जड़ से खत्म करना चाहते हैं थाइरॉइड की समस्या तो जाने इसके बारे में,थायराइड शरीर में होने वाला एक ऐसा रोग है जो पूरे शरीर को धीरे-धीरे करके अपंग बना देता है। थायराइड रोग शरीर में थायरोक्सिन हारमोंस की कमी के कारण होता है। जब थायराइड ग्लैंड से थायराइड हारमोंस श्रावण कम हो जाता है तो शरीर में थायराइड रोग हो जाता है। थायरोक्सिन हारमोंस हमारे शरीर में गले में स्थित थायराइड ग्रंथ से स्रावित होता है। यह ग्रंथि कंठ से थोड़ा नीचे स्थित होती है। थायरोक्सिन हारमोंस शरीर की पाचन क्रिया में सहायक होता है। थायराइड रोग आयोडीन की कमी से होता है। आज के लेख में हम आपको थायराइड के लक्षण और थायराइड का रामबाण इलाज के बारे में जानकारी देंगे जिससे आप अपने शरीर को स्वस्थ रख पाएंगे।
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थायराइड के प्रकार
थायराइड मुख्यता दो प्रकार का होता है
- थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता ( Hyperthyrodism )
- अल्पसक्रियता ( Hypothyrodism )
थायराइड होने के कारण
जड़ से खत्म करना चाहते हैं थाइरॉइड की समस्या तो जाने इसके बारे में,थायराइड एक ऐसी बीमारी है जिसके शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते हैं, और किसी किसी को थायराइड होने पर पता भी नहीं चलता है। अंत में जब डॉक्टर परीक्षण कराते हैं, तो पता लगता है कि हमें थायराइड रोग है। थायराइड रोग पाचन क्रिया को पूरी तरह से प्रभावित करता है। थायराइड अधिक टेंशन, खाने में तैलीय पदार्थों की अधिकता एवं अनियमित दिनचर्या के कारण भी हो सकता है। थायराइड होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं।
- अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से थायरॉइड हार्मोन (Thyroid harmone) की सक्रियता पर असर पड़ता है।
- आहार में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायरॉइड ग्रंथियाँ विशेष रूप से प्रभावित होती हैं।
- यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार के दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही हो, तो परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हो सकती है।
- हाशिमोटो रोग (Hashimoto’s disease)
- थायरॉइड ग्रंथि में सूजन (Thyroiditis)
- आयोडीन की कमी
- ग्रेव्स रोग (Graves–disease)
- गण्डमाला रोग (Goitre)
- विटामिन बी12 (Vitamin B12)
- महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड हार्मोन्स में असंतुलन देखा जाता है। क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं।
- भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल करने के कारण।
थायराइड होने के लक्षण
थायराइड के प्राथमिक स्तर में थायराइड के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। थायराइड के पूर्ण रूप से फैल जाने के बाद शरीर में थायराइड के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। थायराइड होने के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित होते हैं।
- थायराइड के कारण लोगों के शरीर में सूजन।
- थायराइड के कारण लोगों के शरीर में दर्द।
- शारीरिक व मानसिक विकास का धीमा हो जाना।
- 12 से 14 साल के बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
- शरीर का वजन बढ़ने लगता है और शरीर में सूजन भी आ जाती है।
- सोचने व बोलने की क्रिया धीमी हो जाती है।
- शरीर का ताप कम हो जाता है, बाल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन होने लगता है।
- चीजें याद नहीं रहना।
- आवाज कर्कश होना।
- कमजोरी महसूस करना।
- गर्दन के पास वाली स्किन की सिलवटों का ब्लैक होना।
थायराइड जड़ से खत्म करने के उपाय
