आज के इस लेख में हम आपको प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम- लक्षण कारण और बचाव के बारे में जानकारी देंगे, महिलाओं में प्रत्येक महीने एक निश्चित दिनों पश्चात माहवारी चक्र शुरू होता है जिसके दौरान अंडाशय से अंडे निकलकर योनि तथा गर्भाशय में पहुंचते हैं जिसे महिलाओं में प्रजनन क्षमता के लिए आवश्यक माना जाता है माहवारी को पीरियड तथा एमसी के नाम से भी जाना जाता है।
अंडाशय अंडे जब निकलते हैं तो वह लाल रंग के दिखाई देते हैं साथ के साथ माहवारी के समय रक्त भी स्रावित होता है, जिसके कारण महिलाओं में पीरियड के दौरान पेट दर्द तथा कमजोरी एक सामान्य घटना होती है।किंतु कुछ महिलाओं में पीरियड से पूर्व बहुत अधिक दर्द तथा अन्य समस्याएं होती है जो एक विशेष प्रकार की बीमारियों का समूह होता है जिसे हम प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम को पीएमएस के नाम से भी जाना जाता है। जिससे महिलाओं में होने वाली इस समस्या से बचाव किया जा सकता है।
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम क्या है
पीरियड्स के समय महिलाओं में होने वाले विभिन्न प्रकार के समस्याओं के साथ-साथ दर्द होने की समस्या होती है। पीरियड के समय यह समस्या सामान्य स्तर पर सभी को होती है किंतु पीरियड से 1 सप्ताह पूर्व ही पेट में दर्द तथा अन्य प्रकार की समस्याएं होती हैं, जिन्हें प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के अंतर्गत माना जाता है। अर्थात प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम समस्याओं तथा बीमारियों का एक समूह है जो महिलाओं में पीरियड आने से 1 सप्ताह पूर्व प्रारंभ हो जाता है। जिसके कारण महिलाओं में पेट दर्द, मानसिक तनाव, तथा अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं।
कुछ महिलाओं में इसके लक्षण बहुत सामान्य होते हैं लेकिन कुछ महिलाओं में इसके लक्षण बहुत अधिक प्रबल दिखाई देते हैं तथा प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम यह लक्षण महिलाओं के मानसिक तथा शारीरिक जिंदगी को प्रभावित करते हैं। माहवारी समाप्त होने के पश्चात यह समस्या अपने आप समाप्त हो जाती हैं तथा अगले माहवारी के 1 सप्ताह पूर्व तक नहीं दिखाई देती हैं।
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने के कारण
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने के कुछ विशेष कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाए हैं प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने के कारणों की वैज्ञानिक तथा डॉक्टरों द्वारा लगा था रिसर्च किया जा रहा है। सामान्य स्तर पर इसके पेट दर्द तथा ऐठन घबराहट मानसिक तनाव आदि कारण दिखाई देते हैं जो की माहवारी होने के समय प्रत्येक महिला में सामान्य रूप से होते हैं।
अभी तक प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने के कारणों का स्पष्टीकरण नहीं हुआ है, फिर भी प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने के निम्नलिखित कारणों को जिम्मेदार माना जाता है। जो निम्नलिखित हैं
- हार्मोन में होता लगातार परिवर्तन।
- मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन।
- मौजूदा मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां।
- पारिवारिक इतिहास।
- खराब या अनियमित जीवन शैली।
हार्मोन में होता लगातार परिवर्तन
महिलाओं में एस्ट्रोजन तथा पहुंचे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन श्रवण होता है तथा या हारमोंस प्रत्येक महीने में कम तथा ज्यादा होता रहता है पीरियड के पश्चात होने वालेओल्यूशन पीरियड के समय इन दोनों हारमोंस का सामान अपने उच्च स्तर पर होता है तथा इसके पश्चात इसके श्रावण में धीरे-धीरे गिरावट होने लगती है तथा पीरियड से 1 सप्ताह पूर्व इसके श्रावण में सबसे अधिक निम्नता पाई जाती है।
