कभी-कभी विभिन्न कारणों से हमारे लिंग पर विभिन्न प्रकार के छोटे छोटे दाने पड़ जाते हैं। ये दाने सफेद लाल या काले हो सकते हैं। कभी-कभी इसमें अत्यधिक खुजली भी होती है किंतु कुछ अवस्थाएं ऐसी भी होती है। जिनमें केवल दाने होते हैं,खुजली का आभास नहीं होता है। यह दाने हमारे लिंग पर सफाई की कमी या सेक्सुअल ट्रांसमिशन द्वारा होते हैं। लिंग के अगले हिस्से पर लाल धब्बे, पेनिस पर लाल निशान, छोटे छोटे दाने हो जाते हैं। जो सफेद या लिंग की स्किन के कलर के होते हैं, पेनिस पर दाने होने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। आज पेनिस पर दाने होने के कारण Or upay को जाने।
कभी-कभी हमारे लिंग पर दाने हो जाते हैं यह दाने हमारे लिंग के साथ-साथ पूरे शरीर पर होते हैं। यदि यह दाने केवल पेनिस पर होते हैं तो यह एक गंभीर चिंता का विषय होता है, क्योंकि पेनिस एक सेंसिटिव अंग है।
पेनिस पर दाने होने के कारण
लिंग पर होने वाले दानों का कारण, मरीजों के लिंग पर किस प्रकार के दाने हैं यह देखकर ही निश्चित किया जा सकता है। यह दाने विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं कभी कभी दानों में खुजली होती है, और कभी-कभी सामान्य दाने भी निकल आते हैं। लिंग पर दाने होने का कारण अंगों की साफ-सफाई से लेकर असुरक्षित यौन संबंध भी हो सकता है। पेनिस पर होने वाले दानों की पहचान उनको फैलाने वाले विषाणु या जीवाणु के आधार पर की जा सकती है।
जेनिटल हर्पीज
जेनिटल हर्पीज को हम जननांग दाद के नाम से जानते हैं जेनिटल हर्पीज के प्रभाव से जननांग पर लाल रंग के दाने निकलते हैं जिनमें बाद में पपड़ी पड़ जाती है। पेनिस पर लाल निशान का होने का मुख्य कारण योन संक्रमण होता है। जेनिटल हर्पीज मुख्य रूप से सेक्स के दौरान आपको आपके साथी से हो सकता है, यह हर्पीस कर्पीस सिंप्लेक्स वायरस के संक्रमण से फैलता है।
एक सर्वे के अनुसार अमेरिका में लगभग 776000 लोग इससे संक्रमित हैं। वहीं भारत में 8-14.5% लोग इस रोग से पीड़ित है।
जेनिटल हर्पीज के कारण
जेनिटल हर्पीज का मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध है जेनिटल हर्पीज एक साथी से दूसरे साथी को सेक्स के दौरान संक्रमित कर देता है। अर्थात एक से अधिक जीवन साथी के साथ सेक्स करना इसका प्रमुख कारण हो सकता है।
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जेनेटिक हर्पीज के लक्षण
- जननांगों के पास छाले दिखाई दे सकते हैं।
- जननांगों पर दाने होने के साथ-साथ खुजली का आभास होता है।
- आमतौर से शरीर में सर दर्द व तनाव का आभास होता है।
- मूत्र मार्ग में अधिक संक्रमण होने के कारण सूजन भी हो सकती है।
- जननांग के आसपास छाले अल्सर का रूप ले लेते हैं।
जेनिटल हर्पीज से बचने के उपाय
जेनिटल हर्पीज से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।
- एक साथी के साथ हमेशा सेक्स करें।
- किसी अन्य साथी के साथ सेक्स करने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें।
- संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों का इस्तेमाल ना करें ना ही उन्हें छुएं।
- संक्रमित व्यक्ति के पेनिस पर फुंसी का इलाज से पहले संपर्क में ना आएं।
- जेनिटल हरपीज का कोई इलाज नहीं है फिर भी डॉक्टर से बचने के लिए आपको एंटीवायरल दवाइयां और इंजेक्शन देते हैं ।
- जेनिटल हर्पीज से बचने के लिए एपीसोडिक नामक थेरेपी की जाती है।
सोरायसिस
