पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए लक्षण ,कारन तथा उपचार की पूरी जानकारी

गर्मी तथा बरसात के दिनों में जो रोग सबसे अधिक होता है, उसमें से पीलिया एक प्रमुख रोग है, जिसकी वजह से शरीर में खून की कमी हो जाती है, और आंखों तथा नाखूनों का रंग पीला दिखाई देने के साथ-साथ पेशाब का रग पीला हो जाता है, तथा पेट की पाचन क्रिया खराब हो जाती है, तथा शरीर का रंग पीला पड़ जाना, इसके मुख्य लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर में उपरोक्त बताये गए लक्षण जैसे ही दिखाई देते हैं, वैसे तुरंत पीलिया की जांच करानी चाहिए, तथा आपको पीलिया के जांच के पश्चात पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए? यह भी पता होना चाहिए, जिससे आप पीलिया की जांच को सही समझ सके, और यदि कोई समस्या होती है, तो उसका इलाज सही समय पर करा सकें।

यदि आप पीलिया की जांच करवाते हैं, और आपको डॉक्टर बताता है, कि आपको कितने पॉइंट पीलिया है, तो आपको पीलिया रोग का सामान्य मानक पता होना चाहिए। इसकी जानकारी के लिए हम आज आपको पीलिया से संबंधित पूरी जानकारी उपलब्ध कराएंगे जो आपको पी लिया जैसे खतरनाक रोग से लड़ने में सहायक होगी।

पीलिया क्या है

पीलिया क्या है

पीलिया हमारे शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होने वाला एक रोग है, जिसे ज्वाइंडिस के नाम से ही जानते हैं। बिलीरुबिन का निर्माण ऊतकों तथा खून में लाल रुधिर कणिकाओं के टूटने के कारण होता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मानव के शरीर का रक्त कम होने लगता है, और जिसके कारण शरीर के नाखून, आंखें तथा शरीर के ऊपरी स्किन पीली होने लगती है।

लाल रुधिर कणिका के टूटने से बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता है, जिसे रक्त से पृथक करने का कार्य जिगर का होता है, किंतु जब हमारा लीवर रक्त से बिलीरुबिन पदार्थ को पृथक करने में असमर्थ होता है तो हमें पीलिया की समस्या हो जाती है। जिसके कारण त्वचा तथा आंखों का भाग पीला दिखाई देने लगता है। साथ ही साथ पेशाब तथा नाखूनों का रंग पीला दिखाई देने लगता है, यदि ऐसे लक्षण आपके शरीर में दिखाई देते हैं तो यह पीलिया के प्राथमिक लक्षण हो सकते हैं।

बिलीरुबिन क्या है 

बिलीरुबिन क्या है 

बिलीरुबिन एक पीले रंग का तरल पदार्थ होता है, जो हमारे शरीर के पित्ताशय में पाया जाता है। इसका निर्माण लाल रुधिर कणिकाओं के टूटने तथा बोन मैरो से होता है, इसका मुख्य कारण शरीर के पोषण के लिए भोजन को पचाने में सहयोग करने का होता है। भोजन के पाचन के पश्चात हमारे जिगर का कार्य इसे रक्त से पृथक करने का होता है, किंतु जब हमारा लीवर बिलीरुबिन को हमारे रक्त से पृथक करने में असमर्थ हो जाता है, तो हमारे रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण हमारे शरीर में पीलिया रोग हो जाता है, और हमारे शरीर में खून की कमी के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, तथा पाचन क्रिया बाधित होती है। जिसके कारण हमारी आंखों, त्वचा, नाखून, आदि का रंग सफेद या पीला होने लगता है। पीलिया को ज्वाइंडिस के नाम से भी जाना जाता है।

पीलिया के लक्षण

पीलिया के लक्षण

जब हमारे शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ती है, तो हमारा शरीर इसकी अधिकता के कारण प्रभावित होने लगा जिससे हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती है। इन समस्याओं के कारण हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब हमारे शरीर में पीलिया या ज्वाइंडिस की समस्या होती है, तो हमारे शरीर का रंग पीला दिखाई देने लगता है। साथ ही साथ हमारे आंखों का नाखूनों का रंग पीला हो जाता है। पीलिया के कारण हमारे शरीर में निम्नलिखित लक्षण प्रदर्शित होते हैं