जिसके कारण महिलाओं में चिड़चिड़ापन तथा चिंता के साथ-साथ अन्य समस्याएं दिखाई देती हैं यह सभी कारण प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम अर्थात पीएमएस के हो सकते हैं।
मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन
पुरुष तथा महिलाओं के मस्तिष्क में कुछ समय के अंतराल में विशेष प्रकार के हार्मोन तथा अन्य रासायनिक परिवर्तन होते रहते हैं। महिलाओं के मस्तिष्क में होने वाले रासायनिक परिवर्तनों के कारण भी पीएमएस हो सकता है। हमारे मस्तिष्क में पाए जाने वाले न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और नॉरपेनेफ्रिन रसायन मूड, भावनाओं और व्यवहार को विनियमित करने का काम करते हैं।
यह दोनों प्रकार के रसायन हमारे मस्तिष्क में ट्रांसमीटर अर्थात संदेशवाहक की तरह कार्य करते हैं, जो हमारे मस्तिष्क से सूचना लाने तथा ले जाने का कार्य करते हैं। पीरियड के समय महिलाओं में इन रसायनों में परिवर्तन के कारण नींद का अधिक आना तथा खराब मूड के कारण विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं, जो महिलाओं में पीएमएस के लक्षणों को प्रदर्शित करती हैं।
मौजूदा मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां
मासिक धर्म के समय महिला की मानसिक स्थिति कैसी है इन सभी बातों पर भी प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम निर्भर करता है। यदि महिला मासिक धर्म के पूर्व भी मानसिक स्थिति कमजोर तथा चिंता ग्रस्त रहती है, तो उसे प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की संभावनाएं अधिक रहती हैं। जो महिलाऐं द्विध्रुवी विकार और प्रसवोत्तर अवसाद से जूझ रही है उन्हें भी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने की आशंका बनी रहती है।
यह सभी समस्याएं मासिक धर्म के पूर्व बढ़ जाती हैं तथा मासिक धर्म समाप्त होने के पश्चात मुख्य रूप में सामान्य हो जाती हैं यदि किसी महिला को पीरियड्स के दौरान उसे चिंता तथा मानसिक स्थिति कमजोर हो जाती है तथा व मानसिकता का शिकार हो जाती है ऐसी स्थिति में प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने की आशंका अधिक रहती हैं।
पारिवारिक इतिहास
परिवारिक इतिहास का तात्पर्य जेनेटिक लक्षणों से होता है। यह जेनेटिक लक्षण जीन के कारण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होते रहते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि यदि आपसे पहले आप की पीढ़ी में किसी को प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के समस्याओं आपको पीएमएस होने की संभावनाएं बढ़ जाती है, क्योंकि परिवारिक इतिहास के कारण जेनेटिक लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होते रहते हैं।
जिन के साथ विभिन्न प्रकार के रोग भी ट्रांसफर होते रहते हैं। इसलिए आपके परिवार में यदि किसी को पीएमएस की समस्या थी या है तो हो सकता है कि आपको भी पीएमएस की समस्या हो सकती है।
खराब या अनियमित जीवन शैली
हमारे जीवन शैली में कुछ खराब आदतों के कारण हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं। खराब जीवनशैली के कारण हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती हैं। जिनके कारण हमारा शरीर विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रसित हो जाता है। खराब जीवनशैली के कारण हमारे शरीर में प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। निम्नलिखित खराब आदतों तथा जीवन शैली के कारण पीएमएस होने की संभावना अधिक होती हैं।
- अधिक धूम्रपान करना।
- पूरी नींद ना लेना।
- अल्कोहल तथा नशीले पदार्थों का सेवन करना।
- फैटीय पदार्थों का अधिक प्रयोग करना।
- चीनी तथा नमक का अधिक प्रयोग करना।
- दैनिक रूप से शारीरिक गतिविधि ना करना।
- अत्यधिक मांसाहारी वस्तुओं का सेवन करना।
- शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना।
पीएमएस के लक्षण क्या है?
