क्लोट्रिमजोल एक प्रकार की एंटी फंगल क्रीम है जिसका उपयोग फंगस और बैक्टीरियासे बचने के लिए किया जाता है। जब हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और हमारे आसपास किसी प्रकार के फंगस के संक्रमण के कारण हमारा शरीर प्रभावित होता है, तो हमारे शरीर पर विभिन्न प्रकार के त्वचा संबंधी रोग हो जाते हैं। ऊपरी त्वचा से संबंधी रोग होने के कारण हमारे शरीर पर खुजली तथा जलन की समस्या होने लगती है। साथ ही साथ हमारे शरीर की त्वचा अपने सामान रंग से थोड़ा परिवर्तित हो जाती है। यदि आपके शरीर में किसी प्रकार का फंगल संक्रमण के कारण कोई रोग हुआ है, तो आज हम आपको फंगस संक्रमण को समाप्त करने के लिए clotrimazole cream uses in hindi की जानकारी उपलब्ध कराएंगे, जिससे आप त्वचा के संक्रमण सामान्य रोगों से निजात पा सकते हैं।
साथ ही साथ इंटरनल पार्ट में हुई फंगस की समस्या को भी दूर कर सकते हैं। क्लोट्रिमजोल क्रीम हमारे शरीर से फंगस की समस्या को दूर करती है तथा त्वचा संबंधी बीमारियों से शरीर को स्वस्थ बनाती है। यह क्रीम तथा टेबलेट दोनों रूपों में उपलब्ध है, जिसे अलग-अलग समस्या के लिए अलग तरीके से प्रयोग किया जाता है। जब हम लंबे समय तक किसी अनहाइजीनिक क्षेत्र तथा नमी वाले क्षेत्र के संपर्क में रहते हैं, तो हमारे आस पास बहुत सारे कवक तथा बैक्टीरिया जन्म लेने लगते हैं। जिस समय हमारे आसपास कवक तथा बैक्टीरिया जन्मते हैं, यदि कुछ समय हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, तो उनका प्रभाव हमारे शरीर पर दिखाई देने लगता है, जिसके कारण हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के संक्रमण संबंधी रोग हो जाते हैं।
संक्रमण इंटरनल तथा एक्सटर्नल दोनों तरीके से हो सकता है। एक्सटर्नल रुप से होने वाला फंगस का संक्रमण हमारे शरीर के ऊपरी त्वचा को प्रभावित करता है तथा इंटरनल होने वाला संक्रमण हमारे मुंह तथा गले के अंदर और महिलाओं की योनि के अंदर प्रभाव दिखाता है, जिससे दोनों स्थितियों में खुजली तथा जलन का अनुभव होता है, जिससे हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न प्रकार की एंटीफंगल दवाओं का प्रयोग फंगस को ठीक करने के लिए किया जाता है, जिसमें clotrimazole cream uses मुख्य रूप से किया जाता है, जो टेबलेट कथा क्रीम के रूप में उपलब्ध है जिसके प्रयोग द्वारा फंगस के इंफेक्शन को ठीक किया जाता है।
फंगल संक्रमण
जब हम किसी अनहाइजीनिक स्थान में जाते हैं या किसी फंगल संक्रमित व्यक्ति से मिलते हैं, तो फंगस हमारे शरीर को संक्रमित करता है, किसका प्रभाव हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने के कारण होता है। जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता फंगस के प्रभाव से कमजोर हो जाती है, तो हमारे शरीर के अंग से संबंधित विभिन्न प्रकार की बीमारियां दिखाई देती हैं, जिन में जलन खाज खुजली के साथ-साथ त्वचा संबंधी विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन शामिल है, जिनसे त्वचा में विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं।
फंगल इंफेक्शन फैलने के कारण