जड़ से खत्म करना चाहते हैं थाइरॉइड की समस्या तो जाने इसके बारे में,थायराइड एक ऐसा रोग है, जो शरीर को धीरे-धीरे करके नुकसान पहुंचाता है। थायराइड को खत्म करने के लिए सबसे पहले शरीर की दैनिक दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए, तथा दैनिक रूप से हम किन पदार्थों का खाने में सेवन करते हैं, इनका बहुत ध्यान रखना चाहिए। आज हम आपको थायराइड को जड़ से खत्म करने के उपाय के बारे में थोड़ी जानकारी देंगे। जिसमें घरेलू एवं आयुर्वेदिक कुछ पदार्थों का उपयोग करके हम थायराइड को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
- थायराइड को खत्म करने के आयुर्वेदिक उपाय।
- थायराइड को खत्म करने के घरेलू उपाय।
- थायराइड को खत्म करने के कुछ व्यायाम।
थायराइड को खत्म करने के आयुर्वेदिक उपाय
जड़ से खत्म करना चाहते हैं थाइरॉइड की समस्या तो जाने इसके बारे में,आज हम आपको थायराइड को खत्म करने के कुछ आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बताएंगे। भारतीय आयुर्वेद में थायराइड को खत्म करने के बहुत सारे आयुर्वेदिक तत्वों का वर्णन किया गया है, जिनके नियमित प्रयोग से थायराइड जैसी बीमारी को खत्म किया जा सकता है, और अपने जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। आयुर्वेदिक तत्वों से थायराइड को खत्म करने के लिए उनका नियमित सेवन एवं खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है। आयुर्वेद द्वारा थायराइड को खत्म करने के निम्नलिखित कुछ उपाय हैं।
- कंचनार गुग्गुल वटी और वद्दिवाटिका वटी।
- रोजाना सुबह गौमूत्र अर्क का सेवन करे।
- त्रिकुटा चूर्ण का सेवन करे।
- अश्वगंधा और गिलोय।
- एलोवेरा और आंवला का जूस ।
कंचनार गुग्गुल वटी और वद्दिवाटिका वटी
कंचनार गुग्गुल वटी और वद्दिवाटिका वटी में थायराइड जड़ से खत्म करने के उपाय व गुड छिपे हुए हैं। जो थायराइड में अति लाभकारी है इसके नियमित प्रयोग से थायराइड जैसे गंभीर बीमारी ठीक हो जाती है तथा रोगी कुछ समय बाद सामान्य हो जाता है।
कंचनार गुग्गुल वटी और वद्दिवाटिका वटी उपयोग विधि
- कंचनार गुग्गुल वटी और वद्दिवाटिका वटी की एक एक गोली सुबह-शाम लेनी चाहिए।
- कंचनार गुग्गुल वटी और वद्दिवाटिका वटी के अधिक असरदार प्रयोग के लिए इनका सेवन दूध के साथ करना चाहिए।
- सुबह नाश्ते के बाद या रात को सोते समय इनका सेवन अधिक फायदेमंद होता है।
- बच्चों को इनका से 1 दिन में एक बार ही करना चाहिए।
गौमूत्र अर्क
आयुर्वेद द्वारा गाय के मूत्र से थायराइड का इलाज संभव है। गाय के मूत्र में विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाली अनेक बीमारियों से लड़ कर शरीर को स्वस्थ बनाते हैं। गोमूत्र को गोवर्धन अर्क भी कहते हैं। इसके कई फायदे हैं और यह कई गंभीर बीमारियों को दूर करता है। यह आपको लीवर और पेट की समस्याओं से निजात दिलाता है। पतंजलि गोधन अर्क गाय के मूत्र से बना अर्क होता है जिसका प्राचीन समय से ही रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता रहा है। यदि एक वाक्य में कहा जाय तो यह पुरे शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को बाहर निकालने में सक्षम है।
गौमूत्र अर्क की प्रयोग विधि
- गाय के मूत्र को इकट्ठा करके उसे गर्म करते हैं।
- गर्म गाय के मूत्र से जो भाग निकलती है उसे इकट्ठा किया जाता है।
- इकट्ठा की गई भावना पानी के रूप में दिखाई देती है जिसे गोमूत्र अर्क कहते हैं।
- रोगी को इसका नियमित दो चम्मच सुबह शाम प्रयोग करना चाहिए।
- 3 महीने तक लगातार इसका प्रयोग किया जा सकता है।
त्रिकुटा चूर्ण
त्रिकुटा चूर्ण बहुत पुराना व्यापक आयुर्वेदिक उपाय है। जिसके द्वारा अपच गैस्ट्राइटिस, कब्ज, मोटापा, खांसी आदि रोगों के इलाज में किया जाता आ रहा है। त्रिकुटा चूर्ण अदरक, काली मिर्च, और लंबे मिर्च का एक मिश्रण होता है, जो पाचन क्रिया को संतुलित करता है। थायरोक्सिन हारमोंस को बढ़ाता है। शरीर में थायरोक्सिन हारमोंस के बढ़ने से थायराइड जैसी भयानक बीमारी से लाभ मिलता है। त्रिकुटा चूर्ण का उपयोग प्राचीन काल से आयुर्वेद में चला रहा है। इससे थायराइड के साथ-साथ बुखार जैसे अन्य बीमारियां भी ठीक हो सकती हैं।