  • पेट में दर्द तथा भूख ना लगना।
  • वजन घटना तथा कमजोरी महसूस होना।
  • उल्टी और मितली होना।
  • बुखार तथा फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देना।
  • आंख, नाखून, तथा त्वचा के रंग में परिवर्तन होना।
  • पेशाब का रंग गहरे रंग का तथा मल का रंग धूसर या पीला होना। 
  • क्रोनिक हेपेटाइटिस।
  • तीव्र हेपेटाइटिस।
  • पायोडर्मा गैंग्रीनोसम।
  • पॉलीआर्थ्राल्जिया।
  • नींद ना आना। 

पीलिया होने के कारण

पीलिया होने के कारण

जब हमारे शरीर में लीवर से संबंधित या किसी ऐसे अंग से संबंधित समस्या होती है, जो हमारे शरीर की पाचन क्रिया तथा बिलीरुबिन के पृथक्करण पर प्रभाव डालती है। हमारे शरीर में खून की कमी हो जाती है, खून की कमी के साथ-साथ हमारे शरीर में पीलिया के लक्षण प्रदर्शित होने लगते हैं, इसके पश्चात हमें पीलिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है। पीलिया का मुख्य कारण प्रदूषित भोजन तथा जल ग्रहण करने के कारण होता है, जिसका प्रभाव हमारे लीवर तथा पाचन क्रिया पर पड़ता है, जिसके परिणाम स्वरूप पीलिया जैसी बीमारी जन्म लेती है, जिसे जॉन्डिस कहा जाता है। पीलिया होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं

  • लीवर की सूजन के कारण।
  • लीवर में किसी प्रकार के संक्रमण के कारण हो।
  • हेपेटाइटिस की समस्या के कारण।
  • शराब से संबंधित लिवर की बीमारी के कारण।
  • हेमोलिटिक एनीमिया होने के कारण।
  • गिल्बर्ट सिंड्रोम की समस्या के कारण। 
  • पित्त नलिकाओं में ब्लॉकेज के कारण।
  • पैंक्रियाटिक कैंसर होने के कारण।
  • दवाओं प्रयोग के कारण। 

पीलिया के प्रकार

पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए

पीलिया एक ऐसा रोग है जो हमारे शरीर को शिथिल कर देता है, तथा हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर देती है, जिसके कारण हमारा शरीर कमजोर होता जाता है, और हमारे शरीर में खून की कमी हो जाती है। पीलिया होने के विभिन्न कारणों के आधार पर पीलिया को कई भागों में विभाजित किया गया है, क्यों किया लक्षणों के आधार पर अलग-अलग प्रकार का होता है। पीलिया के प्रकार का विभाजन पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए, के आधार पर किया जा सकता है। पीलिया के होने वाले कारण तथा उसके लक्षणों के आधार पर पीलिया को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है 

  • हेपेटोसेल्यूलर पीलिया।
  • हेमॉलिटिक पीलिया। 
  • अवरोधक पीलिया।

हेपेटोसेल्यूलर पीलिया

जब हमारे लीवर को किसी प्रकार का नुकसान होता है, और लीवर में किसी प्रकार की समस्या आ जाती है, जिसके कारण लीवर सही से कार्य नहीं कर पाता है, और हमारे शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने लगती है, जिसके कारण हैपेटॉसेल्यूलर पीलिया होता है, जो लोग शराब का अधिक सेवन करते हैं, या जिनको हेपेटाइटिस की बीमारी हो जाती है, जिसके कारण लीवर सबसे अधिक प्रभावित होता है। ऐसी समस्याएं होने के कारण भी हैपेटॉसेल्यूलर पीलिया हो जाता है, हैपेटॉसेल्यूलर लीवर के प्रभाव के कारण होता है।