यदि आपके आसपास बहुत अधिक फंगल इन्फेक्शन फैलता है, तो आपको इस से बच कर रहना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि फंगल इंफेक्शन के कारण विभिन्न प्रकार की त्वचा संबंधी बीमारियां होती हैं, जो हमारी त्वचा को बीमार बना देती हैं, जिसके कारण व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की त्वचा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण तथा वातावरण प्रभाव के कारण फंगल इन्फेक्शन एक सामान्य घटना होती है, किंतु यह जिस बैक्टीरिया के कारण फैलती है वह सामान्य नहीं होता है, क्योंकि फंगल फंगस नामक कवक से फैलता है, जो हमारे आसपास के सड़े-गले तथा अपशिष्ट पदार्थों से उत्पन्न होते हैं।
इसलिए अपने आसपास साफ सफाई का बहुत ध्यान देना चाहिए। हमारे आसपास के क्षेत्र में फंगस का अधिक प्रभाव होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं
- जब मौसम की नमी के कारण हवा में नमी और ह्यूमिडिटी बढ़ती है तो कवक तथा बैक्टीरिया अधिक मात्रा में पनपते तथा फैलते हैं।
- बरसात के मौसम में कपड़ों को अच्छी तरह से सुखाकर प्रयोग करना चाहिए तथा अपने आसपास सूखा रखना चाहिए।
- अपने आसपास साफ-सफाई तथा हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए।
- फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए इम्यूनिटी बूस्टर का प्रयोग करना चाहिए।
- फंगल इंफेक्शन वाले व्यक्ति से दूर रहना चाहिए।
- गीले कपड़े, जूते तथा मोजे नहीं प्रयोग करना चाहिए।
- फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए कपड़े जूते मौजे तथा बिस्तर नहीं शेयर करना चाहिए।
- अनहाइजीनिक तथा सड़े गले पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
फंगल इंफेक्शन फैलने के लक्षण
मौसम परिवर्तन जैसी अन्य विभिन्न प्रकार की वातावरणीय दशाओं के कारण तथा हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से हमारे शरीर में फंगल इंफेक्शन हो जाता है, किंतु इसका सही समय पर हमें पता नहीं चलता है जिसके कारण जब इसका संक्रमण हमारे शरीर पर अधिक मात्रा में होता है, तो हम इसके बारे में जानते हैं, लेकिन तब तक फंगस तथा कवक का संकरण हमारे शरीर के काफी क्षेत्र में हो चुका होता है। इसलिए इसके इलाज में काफी लंबा समय लग जाता है, किंतु फंगस के संक्रमण को यदि प्रारंभिक स्थिति पर ही रोका जाए तो हमें अधिक कठिनाई का सामना ना करना पड़े।
इसलिए आज हम आपको फंगस की समस्या से उत्पन्न होने वाले लक्षणों के बारे में बताएंगे जिससे आप फंगस की पहचान सही समय पर कर सकें और प्रारंभिक स्तर पर ही clotrimazole cream uses फंगस की समस्या को समाप्त किया जा सके। यह लक्षण निम्नलिखित हैं
- त्वचा पर लाल दाने और रैशेज (Skin Rashes)
- स्किन पैचेस (लाल रंग के)
- प्रभावित जगह पर सफेद रंग का पाउडर बनना
- स्किन पर पपड़ी बनना (Skin Flakes)
- स्किन लाल हो जाना या त्वचा से गहरे रंग की हो जाना
- त्वचा पर खुजली होना
- त्वचा में जलन होना
Clotrimazole Cream Uses
क्लोट्रिमजोल एक प्रकार की एंटी फंगल क्रीम है जो विभिन्न प्रकार की फंगस संबंधी बीमारियों को दूर करने में मदद करती है। आधुनिक समय में प्रदूषण तथा अन्य कारकों से कवक तथा बैक्टीरिया के साथ-साथ फंगस बहुत अधिक मात्रा में पनपते हैं, हमारे आसपास फंगस का अधिक होने के कारण हमें फंगस से इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ने लगता है। जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और हमारे शरीर पर किसी प्रकार के फंगस इंफेक्शन होते हैं तो हमारे त्वचा तथा इंटरनल पार्ट में कुछ समस्याएं देखने को मिलती हैं, जिसके हमारे शरीर के ऊपरी त्वचा तथा इंटरनल प्राइवेट पार्ट में जलन तथा खुजली की समस्या होती है।
