यक्तियों में गोनोरिया का संक्रमण होता है उनको डॉक्टर की सलाह पर बताये गए मात्रा में Taxim o injection का प्रयोग करना चाहिए तथा साथ में एंटीबायोटिक टेबलेट्स का प्रयोग भी करना चाहिए।
Gramocef Cv
Gramocef Cv टैबलेट एक मिश्रित दवा है यह अनेक प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज के लिए दिया जाता है। यह सूक्ष्मजीवों को बढ़ने से रोकने के लिए सूक्ष्मजीवों के खिलाफ लड़ता है और संक्रमण को अधिक फैलने से रोकता है इसका प्रयोग एंटीबायोटिक के रूप में किया जाता है जिसका कार्य संक्रमण को रोकना होता है। Gramocef Cv टेबलेट विभिन्न प्रकार के शारीरिक संक्रमण को रोकती है। गोनोरिया पुरुष तथा महिलाओं में होने वाला एक जीवाणु संक्रमित रोग है। जिसमें पुरुष तथा महिलाओं के गुप्तांगों में घाव हो जाते हैं, जिसके कारण जलन तथा पीड़ा का एहसास होता है। गोनोरिया के संक्रमण को रोकने के लिए Gramocef Cv नामक एंटीबायोटिक टेबलेट का प्रयोग किया जाता है।
गोनोरिया संक्रमण होने के जोखिम
- महिलाओं में बांझपन हो जाता है ।
- पुरुषों में बांझपन हो जाता है।
- संक्रमण जोड़ों और आपके शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैलता है।
- एचआईवी/एड्स का खतरा।
- शिशुओं में संक्रमण का खतरा होता है।
गोनोरिया के संक्रमण से बचने के लिए खाद्य पदार्थों का सेवन
- जिंक से भरपूर डायट का करें सेवन।
- लहसुन से गोनोरिया के लक्षणों को दूर करे।
- गोनोरिया में विटामिन सी फायदेमंद है।
- गोनोरिया होने पर सेब का सिरका का प्रयोग करें।
- एंटीबॉयोटिक दवाओं का सेवन करे।
सूजाक के संक्रमण से बचाव के लिए करे ये उपाय
- सेक्स के समय कंडोम का इस्तेमाल करें।
- एक से अधिक सेक्स पार्टनर न रखें।
- एक से अधिक सेक्स पार्टनर के साथ सेक्स करने पर जांच करवाएं।
- गोनोरिया संक्रमित के साथ संबंध स्थापित न करें।
- जननांगो में दर्द होने पर सेक्स न करें।
- नियमित रूप से सूजाक जांच करवाते रहें।
- सेक्स के समय मुखसेक्स में वीर्य पीने से बचें।
- सेक्स टॉय का सुरक्षित उपयोग करें।
- गोनोरिया होने पर उचित उपचार लें।
निष्कर्ष
पुरुष तथा महिलाओं में होने वाले गुप्त रोगों के संक्रमण से यौन जनित रोग गोनोरिया एक ऐसा रोग है, जिसके संक्रमण से पुरुष तथा महिलाओं के जननांगों गले तथा मुंह में घाव हो जाते हैं। घाव के कारण उनसे गहरे पीले सफेद रंग का द्रव श्रावित होने लगता है, जिसके कारण भी संक्रमित व्यक्ति को बहुत अधिक पीड़ा होती है।
उपरोक्त लेख में गोनोरिया से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक एलोपैथिक तथा होम्योपैथिक दवाओं का वर्णन किया गया है, जिसके द्वारा सुजाक रोग को जड़ से इलाज किया जा सकता है। उपरोक्त बताई गई सभी दवाएं सुरक्षित व कारगर हैं, किंतु दवाओं का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर द्वारा परामर्श अवश्य लेते हैं, डॉक्टर आपकी शरीर की संरचना के अनुसार आपको दवा की मात्रा व प्रयुक्त करने की अवधि की जानकारी देंगे।
FAQ
क्या होता है गोनोरिया से?