हेमॉलिटिक पीलिया

जब हमारे शरीर में मलेरिया या मलेरिया के समान गुणों वाला कोई रोग होता है हमारे शरीर में लाल रुधिर कणिकाएं बहुत तेजी से टूटने लगती हैं लाल रुधिर कणिकाओं के टूटने से रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बहुत तेजी से बढ़ती है, जिसके कारण हमारे शरीर में हेमॉलिटिक पीलिया हो जाता है। एनालिटिक्स पीलिया रक्त में जरूरत से अधिक बिलीरुबिन की मात्रा के कारण होता है। रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने के कारण लीवर के कार्य करने में समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसे हेमॉलिसिस के नाम से जाना जाता है। हेमॉलिसिस के कारण हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के समस्याओं के साथ-साथ हेमॉलिटिक पीलिया हो जाता है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही घातक साबित होता है।

अवरोधक पीलिया

अवरोधक पीलिया पित्त नलिकाओं को जोड़ने वाली नलिकाओं के बीच ब्लॉकेज के कारण होने वाले अवरोध के कारण हमारा लीवर सही से कार्य नहीं कर पाता है, जिसके कारण अवरोधक पीलिया हो जाता है। अवरोधक पीलिया लीवर गालब्लैडर तथा आंतों को जोड़ने वाली नलिका में लसिका ग्रंथि के सूजन के कारण हो जाता है, जिसमें लीवर को कार्य करने में परेशानी होती है, जो अवरोधक पीलिया का रूप ले लेती है।

पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए

पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए

जैसा कि आपको बताया गया है, कि पीलिया में हमारे रक्त में बिलीरुबिन जिसे हम पित्तरंजक के रूप में जानते हैं, की मात्रा बढ़ने के कारण हो जाता है। जब हमारे शरीर की पाचन क्रिया बाधित होती है, और और हमारे लीवर के सही से काम ना करने के कारण, जब हमारे रक्त में बिलीरुबिन बढ़ जाता है, तो हमें पीलिया के लक्षण नजर आते हैं। किंतु यदि हमें पता नहीं है कि पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए या हमारे रक्त में बिलीरुबिन के कारण पित्तरंजक पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए तब तक हम किसी भी जांच द्वारा इसका अनुमान नहीं लगा सकते हैं।

हमें वास्तव में पीलिया हुआ है, यहां किसी अन्य रोग से पीड़ित हैं, इसलिए पीलिया के लिए कुछ विशेष प्रकार की जांच करवाना आवश्यक होता है। पीलिया की प्रामाणिकता के लिए डॉक्टर द्वारा आपको निम्नलिखित जांच में से कोई भी जांच कराने को कहा जा सकता है।

  • बिलीरुबिन टेस्ट।
  • कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट।
  • हेपेटाइटिस ए, बी और सी की जांच।
  • एमआरआई स्कैन।
  • अल्ट्रासाउंड।
  • सिटी स्कैन।
  • एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलैंजियोंपैंक्रिटोग्राफी।
  • लिवर बायोप्सी।

पित्तरंजक की जांच में पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए 

यदि डॉक्टर ने पीलिया की पुष्टि के लिए बिलीरुबिन टेस्ट कराने की सलाह दी है, तो आपको किसी भी पैथोलॉजी में जाकर आप अपना बिलीरुबिन टेस्ट करा सकते हैं। बिलीरुबिन टेस्ट कराने के पश्चात यदि रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा जिसे पित्तरंजक भी कहते हैं 1.0% से कम होनी चाहिए, किंतु यदि आपके रक्त में 1.7% बिलीरुबिन की मात्रा पाई जाती है, तो यह आपके लिए घातक हो सकता है, और जिसके कारण आपको पीलिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, और आप पीलिया के विभिन्न प्रकार के समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं। इसलिए आपको पीलिया की जांच से पहले पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए इसकी जानकारी आवश्यक है, जिससे आप पीलिया के होने तथा ना होने की पुष्टि कर सकें।

Piliya की जांच कराने से पहले एक चीज की जानकारी और रखना अनिवार्य है, कि पीलिया किस उम्र के व्यक्ति को हुआ है, क्योंकि डॉक्टरों के अनुसार नवजात शिशु में पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए तथा सामान्य व्यक्ति में पीलिया के मेजरमेंट को अलग-अलग रखा गया है। 