इस समस्या को ठीक करने के लिए Clotrimazole Cream Uses करने की सलाह दी जाती है, जो फंगस तथा कवक बैक्टीरिया संबंधित विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करती है। फंगस की समस्या दूर करने के लिए Clotrimazole Cream के साथ-साथ लुलीकोनाज़ोल क्रीम का प्रयोग भी किया जाता है जो एक एंटीफंगल क्रीम है। क्लोट्रिमजोल क्रीम का प्रयोग निम्नलिखित फंगल संबंधी रोगों को दूर करने में प्रयोग की जाती है
- रैशेज स्किन इन्फेक्शन
- त्वचा का फटना
- त्वचा में खुजली तथा जलन
- स्किन इंफेक्शन
- पिटिरियासिस (टिनिया वर्सीकोलर)
- नाभि में इन्फेक्शन
- बाहरी कान में इंफेक्शन
- पेनिस इन्फेक्शन
- योनि में सूजन
- मुह में फंगल इन्फेक्शन
- सेहुआ
रैशेज स्किन इन्फेक्शन
जैसे ही बरसात के मौसम के साथ-साथ मौसम में नमी प्रारंभ होती है, हमारे आसपास कवक तथा बैक्टीरिया का जमाव बढ़ने लगता है तथा हम दैनिक रूप से कवक तथा बैक्टीरिया जैसे फंगस से प्रभावित होने लगते हैं और इस स्थिति में यदि हमारी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, तो हमारे शरीर में स्किन रैशेज जैसे इंफेक्शन दिखाई देने लगती हैं, जिनके कारण हमारे शरीर पर अकारण ही छोटे छोटे दाने तथा अन्य समस्याएं होने लगती हैं, जिसके कारण हमारे शरीर की त्वचा प्रभावित होती है तथा चेहरा खराब हो जाता है।
जिसे ठीक करने के लिए चेहरे को सुंदर बनाने वाली क्रीम तथा विभिन्न प्रकार के कॉस्मेटिक क्रीम का प्रयोग किया जाता है, किंतु उसके शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। स्किन रैशेज को ठीक करने के लिए डॉक्टर द्वारा क्लोट्रिमजोल क्रीम की सलाह दी जाती है, जो शरीर से स्किन रैशेज की इन्फेक्शन को समाप्त करने में सहयोग प्रदान करती है तथा स्किन संबंधित अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याओं को ठीक करती है। फंगस तथा कवक के इंफेक्शन से होने वाले शरीर में स्किन रैशेज को ठीक करने के लिए क्लोट्रिमजोल क्रीम का प्रयोग किया जाता है।
त्वचा का फटना
बरसात के मौसम के साथ जहां कई प्रकार के वायरल इंफेक्शन्स और मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, फंगल इंफेक्शन का रिस्क भी बढ़ जाता है। बरसात का मौसम प्रारंभ होते ही दिल्ली मुंबई कोलकाता जैसे बड़े शहरों में गंदगी के कारण फंगस तथा कवक बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं, जिसके कारण बरसात के मौसम में विभिन्न प्रकार की स्किन संबंधी बीमारियां होती हैं। इन बीमारियों में त्वचा का फटना तथा रुखा हो जाना एक महत्वपूर्ण समस्या होती है।
हमारे शरीर पर कवक तथा व्यक्ति रिया के संक्रमण के कारण त्वचा रूखी हो जाती है, जिसके कारण त्वचा फटने लगती है। त्वचा के फटने की समस्या को दूर करने के लिए फंगल इनफेक्शन समाप्त करना बहुत ही आवश्यक होता है, इसलिए एंटीफंगल क्रीम clotrimazole cream uses किया जाता है, जो शरीर से फंगल इन्फेक्शन को रोककर समाप्त करती है तथा त्वचा के फटने की समस्या को दूर करती है, साथ ही साथ त्वचा को नम बनाए रखने में भी मदद करती है।
त्वचा में खुजली तथा जलन
जब हमारे शरीर में किसी प्रकार का फंगल इंफेक्शन होता है, तो त्वचा में सबसे पहले खुजली तथा जलन होने लगती है जिसके कारण हमें बेचैनी होने लगती है। यदि आपको फंगल इंफेक्शन के कारण त्वचा में खुजली तथा जलन की समस्या हो रही है, तो आप इसे ठीक करने के लिए एंटी फंगल क्रीम तथा दवा का प्रयोग कर सकते हैं। एंटीफंगल क्रीम के रूप में clotrimazole cream uses की सलाह डॉक्टर द्वारा की जाती है।