सोरायसिस प्रतिरक्षा तंत्र के अनियमितता के कारण होने वाला एक त्वचा रोग है। जिसमें प्रतिरक्षा तंत्र की अनियमितता से त्वचा की कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ने लगती हैं, जिससे शरीर पर लाल धब्बे दिखाई देते हैं, जो सफेद रंग की परत से ढके होते हैं।
यह धब्बे मुख्य रूप से हाथों की कोहनियों, गर्दन एवं सर पर पाए जाते हैं लेकिन कभी-कभी यह धब्बे जननांगों या शरीर के किसी भी अंग में हो सकते हैं। यह लाल धब्बे फटने से कभी-कभी इन में खून आता है और असहनीय दर्द होता है। सोरायसिस को अपरस भी कहते हैं। सोरायसिस से जननांगों पर लाल निशान बन जाते हैं।
सोरायसिस के कारण
- अनियमित प्रतिरक्षा तंत्र सोरायसिस का मुख्य कारण है।
- किसी सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने के कारण हो सकता है।
- सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कारण।
- सामाजिक स्विमिंग पूल में नहाने के कारण।
- अनुवांशिक लक्षणों के कारण।
सोरायसिस के लक्षण
- सोरायसिस का प्रमुख लक्षण कोहनी तथा घुटनों पर लाल चकत्ते पड़ना।
- हाथों और पैरों के तलवों पर फफोले पड़ना।
- हाथों और पैरों के नाखूनों का रंग बदलना।
- खोपड़ी में सफेद दाद होना।
- शरीर पर होने वाले सफेद चकत्ते फटकर खून निकलना।
उपाय सोरायसिस से बचने के
- शरीर को साफ सुथरा रखें और साफ कपड़े पहने।
- तनाव मुक्त रहें।
- प्रतिरक्षा तंत्र का विशेष ध्यान रखें कोई अनियमितता होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
- पेनिस पर दाने का इलाज के लिए त्वचा को शुष्क होने से बचाएं त्वचा में नमी बनाए रखें।
- पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में ना आए।
- सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध ना बनाएं।
- अपने आसपास ह्यूमैनिटी फायर का प्रयोग करें।
सोरायसिस के प्रकार
- एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस।
- पस्टुलर सोरायसिस।
- उलटा सोरायसिस।
- गुटेट सोरायसिस।
- प्लाक सोरायसिस।
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सिफलिस
यह एक प्रकार का बैक्टीरियल संक्रमण है जो ट्रेपेनेमा नामक बैक्टीरिया से फैलता है, इसके संक्रमण का मुख्य कारण शारीरिक संपर्क में आना है यह यौन संक्रमित रोग है जिस के संपर्क में आने पर जननांग मुख एवं गुदा आदि में दाद के रूप में दिखाई देता है जो दर्द रहित होता है इस से स्त्री व पुरुष के जननांगों पर लाल धब्बे दिखाई देते हैं जो काफी कड़े होते हैं।
सिफलिस फैलने के कारण
- पेनिस पर लाल निशान द्वारा संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर।
- संक्रमित व्यक्ति के साथ नशीले इंजेक्शन को साझा करने पर।
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर।
- यह बैक्टीरिया संक्रमित रोग है।
- एक साथ कपड़ा, खाना, स्विमिंग पूल आदि साझा करने पर।
सिफलिस फैलने के लक्षण
इसके लक्षण उसके चरण के अनुसार अलग-अलग होते हैं इसके प्रमुख चरण होते हैं-
प्रथम चरण
यह रोग से संक्रमित होने के 1 माह के अंदर जननांगों पर लाल रंग के दाने धब्बे,पेनिस पर लाल निशान दिखाई देते हैं। लिंग पर दाने भी दिखाई देते हैं बैक्टीरिया जिस भाग में होता है।
द्वितीय चरण
इसके द्वितीय चरण में 1 माह से 6 माह तक लाल रंग के दानों के ऊपर एक सफेद परत दिखाई देती है। जो बहुत ही सख्त होती है इस परत के नीचे बैक्टीरिया फैलता है।
तृतीय चरण
तृतीय चरण का स्विफ्ट लिस्ट 1 साल से 35 साल तक में फैलता है इसमें शरीर के ऊपरी हिस्से में गांठ निकल आते हैं। तृतीय चरण का यह मुख्य रूप से हड्डियों और लीवर को प्रभावित करता है।
सिफलिस बचने के उपाय