महिलाओं में सीएमएस अर्थात प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के जो लक्षण दिखाई देते हैं वह बहुत ही साधारण होते हैं, लेकिन यह साधारण लक्षण के कारण ही महिलाओं में विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं। जिससे उनके जीवन शैली प्रभावित होती है। ऐसा नहीं है कि प्रत्येक मासिक धर्म के पूर्व ही महिलाओं में पीएमएस के लक्षण दिखाई देते हैं, यदि महिलाओं में पीएमएस की बीमारी लगातार प्रत्येक महामारी के समय होने लगती है, तो यह लक्षण हमेशा दिखाई देते हैं तथा मासिक धर्म के पश्चात इन लक्षणों में तीव्रता हो जाती है।
जिससे महिलाओं में पीरियड के समय पीएमएस के लक्षणों के कारण विभिन्न प्रकार की समस्याएं होने लगती है। पीएमएस के दौरान जो लक्षण दिखाई देते हैं वह शारीरिक तथा मानसिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं। अर्थात प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के कारण महिलाओं के शरीर में तो प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं।
- शारीरिक लक्षण
- मानसिक लक्षण
शारीरिक लक्षण
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की समस्या होने के कारण विभिन्न प्रकार के परिवर्तन तथा समस्याएं होने लगती हैं महिलाओं के शरीर में समस्याओं के कारण विभिन्न प्रकार के लोगों का एक समूह दिखाई देता है जिसके कारण महिलाओं की शारीरिक दशा बहुत अधिक खराब हो जाती है। महिलाओं की पीएमएस महिलाओं में विभिन्न प्रकार के शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं। जो निम्नलिखित हैं
- शरीर में ऐंठन।
- गले में खराश।
- चेहरे पर मुंहासे।
- स्तनों में सूजन।
- पेट में कब्ज की समस्या।
- महावारी के पूर्व दस्त होना।
- सर दर्द होना।
- बैक तथा मांसपेशियों में दर्द बना रहना।
- लाइट के प्रति संवेदनशीलता।
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या।
मानसिक लक्षण
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की समस्या होने के कारण महिलाओं में शारीरिक लक्षणों के साथ-साथ कुछ मानसिक लक्षणों का भी अनुभव होता है। जिसके कारण महिलाएं अत्यधिक परेशान रहने लगती हैं तथा का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है इन सभी लोगों के साथ महिलाओं को कुछ अन्य मानसिक लक्षणों का आभास होता है। जिनके कारण वे अत्यधिक परेशान रहती हैं तथा उनको विभिन्न प्रकार के अन्य समस्याएं हो जाती हैं। यह मानसिक लक्षण निम्नलिखित हैं
- मानसिक चिंता से ग्रस्त रहना।
- बेचैनी महसूस कर।
- अकेला पन महसूस करना।
- महिलाओं में कामेच्छा की कमी हो जाना।
- भूख ना लगना।
- अत्यधिक मीठा खाने का मन करना।
- नींद कम आना।
- अत्यधिक मूड खराब हो जाना।
- विश्वास की कमी हो जाना।
- समय-समय पर सवार में परिवर्तन हो जाना।
- रोने का अधिक मन करना।
पीएमएस होने पर क्या करना चाहिए?