थायराइड में त्रिकुटा चूर्ण प्रयोग विधि
- सभी पदार्थों को आपस में मिला दें अच्छी तरह से सुखा लें।
- सूखने के बाद पीसकर एक बारीक चूर्ण बना लें।
- छोड़ने के बाद ध्यान दें कि इसमें नवीना रहने पाए।
- त्रिकुटा चूर्ण का उपयोग दिन में दो बार करना चाहिए।
अश्वगंधा और गिलोय
अश्वगंधा, एक हर्बल सप्लीमेंट आयुर्वेद में परंपरागत रूप से उपयोग किया जाता है। यह तनाव और चिंता के लिए एक प्राकृतिक और संतुलित प्रतिक्रिया का समर्थन किया जा सके और एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली सुनिश्चित हो सके। दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित पतंजलि अश्वगंधा और पतंजलि गिलोय आयुर्वेदिक विधि द्वारा थायराइड की एक बहुत अच्छी दवा है। अश्वगंधा शरीर के शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाता है, जिससे लोगों से प्रतिरोधक क्षमता शरीर में बढ़ जाती है। और गिलोय पाचन क्रिया को संतुलित करके कब एवं अपचन जैसी क्रिया को संतुलित करता है। जिससे थायरोक्सिन हारमोंस का श्रावण नियमित होने लगता है और थायराइड जैसे रोग से छुटकारा मिलता है।
अश्वगंधा और गिलोय द्वारा थायराइड जड़ से खत्म करने के उपाय
- अश्वगंधा और गिलोय की 1-1 गोली का का सेवन सुबह शाम करें लें।
- अश्वगंधा और गिलोय के उत्तम और अत्यधिक प्रभावित फायदे के लिए डॉक्टर की सलाह से प्रयोग करें जिससे राइट जैसी बीमारी में अतिशीघ्र लाभ मिलेगा।
- अश्वगंधा गोली के साथ साथ यदि गिलोय रस का भी सेवन किया जाता है तो यह भी अति लाभकारी होता है।
एलोवेरा और आंवला में छिपा है Thyroid ka ilaaj
एलोवेरा और आंवला दोनों ही पाचन क्रिया को बढ़ाकर पेट को स्वस्थ रखते हैं। एलोवेरा की तासीर ठंडी होने के कारण या पेट की सभी बीमारियों में काम आता है, और पाचन क्रिया को अच्छी रखता है। वहीं आवला पेट को एसिडिटी से बता बचाता है। एलोवेरा और आंवला के नियमित सेवन से थायराइड बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है। यदि आप एलोवेरा और आंवला का नियमित सेवन करते हैं तो निश्चित रूप से थाइरोइड जैसी बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।
एलोवेरा और आंवला द्वारा थायराइड को जड़ से खत्म करने के उपाय
- सुबह एलोवेरा और आंवला का जूस पिएं।
- एलोवेरा के गूदे का प्रयोग और आंवले के फलों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
- सुबह खाली पेट आंवला और एलोवेरा के जूस को मिक्स करके लेना अति उत्तम है।
- रात को खाने के बाद भी एलोवेरा और आंवला का जूस ले सकते हैं।
थायराइड को खत्म करने के घरेलू उपाय
जड़ से खत्म करना चाहते हैं थाइरॉइड की समस्या तो जाने इसके बारे में,अपनी दैनिक दिनचर्या एवं खानपान को परिवर्तित करके घरेलू नुस्खा द्वारा थायराइड को धीरे-धीरे कंट्रोल किया जा सकता है। थायराइड को कंट्रोल करने के लिए हम अपने दैनिक आहार में निम्नलिखित पदार्थों के दैनिक सेवन से थायराइड जैसी बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।
- अदरक।
- दूध और दही का सेवन।
- मुलेठी का सेवन।
- खड़े अनाजों का अधिक प्रयोग।
- नारियल का तेल ।
अदरक
अदरक आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर एक ऐसा घरेलू नुस्खा है, इसके प्रयोग से थायराइड जैसी बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। अदरक का प्रयोग हम दैनिक जीवन में खानपान एवं सब्जियों में करते हैं। अदरक में उपस्थित पोटैशियम, मैग्निशियम आदि तत्व थायराइड को बढ़ने से रोकते हैं, तथा अदरक में एंटी इन्फ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं जो थायराइड को बढ़ने से रोकते हैं ,तथा उसके सुधार में सहायक होते हैं।