यह फंगस को फैलने से रोकती है तथा फंगस को समाप्त करने काम भी करती है। इसमें ऐसे रासायनिक तत्वों का समावेश होता है, जो त्वचा को सुंदर तथा आकर्षक बनाने का कार्य भी करते हैं, इसलिए जिन व्यक्तियों में फंगल इंफेक्शन के कारण त्वचा में जलन तथा खुजली की समस्या होती है, जिसके कारण उनकी त्वचा लाल तथा खुरदरी हो जाती है, उनको दैनिक रूप से खुजली की दवा का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर क्लोट्रिमजोल क्रीम का प्रयोग करना चाहिए।
स्किन इंफेक्शन
हमारे शरीर पर स्किन इन्फेक्शन बैक्टीरियल होता है, जो किसी कीड़े के काटने तथा फंगस तथा कवक के इंफेक्शन से होता है, जो पहले एक स्थान को प्रभावित करता है तथा फिर धीरे-धीरे हमारे शरीर की पूरी त्वचा पर फैल जाता है, जिसके कारण हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं। प्रारंभिक स्तर पर बैक्टीरियल इनफेक्शन को पहचान लिया जाता है, तो इसका इलाज करने के लिए एंटीबैक्टीरियल तथा एंटीफंगल क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है।
क्लोट्रिमजोल एंटी फंगल क्रीम है जिसका प्रयोग डॉक्टर द्वारा फंगस तथा बैक्टीरिया को समाप्त करने के लिए किया जाता है। यदि आपके शरीर में स्किन इन्फेक्शन किसी व्यक्ति या फंगस के कारण हुआ है, तो आप उसे ठीक करने के लिए क्लोट्रिमजोल क्रीम का प्रयोग कर सकते हैं, यह बड़ी आसानी से आपके शरीर से स्किन इन्फेक्शन को समाप्त कर देती है तथा स्किन को सुरक्षित तथा चमकदार बनाती है।
पिटिरियासिस (टिनिया वर्सीकोलर)
टीनिया वर्सीकलर एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है जिसे हम पिटिरियासिस के नाम से भी जानते हैं। यह हमारे शरीर में रहने वाले एक विशेष प्रकार के कवक के अधिक संक्रमण तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर प्रभावी होता है, जो हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या के कारण होता है जिसमें संक्रमण आमतौर पर शरीर पर सफेद, गुलाबी, तन या भूरे रंग के धब्बे के रूप में प्रकट होता है। कभी-कभी, ये अलग-अलग पैच एक साथ जुड़ सकते हैं और बड़े पैच बना सकते हैं।
प्रारंभिक समय में यह पैच छोटे छोटे होते हैं और जैसे-जैसे इसका संक्रमण बढ़ता रहता है पैच का आकार भी बढ़ने लगता है जिसके कारण यह पैच एक दूसरे से मिल जाते हैं और बड़े पैच का निर्माण करते हैं तथा कुछ समय पश्चात इसका फैलाव इतना अधिक हो जाता है की शरीर का वह क्षेत्र जहां पर इसका संक्रमण होता है वह प्रभावी रंग का दिखाई देने लगता है, तथा पैच समाप्त हो जाते हैं। इसके इलाज के लिए एंटी फंगल क्रीम तथा दवाइयों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें डॉक्टर द्वारा क्लोट्रिमजोल क्रीम clotrimazole cream uses प्रयोग करने की सलाह दी जाती है, जो फंगल इनफेक्शन तथा एंटीसेप्टिक के रूप में काम करती है।
नाभि में इन्फेक्शन