पीलिया का घरेलू उपचार

पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए

यह एक ऐसा रोग है जो प्रदूषित वस्तुएं तथा खाद्य पदार्थों के प्रयोग के कारण से हमारे लीवर को बीमार बना देता है, यदि आपको  बिलीरुबिन की जांच द्वारा पता लग गया है, कि पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए जिससे बढ़ने के कारण हमारा लीवर पर्याप्त रूप से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है, जिसके कारण रक्त में मिलीरूबीन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण शरीर में पीलिया की समस्या दिखाई देती है। पीलिया की समस्या को ठीक करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं।

  • फलों के जूस का प्रयोग करें।
  • अधिक से अधिक पानी पिए।
  • खाना खाने से पहले अच्छी तरह से हाथों को साफ करें।
  • ताजा और शुद्ध भोजन करें।
  • मूली का प्रयोग करें।
  • आंवला का प्रयोग करें।
  • अर्जुन की छाल का प्रयोग करें। 
  • टमाटर का रस प्रयोग।

फलों के जूस का प्रयोग करें

पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए

फलों का जूस प्रयोग करने से हमारे लीवर को पाचन क्रिया में सहयोग मिलता है, क्योंकि जिस समय हमें पीलिया की समस्या होती है, हमारा लीवर सही से कार्य नहीं कर पाता है, जिसके कारण शरीर की पाचन क्रिया बाधित हो जाती है। इसलिए जब हम अपने लीवर को आराम देने के लिए फलों के जूस का प्रयोग करते हैं, तो हमारे लीवर को पाचन क्रिया में कम परिश्रम करना पड़ता है, जिसके कारण लीवर की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होता है, वह अपना कार्य सही से करने लगता है।

इसलिए पीलिया की समस्या होने पर फलों के जूस तथा तरल पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे पाचन क्रिया में आराम मिलता है, और धीरे-धीरे पीलिया की समस्या समाप्त हो जाती है। ताजे फलों का जूस प्रयोग करने से शारीरिक शक्ति का विकास भी होता है। फलों का जूस प्रयोग करने के लिए ताजे फलों से जूस निकालकर पीना चाहिए, बाजार के डिब्बाबंद जूस का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह जूस हमारे सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।

अधिक से अधिक पानी पिए

अधिक से अधिक पानी पिए

यदि आपको पीलिया की समस्या हो गई है और जिसके कारण आपका जिगर या लीवर सही से कार्य नहीं कर पा रहा है, लीवर के सही से कार्य न करने के कारण रक्त में मिलीरुबीन पदार्थ की मात्रा बढ़ती जा रही है, जिसके कारण शरीर में पीलिया के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो आपको अधिक से अधिक पानी पीने की आवश्यकता है, क्योंकि हमारे शरीर में जितना अधिक तरल पदार्थ पहुंचते हैं, हमारी पाचन क्रिया तथा हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। यदि हमारे शरीर में पर्याप्त रूप से पानी पहुंचता रहेगा, तो हमारे लीवर को कार्य करने में आसानी रहेगी जिससे रक्त में बिलीरुबिन पदार्थ किस मात्रा धीरे-धीरे संतुलित होने लगेगी और पीलिया की समस्या से होने वाले विभिन्न परेशानियां समाप्त हो जाएंगे।

खाना खाने से पहले अच्छी तरह से हाथों को साफ करें

यदि हम गंदे तथा दूषित तरीके से भोजन ग्रहण करते हैं, तो हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं, जिसके कारण हमारा शरीर बीमार हो जाता है, और हमारा पेट में पाचन संबंधी विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं। स्वस्थ तथा ताजा भोजन ना करने के कारण हमें उल्टी तथा दस्त जैसी समस्याएं भी होती हैं, इन सभी समस्याओं के कारण हमारा लीवर प्रभावित होता है, जिससे उसके कार्य में बाधा पहुंचती है, और उसकी कार्य करने की क्षमता में कमी आ जाती है, जिससे शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है और हमारे शरीर में पीलिया की समस्या दिखाई देने लगती है।