थायराइड में अदरक की प्रयोग विधि
- अपने दैनिक जीवन में खानपान में अदरक का नियमित सेवन करें।
- अदरक के जूस को शहद के साथ नियमित लें।
- अदरक को आप गुड़ के साथ ले सकते हैं।
- सूखे अदरक के पाउडर को गुड़ के साथ मिलाकर खाएं।
दूध और दही का सेवन से थायराइड का रामबाण इलाज
जड़ से खत्म करना चाहते हैं थाइरॉइड की समस्या तो जाने इसके बारे में,थायराइड से ग्रसित लोगों को दूध और दही का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करना चाहिए। क्योंकि दूध में उपस्थित सभी प्रकार के विटामिंस, मिनरल्स शरीर को थायराइड के आक्रमण से बचाते हैं, तथा थायराइड से होने वाले कमजोर शरीर को मजबूत बनाते हैं। थायराइड जैसी बीमारी से बचने के लिए दूध और दही का नियमित इस्तेमाल करने से आप थायराइड जैसी बीमारी से बचे रह सकते हैं।
थायराइड में दूध और दही का सेवन विधि
- सुबह-शाम नियमित रूप से एक गिलास दूध पीना चाहिए।
- खाने में हमेशा दही का प्रयोग करना चाहिए।
- दूध से बने भोज पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए।
- दही छाछ घी आदि का प्रयोग प्रचुर मात्रा में करना चाहिए।
मुलेठी का सेवनबना सकता है आपको थायराइड मुक्त
थायराइड से पीड़ित व्यक्ति शारीरिक कमजोरी होने के कारण थकान जल्दी आ जाती है, अतः वह बहुत शीघ्र ही थक जाते हैं। मुलेठी के नियमित सेवन से शरीर में होने वाली थकान को दूर किया जा सकता है। नियमित मुलेठी के प्रयोग से थायराइड जैसी बीमारी को ठीक किया जा सकता है। यदि आप नियमित रूप से मुलेठी का प्रयोग करते हैं तो निश्चित रूप से आप की थायरायड जैसी बीमारी समाप्त हो जाएगी।
मुलेठी द्वारा Thyroid ka ilaaj विधि
- मुलेठी का प्रयोग नियमित रूप से करना चाहिए।
- मुलेठी खाने से थकान ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
- मुलेठी पाचन क्रिया को संतुलित करती है।
- मुलेठी का प्रयोग गर्म पानी के साथ किया जा सकता है।
खड़े अनाजों का अधिक प्रयोग थायराइड का रामबाण इलाज
जड़ से खत्म करना चाहते हैं थाइरॉइड की समस्या तो जाने इसके बारे में,खड़े अनाजों में थायराइड ग्रंथि को बढ़ने से रोकने में के लिए पर्याप्त क्षमता होती है। इसके अलावा खड़े आना आज शरीर में खून की कमी कमजोरी थकान आदि को दूर करते हैं। आयुर्वेद ने खड़े अनाजों में थायराइड से लड़ने की प्रचुर शक्ति पाई है इस लिए आयुर्वेदिक विधि से खड़े अनाजों द्वारा Thyroid ka ilaaj किया जा सकता है। खड़े अनाजों में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिंस पदार्थ पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ एवं मजबूत बनाते हैं। थायराइड से बचने के लिए हम गेहूं और ज्वार जैसे खड़े अनाजों का उपयोग कर सकते हैं।
खड़े अनाजों का अधिक प्रयोग से थायराइड जड़ से खत्म करने के उपाय
- गेहूं और ज्वार को मोटा पीसकर उसके दलिया बनाई जा सकती है।
- गेहूं और ज्वार की दलिया को दूध में पकाकर खाने से थायराइड ठीक हो सकता है।
- गेहूं और ज्वार को भिगोकर भी खाया जा सकता है।
- खाने में गेहूं और ज्वार का अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए।
नारियल तेल हाइपर थायराइड का रामबाण इलाज
नारियल तेल का प्रयोग आप दैनिक जीवन में खाने में कर सकते हैं। नारियल तेल शरीर शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। नारियल तेल को अपने डाइट में शामिल करने के लिए नियमित रूप से इस से पकी हुई सब्जियां खा सकते हैं, तथा अन्य खाद्य पदार्थों में भी आप नारियल तेल का प्रयोग कर सकते हैं। नारियल तेल थायराइड का रामबाण इलाज है ।
नारियल तेल प्रयोग विधि
- नारियल तेल का प्रयोग खाने में किया जा सकता है।
- नारियल तेल से आप नियमित सब्जियां पका सकते हैं।
- दिन में दो से तीन बार नारियल पानी पी सकते हैं ।