जब हमारी नाभि में किसी प्रकार का बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण होता है, तो हमारे नाभि से पीले तथा भूरे रंग का दुर्गंध युक्त तरल पदार्थ निकलता है, जिसने खुजली तथा अन्य समस्याएं भी होती हैं। 2012 के एक अध्ययन में पाया गया कि हमारी योनि 67 प्रकार के कवक तथा बैक्टीरिया का घर होती है, जिसके कारण हमारे नाभि में फंगल इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ता रहता है और जैसे हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, हमारे नाभी में प्रभावी रूप से फंगल इंफेक्शन दिखाई देने लगता है, जिसके कारण हमारी नाभि में खुजली तथा दुर्गंध युक्त पीले तथा भूरे रंग के तरल पदार्थ का रिसाव दिखाई देता है।
इसे दूर करने के लिए एंटी फंगल क्रीम तथा एंटीसेप्टिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। एंटी फंगल क्रीम के रूप में डॉक्टर द्वारा क्लोट्रिमजोल क्रीम प्रयोग करने की सलाह दी जाती है, जो विभिन्न प्रकार की पंगत संबंधी समस्याओं को दूर करती है। यदि आपके नाभि में किसी प्रकार का फंगल संक्रमण हुआ है, तो आप इस क्रीम का प्रयोग कर सकते हैं, जो आपके फंगल संक्रमण को ठीक करने में मदद करता है।
बाहरी कान में इंफेक्शन
कान की नली और बाहरी ओपनिंग पर हुए इंफेक्शन को बाहरी कान का संक्रमण कहा जाता है। यह इंफेक्शन आमतौर पर कान में बैक्टीरिया को पनपने के लिए नमी युक्त वातावरण मिलने पर होता है। स्वीमिंग के दौरान कान में पानी चले जाने पर अक्सर बाहरी कान का संक्रमण हो जाता है। इसके अलावा कान में अंगुली डालना, इयर बड या कोई अन्य चीज डालने पर भी इयर कैनल यानी कान की नली की पतली स्किन लेयर को नुकसान पहुंचता है, जिससे संक्रमण हो जाता है।
इस संक्रमण का मुख्य कारण है कान की नली में बैक्टीरिया का पनपना होता है। कान में बैक्टीरिया को पनपने से रोकने के लिए नहाते समय कान में कॉटन का प्रयोग करना चाहिए तथा यदि कान की बाहरी सतह पर इंफेक्शन हुआ है तो इसको ठीक करने के लिए विभिन्न प्रकार के एंटीसेप्टिक तथा एंटीफंगल क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है। एंटीफंगल क्रीम में डॉक्टर द्वारा सलाह दी जाने वाली क्रीम clotrimazole cream है, जिसका प्रयोग कान के बारे में एक्शन को ठीक करने में किया जा सकता है।
पेनिस इन्फेक्शन
पुरुषों के पेनिस में इंफेक्शन के कारण सूजन तथा खुद के जैसे समस्या हो जाती हैं, जिसे बैलेनाइटिस के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी से पीड़ित पुरुषों के लिंग के ऊपर ही स्किन Foreskin में इंफेक्शन (Penis Infection) के कारण होता है। लिंग में सूजन आने के कारण आपको दर्द और तकलीफ हो सकती है। सामान्य रूप से हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के कवर तथा बैक्टीरिया व फंगस उपस्थित होते हैं, किंतु जब भी प्राइवेट पार्ट्स के भाग के पीएच वैल्यू में बदलाव होता है या फिर प्राइवेट पार्ट्स की साफ-सफाई नहीं करते हैं, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, डायबिटीज या एचआईवी की समस्या है, ऐसे मरीजों में कैंडिडा इंफेक्शन बहुत अधिक देखने को मिलता है।
पेनिस इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए डॉक्टर द्वारा सलाह दी जाने वाली clotrimazole cream uses करना चाहिए जो एंटीबैक्टीरियल तथा एंटीफंगल होती है तथा फंगल इंफेक्शन के साथ-साथ अन्य विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन को दूर करने में सहयोग करती है।
योनि में सूजन