इसलिए हमें खाना खाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए तथा साफ-सुथरी जगह पर बैठकर खाना खाना चाहिए, जिससे गंदगी में बैठने वाली मक्खियां तथा अन्य सूक्ष्मजीव हमारे खाने तक ना पहुंच पाए।

ताजा और शुद्ध भोजन करें

पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए

जैसा कि आपको उपरोक्त बताया गया है कि आपको हमेशा स्वस्थ तरीके से भोजन करना चाहिए, इसी प्रकार भोजन को स्वच्छ रखने के लिए भोजन ताजा और शुद्ध होना चाहिए। यदि भोजन ताजा और शुद्ध रहता है तो उसमें किसी प्रकार का जीवाणु तथा संक्रमण नहीं होता है, क्योंकि ताजे भोजन में किसी प्रकार के संक्रमण, वायरस नहीं पनपने पाते हैं, किंतु यदि भोजन बासी तथा अशुद्ध हो जाता है तो भोजन में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीव तथा परजीवी उत्पन्न हो जाते हैं, जिसके कारण भोजन अशुद्ध हो जाता है।

यदि आप इस भोजन को ग्रहण करते हैं तो हमें उल्टी दस्त तथा विभिन्न प्रकार की पाचन संबंधी समस्याएं हो जाती हैं, जिनके कारण हमारा लीवर प्रभावित होता है। लीवर के प्रभावित होने के कारण शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ की संख्या बढ़ने लगती है, जिससे हमें पीलिया की समस्या हो जाती है, इसलिए पीलिया की समस्या से बचने के लिए ताजा और शुद्ध भोजन ही हमेशा करना चाहिए जो हमें विभिन्न प्रकार के पेट की समस्याओं से भी बचाता है। 

मूली का प्रयोग करें

मूली का प्रयोग करें

मूली के रस तथा पत्तों में रक्त से मिलीरूबीन की मात्रा को पृथक करने के पर्याप्त गुण पाए जाते हैं, इसलिए यदि किसी व्यक्ति को पीलिया या हेपेटाइटिस की समस्या है, उसको दैनिक रूप से मूली तथा मूली के पत्तों का रस दिन में दो से तीन बार एक गिलास देना चाहिए। यदि आप दिन में दो से तीन गिलास जूस रोगी को पिलाते हैं, तो रोगी का लीवर पर्याप्त रूप से कार्य करने लगता है, तथा रक्त में मिली बिलीरुबिन की मात्रा को पृथक कर के शरीर से पीलिया की समस्या को समाप्त कर देता है। मूली पीलिया के मरीजों के लिए बहुत ही रामबाण औषधि साबित होती है, हाई बीपी से बचने के लिए तथा मूली और हल्दी का प्रयोग बवासीर के इलाज में किया जाता है।

आंवला का प्रयोग करें

यह एक ऐसा पदार्थ है जिसे किसी भी तरीके से प्रयोग किया जा सकता है, तथा इसका स्वाद क्षारीय होता है जिसके कारण इसमें विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है तथा इसका उपयोग पेट की विभिन्न समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसलिए जब हमारे शरीर में लीवर की समस्या हो जाती है, और हमारा लीवर सही से नहीं कार्य कर पाता है, तो हमें दैनिक रूप से आंवला का सेवन करना चाहिए। आंवला को हम फल के रूप में खा सकते हैं, तथा इसे सुखाने के पश्चात भी खाया जाता है, तथा सबसे आसानी से प्रयोग करने के लिए आंवले के जूस का प्रयोग किया जाता है।

आंवला का जूस पेट से गैस की समस्या को दूर करने में प्रयोग होता है। यदि हम दैनिक रूप से आंवला का प्रयोग करते हैं, तो कुछ समय पश्चात हमारा लीवर सही से कार्य करने लगता है, और वह हमारे शरीर में रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा को संतुलित करता है, जिससे पीलिया की समस्या समाप्त हो जाती है।

