बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज-बवासीर को जड़ से खत्म कर देते हैं ये आसान से घरेलू नुस्खे, ऐसे करिए इस्तेमाल

बवासीर यानी पाइल्स बहुत ही खतरनाक बीमारी है। Bawasir पेट की खराबी व कब्ज के कारण होता है। बवासीर में में मलद्वार पर असहनीय दर्द होता है। बवासीर के कारण मलद्वार पर छोटे-छोटे मस्से हो जाते हैं। मस्सों की वजह से मलद्वार पर चुभन असहनीय दर्द घाव आदि हो जाते हैं। यदि बवासीर का सही समय पर इलाज न किया गया तो इस पर मलाशय में कैंसर भी हो सकता है। इस लेख में हम आपको बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताएंगे, यदि आप भी बवासीर जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित हैं, तो बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय जानकर बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

इनके प्रयोग से बवासीर को जड़ से करें ख़त्म

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बवासीर के प्रकार

बवासीर एक गंभीर बीमारी है यह मानव के मलाशय में होने वाला एक रोग। है इसके निम्नलिखित दो प्रकार होते हैं।

  • खूनी बवासीर
  • बादी बवासीर

खूनी बवासीर

खूनी बवासीर में मालासर द्वार पर खून की नसों में खून जमने लगता है। जिससे मल त्याग करने पर अधिक जोर लगाने से खून का रिसाव होने लगता है, तथा मलाशय में होने वाले मस्सों से खून का स्राव होने लगता है। इस प्रकार की होने वाली समस्या को खूनी Bawasirकहते हैं। खूनी बवासीर मलाशय के अंदर और बाहर दोनों जगह हो सकती हैं। 

खुनी बवासीर

लक्षण खूनी बवासीर के

  • मल त्याग के समय खून निकलता है।
  • स्टूल के रंग में बदलाव आ जाता है।
  • खूनी बवासीर ज्यादा दिन का हो जाता है तो खून आपके अंडर वियर में भी हो सकता है।
  • हर समय एनल मार्ग में दर्द रहता है।
  •  सिर दर्द और चक्कर जैसे लगते हैं।
  • उल्टी होती है और जी मचल आता है।
  •  हर समय बुखार और सर दर्द बना रहता है।
  •  शरीर का वजन कम होने लगता है।

बादी बवासीर

बादी बवासीर

बादी बवासीर में मलद्वार में सूजन मलद्वार  मस्से घाव हो जाते हैं। मलद्वार में बाहर कुछ भी दिखाई नहीं देता है, किंतु मल त्याग के समय असहनीय दर्द होता है। मल त्याग करते समय यदि अधिक जोर लगाते हैं, तो कभी-कभी रक्तस्राव एक आध बंद हो जाता है बादी बवासीर खूनी बवासीर का प्राथमिक स्तर होती है। 

लक्षण बादी बवासीर के

बादी बवासीर होने के बाद मलद्वार में सूजन हो जाती है, और मस्सों के साथ-साथ निम्नलिखित और भी लक्षण दिखाई देते हैं।

  •  मलद्वार में सूजन हो जाती है।
  •  मलाशय के अंदर एवं बाहर छोटे-छोटे मस्से हो जाते हैं।
  •  मस्से होने के कारण मल त्याग में दर्द होता है।
  •  मल अधिक टाइट होने पर मल के साथ खून भी आता है।
  • कब्ज होने के कारण मल त्याग में अधिक समय लगना।
  •  मलद्वार पर कांटे जैसी चुभन का एहसास होना।

बवासीर के इलाज के लिए कुछ पतंजलि आयुर्वेदिक औषधियां

पतंजलि आयुर्वेद में बवासीर के इलाज के लिए बहुत सारी Bawaseer ki dawai उपलब्ध हैं, जिनके उपयोग से बवासीर जड़ से खत्म की जा सकती है। बवासीर को 4 चरण में बांटा गया है। पहले और दूसरे चरण का इलाज तो संभव है किंतु तीसरे और चौथे चरण के बवासीर की दवा संभव नहीं है। यदि हम बवासीर से को पहले और दूसरे चरण पर ही रोक लेते हैं, तो यह खतरनाक नहीं हो पाती है। पतंजलि में निम्नलिखित आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज संभव हो सकता है, जिनके नियमित सेवन से आप बवासीर जैसी समस्या से निजात पा सकते हैं।  

पतंजलि

  • अर्शकल्प वटी ।
  • इसबगोल भूसी ।
  • दिव्य सर्वकल्प क्वाथ तथा दिव्य कायाकल्प क्वाथ।