योनि में संक्रमण के कारण योनि से स्राव खुजली तथा जलन हो सकती है। महिलाओं में योनि एक ऐसा बॉडी पार्ट होता है जो हमेशा आंतरिक तथा बाहरी रूप से नम बना रहता है, जिसके कारण इसमें कवक तथा बैक्टीरिया का संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए महिलाओं को अपनी योनि समय-समय पर साफ करना चाहिए आमतौर पर योनी में सूजन, योनि के जीवाणुओं के सामान्य स्तर के गड़बड़ाने, किसी संक्रमण या रजोनिवृत्ति (माहवारी बंद होने) के बाद एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण होती है।
संक्रमण के कारण योनि से असामान्य स्राव, खुजली या जलन, मूत्रत्याग के दौरान दर्द और सेक्स के समय दर्द शामिल हैं जिस के उपचार के लिए विभिन्न प्रकार की एंटीफंगल तथा एंटीसेप्टिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। clotrimazole cream uses योनि में संक्रमण को बाहरी रूप से ठीक करने के लिए किया जाता है तथा आंतरिक संक्रमण को ठीक करने के लिए को योनि के अंदर प्रवेश कराया जाता है, जिससे इसमें हुए संक्रमण से धीरे-धीरे आराम मिलता है तथा होने वाली सभी समस्याएं ठीक हो जाती हैं।
मुह में फंगल इन्फेक्शन
म्यूकर माइकोसिस नामक फंगस हमारे शरीर में एक परजीवी की तरह रहता है जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होते ही शरीर पर इसका प्रभाव दिखाई देता है, जिसके कारण हमारे शरीर के विभिन्न अंग नाक, कान, गला तथा विभिन्न प्राइवेट पार्ट्स भी प्रभावित होते हैं। मुंह में इस फंगस का इंफेक्शन होने के कारण मुंह तथा गले में सड़न जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। इस रोग में मुंह के अंदर फंगस बनने लगता है, और ये उस हिस्से को सड़ाने लगता है।
अगर ओरल हाईजीन यानी मुंह की स्वच्छता न रखी जाए तो इस रोग के बढ़ने की आशंका बहुत बढ़ जाती है। इस रोग का फैलाव शुगर पीड़ित व्यक्तियों में बड़ी तेजी से होता है जिसके कारण व्यक्ति को खाना खाने, पानी पीने तथा अन्य विविध प्रकार के खाद्य पदार्थों को ग्रहण करने में समस्या होती है। इसे ठीक करने के लिए clotrimazole टेबलेट तथा clotrimazole ip क्रीम का प्रयोग किया जाता है, जो मुंह में फंगल इन्फेक्शन को दूर करती है।
सेहुआ
कुछ लोगों को त्वचा पर सफेद दाग धब्बे हो जाते हैं। इसे आम भाषा में सेहुँआ (Tinea versicolor) कहते हैं। ये रोग शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। फिर चाहे वो चेहरा हो या हाथ औऱ पैर। किसी-किसी को ये रोग पूरे शरीर में होता है हमारे त्वचा की नेचुरल रंगत मेलनिन नाम के पिगमेंट से मिलती है। जब शरीर में मेलनिन ज्यादा हो, तो रंगत सांवली होती है। अगर मेलनिन कम हो, तो त्वचा का रंग साफ होता है। वहीं अगर मेलनिन की मात्रा काफी कम हो जाए, तो सफेद दाग बनने लगते हैं, जिसे सेहुँआ या सिउली कहते हैं। आधुनिक अनुसंधान से पता चला है कि ये ज्यादातर मलेसेजिया ग्लोबोसा नाम के कवक से होता है। सेहुआ की समस्या से बचने के लिए clotrimazole and beclomethasone cream uses करने की सलाह डॉक्टर द्वारा दे जाते हैं जो इस समस्या से छुटकारा दिलाती है।
क्लोट्रिमजोल क्रीम प्रयोग करने का सही तरीका (Clotrimazole Cream Uses in Hindi)
यदि आप क्लोट्रिमजोल क्रीम का प्रयोग डॉक्टर द्वारा बताया गया विधि के अनुसार सही से करते हैं, तो निश्चित रूप से ही आपको त्वचा पर हुए संक्रमण से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए इस क्रीम का प्रयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए, क्योंकि डॉक्टर आपकी रोग के प्रभाव तथा शारीरिक संरचना के अनुसार दवा का प्रयोग करने की सलाह देते हैं, जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी होती है। क्लोट्रिमजोल क्रीम का प्रयोग करने के कुछ निम्नलिखित निर्देश दिए जाते हैं