अर्जुन की छाल का प्रयोग करें

अर्जुन की छाल का प्रयोग लीवर की समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है, क्योंकि इसमें उपस्थित एल्कलाईड पदार्थ लीवर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलित करता है, जिससे लीवर सही से कार्य करने लगता है और लीवर पाचन क्रिया में भाग लेकर रक्त में उपस्थित बिलीरुबिन की मात्रा को संतुलित करता है। अर्जुन की छाल का प्रयोग हृदय से संबंधित समस्याओं तथा मूत्र से संबंधित बीमारियों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है, जिन व्यक्तियों को पीलिया की समस्या हो जाती है वह दैनिक रूप से अर्जुन की छाल का जूस निकालकर प्रयोग कर सकते हैं।

टमाटर का रस प्रयोग 

टमाटर का रस हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है, इसका दैनिक सेवन करने से शरीर में शक्ति का संचार होता है तथा शरीर स्वस्थ बनता है। टमाटर में उपस्थित लाइकोपीन नामक पदार्थ लीवर की समस्याओं को ठीक करने में बहुत ही कारगर साबित होता है। इसलिए जिन व्यक्तियों में पीलिया की समस्या होती है, उनको दैनिक रूप से टमाटर के जूस का प्रयोग करना चाहिए, जिससे टमाटर में उपस्थित पदार्थों के कारण लीवर सही से कार्य करता है और कुछ समय पश्चात पीलिया की समस्या समाप्त हो जाती है। 

पीलिया से बचाव के लिए कुछ अन्य खाद्य पदार्थ

यदि आप को पीलिया की समस्या हो गया यह तो उसको ठीक करने के लिए आप उपरोक्त पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। उपरोक्त बताए गए सभी प्रकार के पदार्थ पीलिया की समस्या में फायदेमंद होते हैं, तथा यह लीवर की समस्या को ठीक करके पीलिया में होने वाली समस्याओं को दूर करते हैं। इनके अलावा घर में कुछ खाद्य पदार्थ भी होते हैं, जिनको दैनिक रूप से प्रयोग करते हुए पीलिया की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसलिए यदि आपको पीलिया की समस्या हो गई है, तो आप अपने भोजन में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को अवश्य शामिल करें, जो आपकी पीलिया की समस्या को दूर करने में मदद करेंगे।

  • दही, छाछ, मट्ठा।
  • नींबू का रस।
  • पपीता।
  • गन्ने का रस।
  • तुलसी के पत्ते।
  • नारियल का पानी।
  • गिलोय और शहद।
  • हल्दी।
  • नीम के पत्ते।
  • तरल पदार्थों का सेवन करें।

पीलिया से बचाव के लिए इन खाद्य पदार्थों से परहेज करें

Piliya रोग मुख्य रूप से पाचन क्रिया खराब होने के कारण होने वाला एक रोग है जो हमारे शरीर की पाचन क्रिया को प्रभावित करता है, तथा शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर देता है, इसलिए यदि आपको पीलिया के लक्षण दिखाई देते हैं, और आपको पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए पता लग गया है, तो आपको पीलिया से बचाव के लिए तथा आपनी पाचन क्रिया को सही करने के लिए कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों से परहेज किया जा सकता है, जो आपके पीलिया को ठीक करने में मदद करेंगे, तथा आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाएंगे।

इसलिए भोजन करते समय ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, जो पाचन क्रिया में अधिक समय लेते हैं या जिनका पाचन गरिष्ठ होता है, इसलिए यदि जिस समय आप पीलिया से पीड़ित होते हैं, उस समय आपको गरिष्ठपाचन वालेभोज्य पदार्थों को त्याग देना चाहिए, तथा अधिक से अधिक ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो सुपाच्य होते हैं। इसलिए पीलिया से बचाव के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

  • अंडा, मांस, मछली।
  • घी तथा मक्खन से परहेज करें।
  • ज्यादा तीखा ना खाएं।
  • तली भुनी चीजों से दूर रहे।
  • बाजार के फास्ट फूड का प्रयोग ना करें।
  • चाय तथा कॉफी ना पिए।
  • वसा तथा तेल युक्त आहार से दूर रहे।
  • जटिल प्रोटीन तथा गरिष्ठ खाद्य पदार्थों से बचें।