इसका कोई भी उपचार अभी तक नहीं बना है अतः डॉक्टर इस से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के इंजेक्शन वह दवाइयां देते हैं। इस से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए।
- डॉक्टर से पेनसिलीन इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
- टाइम टाइम से पेनसिलीन की खुराक लेनी चाहिए।
- पेनिस पर फुंसी का इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह से दवा लेनी चाहिए।
पेनिस पर दाने होने के कारण Or Upay
लिंग पर फुंसी का इलाज के लिए सबसे पहले डॉक्टर से मिलाना चाहिए तथा पेनिस पर दाने होने के कारण Or upay जानना चाहिए ।
- लिंग पर फुंसियां या लिंग पर लाल निशान के उपचार के लिए डॉक्टर द्वारा पेनसिलिन का इंजेक्शन दिया जाता है।
- पेनिस पर दाने का इलाज के लिए संक्रमित अंग को गर्म पानी से समय-समय पर धोना चाहिए।
- संक्रमित भाग को शुष्क नहीं होने देना चाहिए।
- संक्रमित भाग पर ऐसे पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए जो त्वचा की नमी को बनाए रखते हैं।
- लिंग की त्वचा को सर्जरी करके हटाना।
- पेनिस पर फुंसी का इलाज के पहले किसी भी प्रकार की सेक्शुअल एक्टिविटी नहीं करनी चाहिए।
- सेक्स करते समय कडोम का प्रयोग करें।
- संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में न आयें।
- पेशाब करने के बाद लिंग के ऊपरी कवर को अच्छे से साफ करना चाहिए।
पेनसिलिन
यह एक प्रकार की एंटीबायोटिक औषधि है जिसका उत्पाद नीले रंग की फफूंद से प्राकृतिक रूप से किया जाता है। यह बैक्टीरियल रोगों से बचने के लिए एकमात्र एंटीबायोटिक औषधि है। जिसका उपयोग सभी प्रकार के कवक एवं बैक्टीरिया से उत्पन्न होने वाले रोगों में किया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के मरहम टैबलेट्स व इंजेक्शन बनाए जाते हैं जो कवक व बैक्टीरिया को खत्म करते हैं। इसे मुख्य रूप से पौधे से प्राप्त किया जाता है।
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प्रमुख उपयोग पेनसिलिन के
- पेनसिलिन का प्रयोग बैक्टीरियल रोगों में किया जाता है।
- पेनसिलिन का प्रयोग पेनिस में दानों के उपचार में किया जाता है।
- पेनसिलिन का प्रयोग एंटीबायोटिक औषधियां बनाने में किया जाता है।
- पेनसिलिन का प्रयोग घाव में जीवाणु संक्रमण रोकने के लिए किया जाता है।
पुरुषों के लिंग पर पिम्पल या दाने होना एक सामान्य सी बात है। अगर आपको पेनिस पर लगातार पिम्पल हो रहे हैं। और पिम्पल होने के बाद आप किसी से इस बारे में शेयर नहीं कर रहे है या किसी को भी नहीं बताते है। तो यह आदत आगे चलकर खतरनाक हो सकती है। इसी लिए हमें पेनिस पर दाने होने के कारण Or upay के बारे में जानकारी रखनी बहुत जरुरी है।
Author Profile
- संभव शर्मा ने राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय इलाहबाद से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, तथा बैसवारा महाविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। बैसवारा महाविद्यालय द्वारा हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के पश्चात संभव शर्मा ने विभिन्न प्रकार की वेबसाइट तथा ब्लॉग में लेखन का कार्य किया है, तथा विभिन्न प्रकार के पत्रिकाओं तथा हुए पोर्टल पर चीफ एडिटर का कार्य भी किया है, तथा पिछले 5 सालों से इन्होंने ACPP.MD वेबसाइट के लिए मुख्य एडिटर के रूप में कार्य किया है, जिन का योगदान इस वेबसाइट के लिए महनीय है। इनके द्वारा एडिट किए गए सभी प्रकार के लेख लोगों के स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित हुए हैं।