यदि आपके शरीर में सीएमएस के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं अर्थात आपको पीरियड के दौरान पेट में ऐठन तथा विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याएं जैसे- चिड़चिड़ापन, बेचैनी, तथा कम नींद आना आदि विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं, तथा आपको शारीरिक समस्याएं जैसे शरीर में ऐंठन, सर में दर्द, तथा पेट में कब्ज. स्तनों में सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, ये प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं।
इन लक्षणों को लेकर आपको अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ऐसे लक्षण दिखाई देने पर पीएमएस होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इसलिए उपरोक्त लक्षण दिखाई देने पर निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।
डॉक्टर से मिलना चाहिए
यदि आपको प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको सबसे पहले अपने फैमिली डॉक्टर से इसके बारे में सलाह देनी चाहिए आपके फैमिली डॉक्टर उपलब्ध नहीं है तो आपको किसी सरकारी या गैर सरकारी अस्पताल में जाकर के होने वाली सभी प्रकार के समस्याओं के बारे में डॉक्टर को बताना चाहिए तथा उससे परामर्श लेनी चाहिए। जिससे डॉक्टर आपको कुछ जांच बताओ दवाइयां के लिए सलाह देते हैं पीएमएस की समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित स्टेटस आ सकते हैं
पीएमएस की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर आपकी निम्नलिखित प्रकार की जांच कर सकते हैं
यदि आप डॉक्टर से परामर्श लेते हैं और उनको विभिन्न प्रकार के लक्षण तथा होने वाली समस्याओं के बारे में बताते हैं प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम की जानकारी के लिए डॉक्टर निम्नलिखित प्रकार की जांच करवा सकते हैं। जिसके पश्चात एक निश्चित कर सकते हैं कि आपको पीएमएस की समस्या है या नहीं। यह जांचे निम्नलिखित प्रकार की है
- हार्मोनल जन्म नियंत्रण।
- शरीर में कैल्शियम, मैग्नीशियम, या विटामिन बी 6 सहित की जांच।
- मेफ़ानामिक एसिड की जांच।
पीएमएस का सटीक निदान करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं
यदि जांच के दौरान आपके अंदर पीएमएस के लक्षण तथा संभावना पाई जाती है प्रत्येक डॉक्टर अपने तरीके से विभिन्न विधियों द्वारा प्रत्येक मरीज का इलाज करते हैं, जो उनको अपने अनुभव से पता चलता है कि मरीज को किस प्रकार के इलाज की आवश्यकता है। अतः डॉक्टर पी एम एस की समस्या को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं जो पीएमएस की समस्या को जड़ से समाप्त कर सकते हैं।
- डॉक्टर आपसे इस बारे में पूछ सकते हैं कि क्या आपके परिवार में पहले किसी को पीएमएस, पीएमडीडी, और अन्य मनोदशा और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का सामना किया है। इससे इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि कहीं आपको पीएमएस या पीएमडीडी वंशानुगत तो नहीं?
- आपके डॉक्टर आपसे इस बारे में पूछ सकते हैं कि क्या आपके परिवार में पहले कोई हाइपोथायरायडिज्म या एंडोमेट्रियोसिस सहित अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से तो नहीं जूझ रहे थे?
- आपके लक्षणों के आधार पर दोच्योर स्त्री रोग संबंधी स्थितियों को दूर करने के लिए एक पैल्विक परीक्षा की सिफारिश कर सकते हैं।
पीएमएस के निदान के लिए डॉक्टर आपको निम्नलिखित जांच करवाने की सलाह भी दे सकते हैं