गोनोरिया एक यौन संक्रमित रोग है जो नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु के कारण महिला तथा पुरुषों के जननांगों में होता है। गोनोरिया रोग के संक्रमण के कारण महिला तथा पुरुषों के जननांगों में घाव हो जाते हैं तथा योनि तथा लिंग से गहरे हरे और पीले रंग का स्खलन होता है, जो बहुत ही बदबूदार होता है, जिसके कारण जननांगों में जलन तथा खुजली होती है। इसके अलावा पेशाब करते समय पेशाब में जलन होती है। 10% पुरुष तथा महिलाओं में इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तथा 90% संक्रमित व्यक्तियों में इसके कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जिनसे यह संक्रमण एक दूसरे में होता रहता है। गोनोरिया से बचाव के लिए उपर्युक्त लेख में विभिन्न प्रकार की दवाओं का वर्णन किया गया है। जिनके प्रयोग से गोनोरिया जैसी संक्रमित बीमारी को एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा ठीक किया जा सकता है।
कौन सी बीमारी होती है गोनोरिया?
गोनोरिया जीवाणु जनित एक एवं संक्रमित बीमारी है, जिसका संक्रमण पुरुष तथा महिलाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के शारीरिक संबंधों के समय होता है। गोनॉरिया का जीवाणु नीसेरिया गानोरिआ होता है, जो गुप्तांगों को संक्रमित करता है, जिसमें गुप्तांगों में घाव हो जाते हैं, तथा योनि और लिंग से गहरे पीले और हरे रंग का स्खलन होता है। जिसमें गुप्तांगों में खुजली और जलन होती है जिसके कारण संक्रमित व्यक्ति को अत्यधिक पीड़ा होती है गोनॉरिया का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा किया जा सकता है।
क्या गोनोरिया ठीक हो सकता है?
जी हां गोनोरिया को ठीक किया जा सकता है यदि आप डॉक्टर द्वारा बताए गए एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग सही मात्रा तथा सही समय पर करते हैं, तो गोनोरिया जैसे संक्रमित रोग को ठीक किया जा सकता है। यदि गोनोरिया की पहचान सही समय पर की जाती है और उसका इलाज डॉक्टर के परामर्श के अनुसार बताए गए एंटीमेटिक दवाओं का उपयोग करते हैं, तो निश्चित रूप से गोनोरिया का इलाज किया जा सकता है। उपर्युक्त लेख में बताए गए सभी प्रकार की एंटीबायोटिक दवा है गोनोरिया रोग को ठीक कर सकती हैं।
सुजाक रोग क्या है इसके लक्षण लिखिए?
सुजाक रोग को ही गोनोरिया रोग कहते हैं। गोनोरिया रोग एक यौन संक्रमित बैक्टीरियल रोग है, जिसका संक्रमण शारीरिक संबंध स्थापित करने के कारण होता है। सुजाक रोग के विभिन्न लक्षण होते हैं, जैसे पेशाब करते समय जलन, लिंग से सफेद, पीला या हरा स्राव, कभी-कभी सुजाक वाले व्यक्ति को अंडग्रंथि में दर्द होता है या वह सूज जाता है। महिलाओं में सुजाक के लक्षण काफी कम होते हैं।
Author Profile
- संभव शर्मा ने राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय इलाहबाद से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, तथा बैसवारा महाविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। बैसवारा महाविद्यालय द्वारा हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के पश्चात संभव शर्मा ने विभिन्न प्रकार की वेबसाइट तथा ब्लॉग में लेखन का कार्य किया है, तथा विभिन्न प्रकार के पत्रिकाओं तथा हुए पोर्टल पर चीफ एडिटर का कार्य भी किया है, तथा पिछले 5 सालों से इन्होंने ACPP.MD वेबसाइट के लिए मुख्य एडिटर के रूप में कार्य किया है, जिन का योगदान इस वेबसाइट के लिए महनीय है। इनके द्वारा एडिट किए गए सभी प्रकार के लेख लोगों के स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित हुए हैं।
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