पीरियड ठीक करने के घरेलू नुस्खे

पीलिया हमारे शरीर के लिए एक जटिल रोग है, किंतु यदि इसकी शुरुआत के समय ही इसकी पहचान की जाती है, और आपको पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए। इसकी जानकारी और आप पीलिया की जांच के लिए बिलीरुबिन टेस्ट कराते हैं, तो आपके लिया को बड़ी आसानी से समय के अंदर इलाज करते हुए ठीक कर सकते हैं। पीलिया का प्राथमिक स्तर है, और आपने पीलिया की जांच कराने के पश्चात उसकी पुष्टि हुई है, तो प्रारंभिक स्तर पर निम्नलिखित घरेलू नुस्खे भी आजमा सकते हैं। जो पीलिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।

  1. 5 ग्राम चंदन तथा 5- 6 ग्राम पिसी हल्दी लें और दोनों को शहद में मिलाकर दिन में तीन से चार बार चाटने से पीलिया दूर होती है।
  2. फिटकरी को भूने और पीसकर एक डिब्बे में सुरक्षित रख लें और 25 ग्राम दही में 3 ग्राम पिसी फिटकरी को मिलाकर सेवन करने से पीलिया की समस्या में राहत मिलती है इसका से 1 दिन में तीन से चार बार करना चाहिए।
  3. मूली के पत्ते तथा मूली के जूस को निकालकर उसमें पर्याप्त मात्रा में चीनी मिलाएं तथा एक दिन में तीन से चार बार प्रयोग करें यह पीलिया को जड़ से समाप्त कर देती है।
  4. गिलोय के अर्क 50 ग्राम में 20 ग्राम शहद का सेवन दैनिक रूप से करें तथा गिलोय के पेड़ की बेल को गले तथा शरीर में लपेट कर रखें पीलिया में फायदा मिलेगा। 
  5. एक गिलास टमाटर का रस लें और उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर सुबह शाम प्रयोग करें।

निष्कर्ष

पीलिया हमारे शरीर के लिए एक घातक बीमारी है जो हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर देता है, किंतु पीलिया होने के मुख्य कारण प्रदूषित भोजन करना होता है, जिसके कारण हमारी पाचन क्रिया प्रभावित होती है। पाचन क्रिया में सहयोग करने वाला हमारा जिगर प्रभावित होता है, जिसके कारण रक्त के संशोधन के समय जिगर रक्त से बिलीरुबिन नामक पदार्थ को पृथक करने में असमर्थ हो जाता है।

रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने से पीलिया के विभिन्न लक्षण दिखाई देने लगते हैं, यदि पीलिया के लक्षण शरीर में दिखाई देते हैं तो पीलिया की जांच करवाना बहुत ही आवश्यक जिससे यह पता लगाया जाता है, कि आपके शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा कितनी है तथा पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए, जिसके पश्चात भी आप डॉक्टर द्वारा किसी प्रकार की सलाह या दवा का उपयोग कर सकते हैं। इसलिए उपरोक्त लेख में पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए, तथा पीलिया को ठीक करने के लिए जरूरी तरीके व उपाय बताए गए हैं, जिसके माध्यम से आप पीलिया की समस्या को जड़ से समाप्त कर सकते हैं।

लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्न

काला पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए?

काला पीलिया या हैपेटाइटिस मुख्य रूप से लीवर को प्रभावित करने वाला रोग होता है, जो लीवर के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिसके कारण  लीवर के कार्य करने में समस्या उत्पन्न होने लगती है, और हमारे रक्त में पित्तरंजक की मात्रा बढ़ने लगती है जो आगे चलकर काला पीलिया का रूप ले लेती है। सामान्य पीलिया तथा काला पीलिया में बिलीरुबिन की मात्रा लगभग सामान्य होती है। इसलिए यदि आपको पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए इसकी जानकारी है, तो काले पीलिया के बारे में जानकारी बड़े आराम से प्राप्त हो जाती है क्योंकि इनके मेजरमेंट में लगभग समानता होती है।

पीलिया में कौन सी दाल खाना चाहिए?