उपरोक्त जांचे करवाने के पश्चात डॉक्टर आप के इलाज को जारी रखते हुए कुछ दिन का इंतजार करते हैं और आप में होने वाले परिवर्तनों के जांच करते हैं यदि pms अर्थात प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम में परिवर्तन दिखाई देते हैं तो डॉक्टर इलाज को जारी रखते हैं। यदि डॉक्टर को लगता है कि पर्याप्त रूप में परिवर्तन नहीं दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर द्वारा कुछ अन्य जांच कराने की सलाह दी जाती है। जो निम्नलिखित
- एनीमिया।
- एंडोमेट्रिओसिस Endometriosis
- थाइराइड।
- चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS)
- क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम।
Premenstrual Syndrome Causes का निदान कैसे किये जा सकता है
प्रारंभिक जांच तथा उपचार के पश्चात डॉक्टर आपको कुछ अन्य जांच को करवाने की सलाह देते हैं जिन के अध्ययन के पश्चात डॉक्टर नए तरीके से पीएमएस के इलाज की प्रक्रिया प्रारंभ करते हैं तथा प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम को जड़ से समाप्त करने की विभिन्न प्रकार के चिकित्सा विधियों को प्रयोग करते हैं। डॉक्टर के साथ साथ कुछ सावधानियों तथा जानकारियों का आपको भी ध्यान रखने की आवश्यकता होती है सबसे पहले आपको अपने अंदर पीएमएस के लक्षणों की पहचान करनी होगी।
इसके अलावा आप इस बारे में भी जानकारी रखें कि मासिक धर्म शुरू होने से पहले लक्षण कितने दिन पहले दिखाई देते हैं और माहवारी के कितने दिनों बाद तक लक्षण रहते हैं, इसके अलावा क्या इनकी वजह से आपको पीरियड्स में भी क्या कोई अन्य समस्या हो रही है। इन सभी के बारे में उचित जानकारी प्राप्त करने के बाद डॉक्टर को इस बात की पुष्टि करने में आसानी होगी कि आपको पीएमएस है जिससे डॉक्टर को आप का इलाज करने में आसानी रहेगी।
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम में प्रयोग की जाने वाली दवाएं
यदि आप मैं पीएमएस जाच पूर्णतया हो जाती है और आपने डॉक्टर द्वारा सीएमएस होने की पुष्टि कर दी जाती है तो डॉक्टर के इलाज के लिए कुछ विशेष प्रकार की दवाओं का प्रयोग करते हैं, जो आपके शरीर में वर्तमान समय में दिखाई देने वाले लक्षणों के अनुसार होती हैं आपने पी एम एस के लक्षणों के अनुसार डॉक्टर आपको निम्नलिखित प्रकार की दवाओं का प्रयोग इलाज के लिए कर सकते हैं। यह दवाइयां निम्नलिखित हैं
- अवसादरोधी दवाएं Antidepressants
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स Nonsteroidal anti-inflammatory Drugs
- मूत्रवर्धक दवाएं Diuretics
- हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाएं Hormonal Contraceptive Drugs
अवसादरोधी दवाएं Antidepressants
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की पुष्टि होने के पश्चात यदि डॉक्टर को पीएमएस संबंधी मानसिक तनाव वाले लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर आपको अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करने की सलाह देते हैं। जिससे आप में मानसिक तनाव जैसी या ना उत्पन्न हो सके साथ ही साथ कुछ दवाओं के प्रयोग करने की सलाह देते हैं। यह दवाइयां एंटी डिप्रेशन में प्रयोग की जाने वाली दवाइयां होती हैं जो डिप्रेशन के मरीजों को दी जाती हैं। किंतु pms की समस्या से जूझ रही महिलाओं को इन दवाओं का प्रयोग दैनिक रूप से नहीं करना होता है।
इनका प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर मासिक धर्म प्रारम्भ होने के 1 सप्ताह पूर्व से करने की सलाह दी जाती है। कई स्थिति में डॉक्टर इसे मासिक धर्म समाप्त होने के पश्चात भी प्रयोग करने की सलाह देते हैं। इन दवाओं में मुख्य रूप से फ्लूक्साइटीन (प्रोजाक, सराफेम), पेरॉक्सेटिन (पक्सिल, पेक्सवा) और सर्ट्रालीन (ज़ोलॉफ्ट) दवा शामिल है। इन दवाइयों का प्रयोग बिना डॉक्टर के परामर्श के नहीं करना चाहिए जो आपके के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory Drugs)