- खाने में नारियल की चटनी का प्रयोग कर सकते हैं।
- पका नारियल खा सकते हैं तथा कच्चा नारियल खा सकते हैं।
थायराइड को खत्म करने के कुछ व्यायाम
थायराइड को रोकने के लिए कुछ योग एवं व्यायाम कर सकते हैं। बाबा रामदेव के अनुसार निम्नलिखित आसन एवं व्यायाम थायराइड को रोकने में लाभकारी हैं। इनके नियमित करने से थायराइड धीरे-धीरे खत्म हो जाती है, और आप सुखी जीवन का अनुभव लेते हैं।
- सिंहासन।
- कपालभाति।
- अनुलोम विलोम।
- सिरआसन।
- मत्स्यासन।
- उज्जायी प्राणायाम।
- विपरीत करनी।
- सर्वांगासन।
थायराइड में क्या न करें
- इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को खाने में उन चीज़ों का परहेज करना चाहिए जिसे पचाने में परेशानी होती हो।
- बहुत ज़्यादा ठंडे, खुष्क पदार्थो का सेवन नहीं करना है।
- बहुत ज़्यादा मिर्च-मसालेदार, तैलीय, खट्टे पदार्थों का प्रयोग नहीं करना है।
- दही का प्रयोग नहीं करना है।
- बासी खाद्य-पदार्थ या जिनमें एडेड शुगर है उनका प्रयोग नहीं करना है।
- इस बीमारी में हमें पालक, शकरकंदी, बंदगोभी, फूलगोभी, मूली, शलजम, मक्का, सोया, रेड मीट, कैफ़ीन और रिफाइंड ऑयल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- बहुत ज़्यादा शारीरिक परिश्रम नहीं करना चाहिए और बहुत ज़्यादा यौन क्रिया में सम्मिलत नहीं होना चाहिए।]
आज के इस लेख में हमने आपको थायराइड से बचने के तौर-तरीकों तथा उपायों के बारे में बताया है। उपर्युक्त लेख में बताये गए नियम एवं व्यायाम आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करके आप थायराइड जैसी बीमारी से अपने शरीर को बचा सकते हैं। यहां बताई गई सभी दवाइयों से थायराइड जड़ से खत्म करने के उपाय शामिल हैं। इनका प्रयोग करके आप थायराइड से बचे रहेंगे एवं बताए गए योगासनों और कुछ आयुर्वेदिक दवाओं के नियमित प्रयोग करते हुए थायराइड का रामबाण इलाज कर सकेंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या थायराइड को योग द्वारा हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है?
थायराइड को योग द्वाराखत्म किया जा सकता है, कि नहीं यह भी निश्चित कहा नहीं जा सकता है। किंतु नियमित योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे थायराइड जैसे रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
क्या योग हाइपर थायराइड का रामबाण इलाज है?
योग योग द्वारा हर प्रकार के थायराइड को रोका जा सकता है। अतः योग द्वारा हाइपर थायराइड का रामबाण इलाज भी किया जा सकता है।
क्या आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा थायराइड को रोका जा सकता है?
भारतीय आयुर्वेद विश्व का सबसे बड़ा आयुर्वेद है आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा थायराइड जैसी बीमारी को निश्चित तौर पर रोका जा सकता है। लेकिन इन दवाओं का नियमित प्रयोग करते हुए कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए।
Author Profile
- संभव शर्मा ने राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय इलाहबाद से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, तथा बैसवारा महाविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। बैसवारा महाविद्यालय द्वारा हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के पश्चात संभव शर्मा ने विभिन्न प्रकार की वेबसाइट तथा ब्लॉग में लेखन का कार्य किया है, तथा विभिन्न प्रकार के पत्रिकाओं तथा हुए पोर्टल पर चीफ एडिटर का कार्य भी किया है, तथा पिछले 5 सालों से इन्होंने ACPP.MD वेबसाइट के लिए मुख्य एडिटर के रूप में कार्य किया है, जिन का योगदान इस वेबसाइट के लिए महनीय है। इनके द्वारा एडिट किए गए सभी प्रकार के लेख लोगों के स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित हुए हैं।