अर्शकल्प वटी 

अर्शकल्प वटी पतंजलि द्वारा निर्मित बवासीर की एक आयुर्वेदिक रामबाण बवासीर की दवा है। अर्शकल्प वटी बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाओं का मिश्रण है। जो बवासीर के मलाशय में होने वाली सूजन को कम करता है, तथा कब्ज को दूर करता है कब्ज दूर करती है, जिससे मल त्याग में आसानी होती है। मल त्याग में आसानी होने के कारण बवासीर की समस्या से धीरे-धीरे आराम मिलता है। अर्शकल्प वटी बवासीर के साथ-साथ फिस्टुला जैसी खतरनाक बीमारी को भी खत्म कर सकती है।  

रामबाण दवा

अर्शकल्प वटी की प्रयोग विधि

अर्शकल्प वटी की एक डिब्बे में 60 गोलियां होती हैं। नियमित रूप से एक गोली का प्रयोग सुबह शाम करना चाहिए इससे Bawasir जैसे गंभीर समस्या से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।  

इसबगोल भूसी 

पतंजलि द्वारा निर्मित इसबगोल की भूसी एक आयुर्वेदिक रामबाण बाबासीर का दवाई है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है। फाइबर होने के कारण यह शरीर में फाइबर की कमी नहीं होने देती है। इसबगोल भूसी बहुत सी लैक्सेटिव की तरह काम करती है। जिससे मल त्याग में बिल्कुल भी जोर नहीं लगाना पड़ता है, और पाचन क्रिया को संतुलित रखती है। इसके नियमित प्रयोग से Bawasir से छुटकारा पाया जा सकता है।  

इसबगोल भूसी 

इसबगोल भूसी की प्रयोग विधि

इस बगोल भूसी का प्रयोग नियमित 5 से 10 ग्राम गर्म दूध के साथ प्रयोग करने से कब्ज जैसी समस्या दूर हो जाती है। जिससे बवासीर जैसे समस्या से छुटकारा मिलता है इसका प्रयोग सूखा नहीं खाना चाहिए।

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ तथा दिव्य कायाकल्प क्वाथ

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ तथा दिव्य कायाकल्प क्वाथ यह दोनों औषधियां मिलाकर प्रयोग करने से बवासीर जैसी बीमारी को कायाकल्प कर देती हैं। Bawasir जैसे समस्या में यह दोनों औषधियां  बवासीर की दवा का काम रामबाण करते हैं। यह दोनों औषधियां कब्ज, पेट में समस्या से छुटकारा दिलाती हैं, जिससे मल त्याग में जो नहीं लगाना पड़ता है, और बवासीर आसानी से ठीक हो जाता है।  

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ तथा दिव्य कायाकल्प क्वाथ का बवासीर में प्रयोग विधि

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ और दिव्य कायाकल्प क्वाथ दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात: एवं सायं खाली पेट पिएं। इससे आपको बवासीर से छुटकारा मिल जायेगा।

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

बवासीर से परेशान लोगों के लिए बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज बताए गए हैं। जिनका प्रयोग करके आप Bawasir जैसी खतरनाक बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। Bawaseer ki dawai के लिए आपको भिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों को अपनाकर बवासीर का इलाज कर सकते हैं। आयुर्वेद वैद्य द्वारा बवासीर का इलाज संभव आसान है। बवासीर के इलाज के लिए निम्न आयुर्वेदिक पदार्थों का उपयोग कर सकते हैं। 

  • हल्दी
  • छोटी हरड़
  • नीम का तेल
  • छाछ 
  • एलोवेरा 

हल्दी के प्रयोग से बवासीर का इलाज

हल्दी पावडर  एक आयुर्वेदिक रामबाण Bavasir ki dava है। पिसी हुई हल्दी पाउडर को कड़वी तरोई के रस में मिलाकर लगाने से मस्से नष्ट हो जाते हैं। और बवासीर जैसे खतरनाक बीमारी से राहत मिलती है। हल्दी वैसे भी एक ऐसी औषधि है। जो अनेक बीमारियों में फायदेमंद रहती है  हल्दी के प्रयोग से दाद को खत्म कर सकते हैं। इसका प्रयोग नियमित रूप से सुबह शाम करना चाहिए कुछ ही दिनों में आप देखेंगे कि आप बवासीर जैसी गंभीर बीमारी से छुटकारा पा गए हैं।