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की पुष्टि हो जाने पर महिलाओं के स्तनों में सूजन आ जाती है तथा स्तनों के साथ-साथ शरीर के विभिन्न भागों में भी सूजन की समस्या होने लगती है इस तरह का शरीर में सूजन दूर करने के लिए तथा पीएम की समस्या को समाप्त करने के लिए आपको नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स लेने की सलाह दे सकते हैं। यह दवाइयां शरीर से सूजन तथा दर्द को दूर करते हैं जिसके कारण यह प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की समस्या को दूर करने में सहायक होती हैं।
मूत्रवर्धक दवाएं Diuretics
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की समस्या से पीड़ित मरीज को उपरोक्त मानसिक तनाव की दवाइयां तथा स्तनों तथा शरीर में सूजन की समस्या को समाप्त करने के पश्चात पीएमएस की समस्या समाप्त नहीं होती है तो डॉक्टरों द्वारा मरीजों को मूत्र वर्धक सलाह दी जाती है। जिससे यूरिन द्वारा शरीर के विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकाल दिया जाते हैं।
इन दवाओं का प्रयोग करने से किडनी से सभी विषाक्त पदार्थों को यूरिन द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। जिससे शरीर में विभिन्न प्रकार के विषाक्त पदार्थों की कमी हो जाती है पता pms से संबंधित लक्ष्मण में कमी आती है। जिससे सीएमएस की समस्या धीरे-धीरे ठीक होने लगती है स्पिरोनोलैक्टोन (एल्डैक्टोन) एक मूत्रवर्धक है जो पीएमएस के कुछ लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाएं Hormonal Contraceptive Drugs
डॉक्टर हार्मोनल गर्भनिरोधक दवाओं को लेने की सलाह अंत में देते हैं। क्योंकि इनसे भविष्य में कई महिलाओं को गर्भ धारण करने में समस्याएँ हो सकती है। इन दवाओं को लेने से ओव्यूलेशन प्रक्रिया रूक जाती है। जिससे पीएमएस से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है।
premenstrual syndrome causes में स्पष्ट रूप से किसी प्रकार के लक्षण प्रदर्शित ना होने के कारण इसका इलाज करना बहुत ही मुश्किल होता है अतः डॉक्टर विभिन्न प्रकार के प्रयोगों द्वारा पीएमएस से इलाज करने की कोशिश करते हैं जिसमें अत्यधिक समय लगता है तथा रोगी को ठीक होने में भी काफी समय लग जाता है।
पीएमएस और पीएमडीडी में फर्क
सामान्य रूप से पीएमएस तथा पीएमडीडी में बहुत अधिक अंतर नहीं होता है तथा दोनों के लक्षण भी एक जैसा ही दिखाई देते हैं क्योंकि पीएमडीडी पीएमएस का ही एक बड़ा हुआ रूप होता है, जो अधिक दिनों तक इलाज न कराने के कारण दिखाई देता है। प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम जब अधिक मात्रा में शरीर में प्रभावित हो जाता है, तो वह प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर का रूप ले लेता है।
जिससे शरीर में आने विभिन्न प्रकार की समस्याएं बढ़ जाती हैं पीएमएस की तरह, पीएमडीडी के लक्षण एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और सेरोटोनिन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण हो सकते हैं। पीएमडीडी की समस्या होने पर भी महिलाओं में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं
- अवसाद होना या ऐसा अनुभव होना।
- बिना किसी कारण अचानक से उदास होना और लंबे समय तक उदासी बने रहना।
- अचानक से या हर कुछ समय में रोने का मन करना।
- हमेशा आत्महत्या के विचार आना।
- घबड़ाहट बने रहना।
- बिना किसी वजह के क्रोध या चिड़चिड़ापन।
- लगातार बिना वजह के चिंता होना।
- मूड में अचानक बदलाव होना।
- दैनिक गतिविधियों में रुचि की कमी।
- नींद न आना या अच्छी नींद न आना।
- सोचने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी।
- लगातार भूख लगना और पेट भरने के बाद भी लगातार खाते रहना।