- क्लोट्रिमजोल क्रीम एक प्रकार की त्वचा संबंधी क्रीम है इसलिए इसका प्रयोग केवल त्वचा पर संक्रमण को दूर करने के लिए ही किया जाना चाहिए।
- इस क्रीम का प्रयोग करने से पहले संक्रमित क्षेत्र को गर्म पानी की सहायता से अच्छी तरह से धोकर को खा लेना चाहिए।
- संक्रमित क्षेत्र को साफ करने के लिए साबुन तथा शैंपू का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- संक्रमित क्षेत्र को साफ करने के लिए नीम की पत्तियों को गर्म पानी में डालकर उबालना चाहिए तथा उसी पानी से प्रभावित क्षेत्र को साफ करना चाहिए।
- संक्रमित क्षेत्र को साफ करने के लिए Savlon जैसे एंटीसेप्टिक लिक्विड का प्रयोग किया जा सकता है
- इस क्रीम को अपनी आंखों के आसपास ना लगाएं।
- जिस क्षेत्र में संक्रमण हुआ है उसके आसपास भी क्लोट्रिमजोल क्रीम का प्रयोग करना चाहिए।
क्लोट्रिमाजोल क्रीम का दुष्प्रभाव
कभी-कभी किसी व्यक्ति को गलत तरीके से प्रयोग करने तथा शारीरिक संरचना के अनुसार स्क्रीन से साइड इफेक्ट हो सकते हैं, किंतु सामान्य रूप से यह क्रीम पूर्ण रूप से सुरक्षित होती हैं, और हमारी त्वचा संबंधी रोगों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित होती है, लेकिन इसमें उपस्थित रासायनिक तत्वों का कुछ लोगों पर रिएक्शन हो सकता है, जिसके कारण इसके साइड इफेक्ट दिखाई देते हैं। क्लोट्रिमाजोल क्रीम के साइड इफेक्ट निम्नलिखित हैं
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- मत्तली और उल्टी
- स्किन रैश
- त्वचा लाल होना
- प्रभावित क्षेत्र पर त्वचा का लाल होना
- चक्कर आना
- खुजली होना
- चकत्ते निकलना
- सांस लेने में दिक्कत
निष्कर्ष
जब मौसम में अधिक नमी पाई जाती है, या बरसात का मौसम होता है तो हमारे आसपास उपस्थित कवक तथा बैक्टीरिया अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जिसके कारण उनका संक्रमण बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में यदि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, तो हमारे शरीर पर कवक तथा बैक्टीरिया का प्रभाव दिखाई देता है। कवक तथा बैक्टीरिया हमारे शरीर पर विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करते हैं, जिसमें कवक तथा फंगस शरीर की त्वचा संबंधी विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करते हैं जिनके कारण हमारे शरीर की त्वचा पर खुजली त्वचा का लाल होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
हमारे शरीर के एक्सटर्ना तथा इंटरनल दोनों प्रकार के क्षेत्रों में प्रभाव दिखाते हैं जिनके कारण हमारे त्वचा तथा नाक, कान, गला के साथ पुरुषों के लिंग तथा महिलाओं की योनि मार्ग में भी इसका संक्रमण दिखाई देता है, जिससे हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं भी दिखाई देती हैं। यह सभी समस्याओं को दूर करने के लिए उपरोक्त लेख में एंटीफंगल तथा एंटीसेप्टिक क्रीम clotrimazole cream uses in hindi की जानकारी उपलब्ध कराई गई है, जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी हो सकती है। क्लोट्रिमाजोल क्रीम का प्रयोग फंगस के विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
लोगों द्वारा पूछे गए कुछ प्रश्न
क्लोट्रिमेज़ोल क्रीम का उपयोग कब तक करना चाहिए?