हल्दी और बवासीर

 बवासीर में हल्दी पाउडर की प्रयोग विधि

  • हल्दी को पीसकर उसका पाउडर बना लेते हैं।
  •  पाउडर को कड़वी तरोई के रस के साथ मिक्स करते हैं।
  •  इस मिक्सचर को दिन में दो बार मस्सों में लगाते हैं।
  •  यदि कड़वी तरोई का रस ना हो तो हल्दी पाउडर को नीम के तेल से भी लगाया जा सकता है।

छोटी हरड़ बवासीर के लिए रामबाण औषधि

छोटी हरड़ आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होती है। छोटी हरड़ के आयुर्वेदिक गुणों के कारण यह बहुत सारे रोगों के इलाज में काम आती है। आयुर्वेद में इसका उपयोग बहुत समय पहले से किया जा रहा है। छोटी हरड़ का  उपयोग Bavasir ki dava में भी किया जा सकता है इससे बवासीर जैसे खतरनाक बीमारी से छुटकारा मिलता है।

छोटी हरड़

 बवासीर के इलाज के लिए छोटी हरड़ का प्रयोग विधि

  • छोटी हरड़ को पीसकर सर्वप्रथम उसका चूर्ण बनाते हैं।
  • छोटी हरड़ के चूर्ण को 2 से 5 ग्राम नियमित सेवन करने से बवासीर में आराम मिलता है।
  •  छोटी हरड़ को चोर को अरंडी के तेल में मिलाकर मस्सों में लगाने से बवासीर से आराम मिलता है।
  • छोटी हरड़ के चूर्ण को दिन में दो बार पानी के साथ लेना चाहिए।

बवासीर में असरदार है नीम का तेल

नीम का पौधा लगभग सभी प्रकार की बीमारियों में काम आता है। नीम के पेड़ के प्रत्येक अंग नीम की पत्तियां, तना, जड़, एवं फलों से प्राप्त तेल आज आयुर्वेदिक गुणों से भरे हुए होते हैं। इसलिए प्राचीन काल से ही आयुर्वेद के उपचार में नीम का प्रयोग किया जाता है। नीम के तेल के नियमित प्रयोग से बवासीर जैसी गंभीर समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

नीम का तेल

 बवासीर के इलाज के लिए नीम के तेल की प्रयोग विधि

  • नीम के बीजों को पीसकर मौसम में लगाने से बवासीर में आराम मिलता है।
  • नीम के तेल को बाबासीर के मस्सों में लगाने से बवासीर में आराम मिलता है।
  •  नीम के तेल की चार-पांच बंदे नियमित सेवन से बवासीर में आराम मिलता है।
  •  नीम के बीजों को गुड़ के साथ मिलाकर 7 दिनों तक खाने से बवासीर में आराम मिलता है।

छाछ का नियमित सेवन दिला सकता है आपको बवासीर से आराम

छाछ या पतली दही के नियमित सेवन से  कब्ज जैसी भयानक समस्या से राहत मिल सकती है। यदि आपका कब्ज सही रहेगी तो निश्चित रूप से Bawasir सही हो जाएगी छाछ की तासीर ठंडी होने के कारण यह बाबासीर का दवाई बवासीर जैसी भयानक बीमारी से राहत देता है।

छाछ

बवासीर में छाछ की प्रयोग विधि

  • बवासीर में छाछ का नियमित प्रयोग करना चाहिए।
  •  बवासीर में छाया पतली दही गाय के दूध से बने हो तो अति उत्तम होगा।
  •  छाछ में हल्का सा काला नमक डालकर नियमित इसका प्रयोग करना चाहिए।
  •  छाछ खाने से कब्ज में आराम मिलता है इससे बवासीर से हो जाती है।

बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय एलोवेरा से

एलोवेरा एक और आयुर्वेदिक औषधि है एलोवेरा जेल का प्रयोग Bawasir ki dava में किया जाता है। एलोवेरा के औषधीय गुण होने के कारणों के साथ बवासीर में अत्यधिक लाभदायक है। एलोवेरा के सूजनरोधक और चिकित्सकीय गुणों से Bawasir की जलन कम हो जाती है, और कब्ज की समस्या नहीं होती। यह आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के पाइल्स के इलाज में लाभदायक है।

बवासीर मे अलोवेरा

एलोवेरा के उपयोग की प्रयोग विधि बवासीर में

  •  गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं।
  • एलोवेरा जेल जलन और खुजली को शांत करता है।
  • एलोवेरा के 200-250 ग्राम गूदे को खाएं, इससे कब्ज नहीं होगी और मलत्यागने में आसानी होगी।
  • एलोवेरा जेल का गोदा पेट को ठंडक पहुंचाता जिस से कभी नहीं होता है और या और सिर में फायदा करता है।