- स्वाद और खाने की पसंद में बदलाव होना।
- दर्दनाक ऐंठन, जिससे दवाओं से भी आराम न मिलना।
- शरीर के कई हिस्सों में सूजन आना।
- मूत्राशय में दर्द बनना।
- विशेष रूप से स्तनों में सूजन आना।
उम्र प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम को किस प्रकार प्रभावित करती है
हाँ, उम्र प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम को प्रभावित करती है। माहवारी की शुरुआत 14 से 15 वर्ष के बीच शुरू हो जाती है, लेकिन पीएमएस की समस्या किस उम्र में होना शुरू होगी इस बारे में फ़िलहाल तक कोई स्पष्ट जानकारी मौजूद नहीं है।
लेकिन आमतौर पर यह 25 से 45 वर्ष की महिलाओं को होने की आशंका बनी रहती है, पर पीएमएस की समस्या रजोनिवृत्ति के दौरान खत्म होना शुरू हो जाती है जिस दौरान महिलाओं की उम्र 45 वर्ष से अधिक होती है। जब महिलाएं 30 या 40 के उम्र के बीच होती है तो उस दौरान पीएमएस के लक्षण गंभीर हो सकते हैं, यह महिलाओं के उम्र का वह दौर होता है जब वह रजोनिवृत्ति के करीब होती है, इसे पेरिमेनोपॉज कहा जाता है।
अगर महिलाओं को पीएमएस के कारण इस दौरान समस्याओं का सामना करना पड़े तो उन्हें रजोनिवृत्ति संक्रमण होने की आशंका हो सकती है। हाँ, लेकिन यह स्पष्ट है कि रजोनिवृत्ति के बाद जब माहवारी चक्र बंद हो जाता है तो महिलाओं को प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम यानि प्रागार्तव की समस्या होना हमेशा के लिए बंद हो जाती है। अलग-अलग उम्र की स्थिति में प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की समस्याएं अलग-अलग होती हैं इसलिए देखा गया है कि pms का उम्र भर प्रभाव पड़ता है या अलग अलग अलग अलग रूप से प्रभावित होता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षणों से बचने के लिए कुछ उपाय
डॉक्टरों द्वारा पीएमएस का अभी तक कोई स्थाई इलाज नहीं घोषित किया गया है किंतु विभिन्न प्रकार की दवाइयां द्वारा इस बीमारी का इलाज करने की कोशिश की जाती है तथा इसके बढ़ते लक्षणों पर रोक लगाई जाती है। प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के इलाज के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए तथा दोनों के साथ साथ कुछ उपाय अपनाने चाहिए जो premenstrual syndrome causes के बढ़ते लक्षणों पर रोक लगाता है प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए
- पीएमएस की समस्या से होने वाली पेट की सूजन को दूर करने के लिए ज्यादातर तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए तथा कुछ विशेष प्रकार के हर पल पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो पाचन क्रिया में आसानी से पच सकते हैं तथा जिनका लीवर द्वारा आसानी से पाचन कर दिया जाता है।
- अधिक से अधिक संतुलित आहार का प्रयोग करें तथा पर्याप्त मात्रा में प्रकृति में पाए जाने वाले सब्जियों फलों तथा खड़े अनाजों का प्रयोग अधिक मात्रा में करें जो शरीर को पर्याप्त पोषण प्रदान करते हैं।
- चीनी नमक कैफीन कथा अल्कोहल से दूरी बनाकर रखें यदि आपको पीएमएस के लक्षण दिखा देते हैं तो इनका सेवन ना करें।
- ऐंठन और मूड से जुड़े लक्षणों से राहत पाने के लिए आप अपने चिकित्सक से फोलिक एसिड, विटामिन बी –6, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे सप्लीमेंट ले सकते हैं।
- दिन में कम से कम 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेनी चाहिए जिससे शरीर को पर्याप्त आराम मिल सके और थकान दूर हो और समग्र स्वास्थ्य में सुधार हो।
- सूर्य की रोशनी, भोजन, या सप्लीमेंट आहार के माध्यम से अधिक विटामिन डी प्राप्त करने का प्रयास करें, इससे आपको premenstrual syndrome causes में काफी मदद मिलेगी।