बहुत सारे लोगों का मानना है कि पीलिया में पीली वस्तुओं तथा खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, जिससे कि लिया बढ़ने लगता है, किंतु डॉक्टर पंकज का मानना है, कि पीलिया में पीली वस्तुओं तथा पीली दालों के साथ-साथ किसी भी प्रकार के पीले खाद्य पदार्थ का कोई असर नहीं पड़ता है। यह एक मात्र मिथक है जो लोगों में पीलिया के जानकारी के अभाव में होता है। किंतु पीलिया में सभी प्रकार की दालें तथा अन्य पीले पदार्थ जो हमारी पाचन क्रिया में बाधित नहीं होते हैं उनका प्रयोग किया जा सकता है।

क्या पीलिया में हल्दी का सेवन करना चाहिए?

जी हां! पीलिया में हल्दी का सेवन किया जा सकता है, और पीलिया में हल्दी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे हमारा शरीर विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने में सहायता प्राप्त करता है। इसलिए पीलिया में हल्दी नहीं खाना चाहिए यह एकमात्र मिथक है, जो लोगों में पीलिया के लक्षणों तथा उसके कारणों के बारे में अज्ञानता वश फैला हुआ है।

क्या पीलिया में दूध का सेवन करना चाहिए? 

डॉक्टर पंकज का मानना है कि पीलिया में लो फैट वाला दूध प्रयोग किया जा सकता है, किंतु यदि हो सके तो दूर के स्थान पर छाछ मट्ठा तथा दही का उपयोग करें क्योंकि दूध को पचने में अधिक समय लगता है, क्योंकि इसमें फैट उपलब्ध होता है जो पाचन क्रिया को धीमा कर देता है।

पीलिया कितने दिन में ठीक हो जाता है?

डॉक्टर पंकज का मानना है कि जिस प्रकार पीलिया होने के अलग-अलग कारण तथा उसके अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं, उसी प्रकार पीलिया को ठीक होने में उसके कारण तथा लक्षणों के आधार पर समय लग सकता है, प्रत्येक शरीर की रिकवरी की क्षमता अलग-अलग होती है। इसलिए हम अपने शरीर में जिस प्रकार से खाद्य पदार्थों तथा अन्य विभिन्न प्रकार की दवाओं का सेवन करते हैं। पीलिया को रिकवर होने में उतना ही समय लग सकता है, इसलिए पीलिया की समस्या होने पर सही से परहेज करें तथा पीलिया के लिए बताए गए आदि पदार्थों का सेवन करें। 

Author Profile

Dr. Pankaj Verma
हमारी टीम ACPP.MD में डॉक्टर पंकज मुख्य चिकित्सक सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं, तथा प्रारम्भिक समय में चिकित्सा के क्षेत्र में इन्होंने नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल गुरुग्राम में चिकित्सक तथा सेक्सोलॉजिस्ट के रूप में कार्य किया है। डॉ पंकज वर्मा ने MD Medicine की डिग्री PGIMER Chandigarh से व डायबिटीज में UK से Fellowship तथा संधिवातीयशास्त्र में PGC की डिग्री USA से किया है, और डॉ पंकज वर्मा ने मनोचिकित्सा और परामर्श में परास्नातक किया हुआ है, वर्तमान समय में पंकज वर्मा अपनी सेवाओं को MBBS डॉक्टर के रूप में AIIMS नई दिल्ली में दे रहे हैं। अपने अनुभव तथा शिक्षा के आधार पर डॉक्टर पंकज वर्मा हमारी टीम ACPP.MD के साथ पिछले कई वर्षों से मुख्य चिकित्सक सलाहकार के रूप में भी कार्यरत हैं, जो समय-समय पर आप सभी के लिए गठिया रोग, गुप्त रोग, तथा मनोचिकित्सा स्वास्थ्य से संबंधित सलाह प्रदान करते हैं, जिनकी सलाह के पश्चात तथा दवाइयां प्रयोग करने से हजारों लोगों ने अपनी बीमारी से संबंधित समस्याएं ठीक की हैं।

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