उपाय बवासीर से बचने के

 बवासीर एक ऐसी दर्दनाक एवं असहनीय दर्द देने वाली बीमारी होती है। जिसको प्रारंभिक स्तर पर हम बाबासीर का दवाई नहीं करते हैं, यदि प्रारंभिक स्तर से ही बाबासीर का दवाई किया जाए तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। निम्नलिखित कुछ तथ्यों को अपना कर हम बवासीर जैसी खतरनाक बीमारी से हमेशा के लिए बचे रह सकते हैं।  

बचने के उपाय

  • बवासीर से बचने के लिए गरिष्ठ खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • आशीष से बचने के लिए भारी सामान नहीं उठाना चाहिए।
  •  मस्तिष्क को अधिक समय के लिए तनाव में नहीं रखना चाहिए।
  •  ज्यादा समय तक खड़े होकर काम नहीं करना चाहिए।
  •  पेट में गैस उत्पन्न करने वाले भोज पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  •  जो भोज्य पदार्थ आपके पेट में कब्ज बना देते हैं उनका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अधिक मसालेदार भोज पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  •  पहली पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।  
  • मैदे से बनी वस्तुओं का सेवन कम से कम करना चाहिए।  
  • चाय और कॉफी का सेवन कम से कम करना चाहिए।  
  • फाइबर युक्त  भोज पदार्थों का सेवन करना चाहिए।  
  • मल त्याग के लिए अधिक देर तक नहीं बैठना चाहिए।

आज के जीवन में हम अपने पेट को विभिन्न प्रकार के फास्ट फूड एवं गरिष्ठ भोजन पदार्थ ओं को खाकर खराब कर लेते हैं। जिनसे हमारे पेट में कभी जैसी बीमारी हो जाती है। कब्ज होने के कारण हमारे पेट से गैस एवं मल त्याग में समस्या होने लगती है। यदि हम मल त्याग में अधिक तेज जोर लगाते हैं, तो वह बवासीर के कारण होता है। Bawasir से बचने के लिए आज के जीवन में हम उपर्युक्त आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग कर सकते हैं। किंतु शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उपर्युक्त बताए गए कुछ तरीके बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। अतः अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए बवासीर जैसी समस्या से बचे रहें।

और पढ़ें – दाद को जड़ से खत्म करने की दवा

पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

कृपया piles treatment in hindi में बताएं?

उपर्युक्त लेख में Bawaseer ki dawai को हिंदी में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। जिस के अध्ययन से आप खतरनाक बीमारी बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज कर सकते हैं।

परमानेंट बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज  क्या है?

उपर्युक्त बताए गए सभी विधियां रामबाण बवासीर की दवा है, किंतु कुछ सावधानियां लेते हुए। यदि आप अपना खान-पान सही रखते हैं, तो निश्चित तौर पर इस विधि द्वारा परमानेंट बवासीर समाप्त हो जाती है।

क्या सभी प्रकार की बवासीर में खून आता है?

सभी प्रकार की बवासीर में खून नहीं आता है। खून केवल खूनी बवासीर में ही निकलता है। किंतु कभी-कभी मल त्यागने में मल के टाइट होने के कारण मल के मस्सों में रगड़ने से खून आ जाता है।  

बवासीर के कारण होने वाली क्या दूसरी बीमारियां होती हैं?

यदि Bawasir काफी लंबे समय से है तो खून निकलने के कारण इसमें शरीर में हूं खून की कमी हो जाती है। जिससे शरीर में कमजोरी हो जाती है इसे चक्कर आना सर दर्द होना और बुखार जैसी समस्याएं होने लगती हैं।

Author Profile

Sambhav Sharma
Sambhav Sharma
संभव शर्मा ने राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय इलाहबाद से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, तथा बैसवारा महाविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। बैसवारा महाविद्यालय द्वारा हिंदी भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के पश्चात संभव शर्मा ने विभिन्न प्रकार की वेबसाइट तथा ब्लॉग में लेखन का कार्य किया है, तथा विभिन्न प्रकार के पत्रिकाओं तथा हुए पोर्टल पर चीफ एडिटर का कार्य भी किया है, तथा पिछले 5 सालों से इन्होंने ACPP.MD वेबसाइट के लिए मुख्य एडिटर के रूप में कार्य किया है, जिन का योगदान इस वेबसाइट के लिए महनीय है। इनके द्वारा एडिट किए गए सभी प्रकार के लेख लोगों के स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित हुए हैं।

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