- सीएमएस के दौरान युद्ध आप अधिक मानसिकता का अनुभव कर रहे हैं तो इसके लिए आपको अपने मनपसंद की म्यूजिक सुनने की आदत डालनी चाहिए तक इसके लिए आप किसी अपने करीबी से बात भी कर सकते हैं।
- मन को शांत बनाने के लिए दैनिक ओर से योग अभ्यास करना चाहिए।
निष्कर्ष
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम कोई बीमारी नहीं बल्कि बीमारियों का एक समूह है जो महिलाओं में पीरियड से 1 सप्ताह को तथा पीरियड्स के कुछ दिनों बाद तक प्रभावित रहता है। इसमें विभिन्न प्रकार के मानसिक तथा शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं जो विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याएं उत्पन्न करते हैं। इन शारीरिक समस्याओं के कारण महिलाओं को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिससे उनका जीवन प्रभावित होता है उपरोक्त लेख में हमने प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम- लक्षण कारण और बचाव संबंधी कुछ बातें पता दवाइयों का वर्णन किया गया है। जिन के अध्ययन के पश्चात महिलाओं में पीएमएस की समस्या को दूर किया जा सकता है, तथा इससे होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है, क्योंकि पीएमएस का अभी तक कोई स्थाई इलाज संभव नहीं हो पाया है इसलिए पीएमएस से बचाव ही उसका इलाज माना जाता है।
FAQ
कौन से लक्षण होते हैं प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम?
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम मुख्य रूप से कोई लक्षण नहीं होते हैं क्योंकि यह कोई विशेष बीमारी नहीं होती है या 1 बीमारियों का समूह होता है पीएमएस में विभिन्न प्रकार के लक्षण सामने आते हैं जो मानसिक तथा शारीरिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम उपरोक्त लेख में विभिन्न प्रकार के लक्षणों का वर्णन किया गया है। जिनमें मानसिक तनाव तथा स्तनों में सूजन व पेट में ऐठन तथा पीरियड से पूर्व पेट में दर्द की समस्या रहती है इसके साथ साथ प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम के अन्य विभिन्न लक्षण होते हैं।
कैसे ठीक किया जा सकता है प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम को?
एमएस की समस्या को ठीक करने के लिए विभिन्न प्रकार की मानसिक तथा शारीरिक स्थितियों तथा समस्याओं से बचना चाहिए साथ ही साथ उपरोक्त लेख में विभिन्न प्रकार के औषधियों तथा उपायों का वर्णन किया गया है। जिस के अध्ययन के पश्चात प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है, तथा इससे लक्षणों से बचाव ही इसका मुख्य इलाज है डॉक्टरों द्वारा विभिन्न प्रकार की दवाइयां दी जाती है जो पीएमएस के लक्षणों को ठीक करते हैं जिसमें नींद आने की दवा तथा मानसिक तनाव की दवा आदि शामिल होते हैं साथ ही साथ विभिन्न प्रकार की पेट की समस्याओं को ठीक करने की भी दवाई शामिल होती है।
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने का क्या कारण है?
प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं जो शारीरिक तथा मानसिक रूप से शरीर को प्रभावित करते हैं उपरोक्त लेख में पीएमएस होने के विभिन्न कारणों का वर्णन किया गया है जो पीएमएस की संभावनाएं उत्पन्न करते हैं प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के के पर्याप्त कारणों का अध्ययन अभी तक नहीं हो पाया है। किंतु डॉक्टरों द्वारा इसके कुछ ज्ञात कारण हैं जिनके आधार पर सीएमएस का इलाज किया जाता है। पीएमएस होने के मुख्य कारण धूम्रपान करना पर्याप्त नींद ना लेना किसी प्रकार की मानसिकता का शिकार होना अत्यधिक चिंता ग्रस्त रहना आदि कारण हो सकते हैं जिनके कारण प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की समस्या होने लगती है।
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