फंगल संक्रमण को दूर करने के लिए क्लोट्रिमेज़ोल क्रीम का प्रयोग कम से कम 1 सप्ताह तक किया जाता है, किंतु पूर्ण रूप से संतुष्ट होने के लिए तथा फंगस पुनः ना होने पाए इसके लिए इसका प्रयोग लगभग 2 सप्ताह तक दिन में दो से तीन बार प्रभावित क्षेत्र पर करना चाहिए, जिससे अंगद संबंधी समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है।
कैनेस्टन क्रीम को काम करने में कितना समय लगता है?
थ्रश की समस्या को ठीक करने के लिए कैनस्टन क्रीम का प्रयोग किया जाता है। यह आमतौर पर 7 दिनों के भीतर थ्रश का इलाज करता है, लेकिन इसे वापस आने से रोकने के लिए कम से कम 2 सप्ताह तक संक्रमण का इलाज करना सबसे अच्छा है। सबसे आम दुष्प्रभाव इलाज किए जा रहे क्षेत्र में खुजली या जलन महसूस होना है। थ्रश की समस्या में क्लोट्रिमेज़ोल क्रीम भी उपयोगी साबित होती है।
क्या क्लोट्रिमेज़ोल खुजली बंद कर देता है?
जी हां clotrimazole cream त्वचा संबंधी विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने में सक्षम है, तथा फंगल इन्फेक्शन को दूर करने के लिए भी प्रयोग की जाती है। फंगल इंफेक्शन के कारण त्वचा में खुजली जलन तथा अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए clotrimazole cream का प्रयोग किया जाता है।
आप क्लोमाज़ोल क्रीम का उपयोग कैसे करते हैं?
क्लोमाज़ोल स्किन क्रीम का प्रयोग किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए लगभग 1 सप्ताह तक प्रयोग करना चाहिए। 1 सप्ताह तक दिन में दो से तीन बार लगातार इसका प्रयोग करना चाहिए, जिससे कि शरीर में फंगल इन्फेक्शन समस्या से समाधान प्राप्त होता है, और फंगल इंफेक्शन के कारण हुए विभिन्न त्वचा संबंधी रोग समाप्त हो जाते हैं।
Author Profile
- हमारी टीम ACPP.MD में डॉक्टर पंकज मुख्य चिकित्सक सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं, तथा प्रारम्भिक समय में चिकित्सा के क्षेत्र में इन्होंने नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल गुरुग्राम में चिकित्सक तथा सेक्सोलॉजिस्ट के रूप में कार्य किया है। डॉ पंकज वर्मा ने MD Medicine की डिग्री PGIMER Chandigarh से व डायबिटीज में UK से Fellowship तथा संधिवातीयशास्त्र में PGC की डिग्री USA से किया है, और डॉ पंकज वर्मा ने मनोचिकित्सा और परामर्श में परास्नातक किया हुआ है, वर्तमान समय में पंकज वर्मा अपनी सेवाओं को MBBS डॉक्टर के रूप में AIIMS नई दिल्ली में दे रहे हैं। अपने अनुभव तथा शिक्षा के आधार पर डॉक्टर पंकज वर्मा हमारी टीम ACPP.MD के साथ पिछले कई वर्षों से मुख्य चिकित्सक सलाहकार के रूप में भी कार्यरत हैं, जो समय-समय पर आप सभी के लिए गठिया रोग, गुप्त रोग, तथा मनोचिकित्सा स्वास्थ्य से संबंधित सलाह प्रदान करते हैं, जिनकी सलाह के पश्चात तथा दवाइयां प्रयोग करने से हजारों लोगों ने अपनी बीमारी से संबंधित समस्याएं ठीक की हैं।
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