महिलाओं के गर्भ धारण करने के पश्चात उनके दैनिक क्रियाओं में कुछ विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होते हैं, उनकी दैनिक दिनचर्या बदल जाती है, तथा दैनिक क्रियाकलाप बंद होने लगते हैं, उनमें सावधानी बरती जाती है, जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही अच्छा होता है। साधारणतः लोगों के मन में यह भय रहता है, कि गर्भावस्था में सेक्स का आनंद उठाने से शिशु को हानि पहुँच सकती है। महिला सेक्स का आनंद उठाने में अपने साथी को पूरी तरह से मदद नहीं कर पायेंगी। लेकिन यह सब मिथक है, गर्भावस्था के दौरान आप पूरी तरह से इसका आनंद उठा सकते हैं, सिर्फ ज़रूरत है कुछ एहतियात बरतने की। जिस तरह आप अपने गर्भ में पल रहे शिशु का ख्याल सही तरह का खाना खाकर और स्वस्थ रहने के लिए योगा करके करते हैं। उसी तरह खुद को खुशी प्रदान करने के लिए भी सेक्स का आनंद भी उठा सकते है, इससे न सिर्फ आपको तनाव से मुक्ति मिलेगी बल्कि खुशी भी मिलेगी।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के साथ सेक्स करने से महिलाओं में मानसिक तनाव में होता है, और सेक्स उन्हें खुशी प्रदान करता है जिसका प्रभाव उनके होने वाले संतान पर पड़ता है, महिलाओं को खुश रखने के लिए दैनिक या जरूरत के अनुसार सेक्स क्रिया करना आवश्यक होता है। किंतु सेक्स क्रिया करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जिससे कि इसी प्रकार का विपरीत प्रभाव महिला के गर्भ पर ना पड़े महिलाओं को सेक्स क्रिया करने के लिए कुछ विशेष प्रकार की पोजीशंस का प्रयोग करना चाहिए, जो कि गर्भावस्था के समय गर्भ में पल रहे बच्चे नुकसान होने से बचाती हैं। अतः आप गर्भावस्था के समय सेक्स क्रिया करने के लिए कुछ विशेष प्रकार की सेक्सपोजिशन का प्रयोग कर सकते हैं।
सेक्स पोजीशन
सेक्स क्रिया करते समय व्यक्ति किसी ना किसी तरह से क्रिया करता है,सेक्स क्रिया के लिए विभिन्न प्रकार के आसन प्रयोग किए जाते हैं, जिससे सेक्स क्रिया करने का आनंद प्राप्त होता है। जिस प्रकार से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विशेष प्रकार के योगासन किए जाते हैं, उसी प्रकार सेक्स क्रिया में आनंद लेने के लिए विभिन्न प्रकार के आसन का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें हम पोजीशन के नाम से जानते हैं। सेक्स क्रिया में प्रयोग किए गए आसन को हम सेक्स पोजिशन कहते हैं, जो हमें सेक्स क्रिया करने में सुविधा प्रदान करते हैं, तथा शरीर को अत्यधिक सेक्स सुख प्रदान करते हैं। भारतीय महिलाओं तथा पुरुषों द्वारा सेक्स क्रिया करने के लिए सबसे अधिक मात्रा में बिस्तर पर लेट कर किए जाने वाले पोजीशन प्रयोग किए जाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप भारतीय महिला तथा पुरुष अधिक सेक्स आनंद नहीं ले पाते हैं, क्योंकि विभिन्न प्रकार के सेक्स पोजीशन करने का अलग-अलग आनंद प्राप्त होता है।
गर्भावस्था सेक्स पोजीशन
जब महिलाएं गर्भधारण करती हैं तो उसे कुछ समय पश्चात इन महिला तथा पुरुष दोनों सेक्स क्रिया से बचने लगते हैं, क्योंकि उन्हें भय रहता है, कि सेक्स क्रिया का असर उनके होने वाले बच्चे पर ना हो जाए। कुछ महिलाएं गर्भधारण के पश्चात सेक्स क्रिया के लिए अधिक उत्तेजित होती हैं, किंतु उनके मन में डर होने के कारण हुए सेक्स क्रिया को अंजाम नहीं देती हैं, जिसका मुख्य कारण उनकी प्रेगनेंसी होती है, तथा प्रेग्नेंसी के समय सेक्स करने के समय होने वाले नुकसान के कारण उनको भय रहता है। महिलाओं की प्रेगनेंसी को हम तीन 3 महीने करके तीन भागों में बांट सकते हैं। तीनों भागों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान सेक्स पोजीशंस अलग-अलग होती हैं महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान अवस्थाएं निम्नलिखित हैं।
- प्रथम तिमाही।
- द्वितीय तिमाही।
- तृतीय तिमाही।
प्रथम तिमाही
महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान प्रथम तिमाही का समय 1 महीने से 3 महीने तक का होता है। महिलाओं की प्रेगनेंसी प्रारंभ होने के 3 महीने तक गर्भावस्था का प्राथमिक स्तर माना जाता है, जिसके दौरान सेक्स क्रिया करने की कुछ पोजीशन बताए गए हैं जिनमें महिलाएं पुरुषों के साथ सेक्स किया कर सकती है, तथा पुरुष के साथ सेक्स क्रिया करके सेक्स का आनंद ले सकते हैं, जिसके लिए महिलाओं को निम्नलिखित पोजीशन अपनानी चाहिए, जिनको हम प्रथम तिमाही में अपनाई जाने वाली सेक्स पोजीशन के नाम से जानते हैं। यह निम्नलिखित होती हैं
- मिशनरी पोजीशन।
- सिजर पोजीशन।
- मॉडिफाइड मिशनरी।
मिशनरी पोजीशन
गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में सेक्स करने के लिए कुछ विशेष प्रकार की सेक्स पोजीशन में मिशनरी सेक्स पोजिशन बहुत ही उपयोगी तथा आनंददायक मानी जाती है। गर्भावस्था के प्राथमिक स्तर पर लगभग सभी पुरुष तथा महिलाओं द्वारा इसे बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है, जो महिलाओं को गर्भावस्था के समय होने वाले परेशानियों से भी बचाता है, और सेक्स सुख का आनंद भी देता है। मिशनरी पोजिशन के निम्नलिखित स्टेप होते हैं
- सबसे पहले महिला सीधे पलंग पर लेट सकती है।
- पुरुष अपने पेट के बल महिला के ऊपर आता है।
- पुरुष अपने लिंग को महिला की योनि में प्रवेश करता है।
- इस सेक्स के दौरान महिला तथा पुरुष दोनों का आई कांटेक्ट होता है जो उत्तेजना को बढ़ाता है।
- इस सेक्स के दौरान महिला तथा पुरुष दोनों के शरीर आपस में मिलते हैं।
- महिला तथा पुरुष के शरीर आपस में मिलने के कारण एक दूसरे को अच्छा एहसास होता है।
- प्रथम तिमाही में यह सेक्स करने की सबसे अच्छी पोजीशन होती है।
- गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में मिशनरी पोजिशन सबसे सुरक्षित मानी जाती है।
सिजर पोजीशन
सिजर पोजीशन गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में सेक्स करने के सबसे उत्तम विधि मानी जाती है। क्योंकि इस विधि में पुरुष तथा महिला दोनों एक दूसरे पर हावी नहीं होते हैं तथा यह सेक्स पोजिशन के समय पुरुष तथा महिला दोनों का भर बिस्तर पर होता है, जिसके कारण यह महिला के गर्भ को किसी प्रकार से प्रभावित नहीं करती है। प्रथम तिमाही में सुरक्षित सेक्स करने के लिए सिजर पोजीशन बहुत ही उपयुक्त पोजीशन मानी जाती है, जो गर्भावस्था के दौरान पुरुष तथा महिला दोनों को ही संभोग सुख प्रदान करती है, तथा दोनों को भी मानसिक तनाव से मुक्त बनाती है। सिजर पोजीशन करते समय निम्नलिखित स्टेप अपनाए जा सकते हैं
- इस पोजीशन में महिला तथा पुरुष दोनों ही एक दूसरे की तरफ मुंह करके लेटते हैं।
- इस पोजीशन में पेनिट्रेशन बहुत अधिक नहीं होता है।
- उसके पश्चात महिला अपने एक पैर को थोड़ा सा ऊपर उठा कर पुरुष को आगे आने की जगह प्रदान करते हैं।
- पुरुष थोड़ा सा अपने बीच का हिस्सा बढ़ाकर महिला की योनि में लिंग प्रवेश करता है।
- इस क्रिया में पेनिट्रेशन बाद धीरे-धीरे करते हैं।
- पेनिट्रेशन बहुत कम होने के कारण बहुत अधिक सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।
- दोनों एक दूसरे के सामने बिस्तर पर लेटते हैं।
- महिला और पुरुष एक दूसरे पर हावी नहीं होते हैं।
- दोनों के शरीर का भाव बिस्तर पर होता है।
मॉडिफाइड मिशनरी
मॉडिफाई मिशनरी सेक्स पोजिशन प्राथमिक तिमाही के लिए बहुत ही उपयुक्त सेक्सपोजिशन मानी जाती है। यह मिशनरी सेक्स पोजिशन का मॉडिफाई पोजीशन होती है, जिसमें सेक्स को और अधिक आनंददायक बनाने के लिए इसे मिशनरी पोजीशन से थोड़ा अलग किया जाता है, जिसके कारण इसको मॉडिफाई मिशनरी सेक्स पोजिशन कहते हैं। मॉडिफाई सेक्स पोजीशन में अत्यधिक सेक्स सुख प्राप्त होता है, क्योंकि इसमें पेनिट्रेशन को अधिक गहराई तक किया जाता है। मॉडिफाई मिशनरी सेक्स पोजिशन तो अत्यधिक पेनिट्रेशन के लिए ही मॉडिफाई किया गया है। इस सेक्स पोजीशन करने के लिए निम्नलिखित अपनाया जा सकते हैं
- सबसे पहले महिला सीधे होकर बिस्तर पर लेट जाती है।
- फिर अपने पैरों को बीच से मोड़ते हुए दोनों पैरों को बाहर की तरफ मोड़ते हैं।
- पुरुष महिला की ऊंचाई से थोड़ा नीचे घुटनों के बैठकर अपने लिंग को महिला की योनि में प्रवेश करता है।
- महिलाएं अपने पैरों को पुरुष के कमर के चारों तरफ लपेट सकती हैं।
- महिलाएं अपने योनि भाग को ऊंचा रखने के लिए नीचे तकिये का प्रयोग कर सकती हैं।
- मॉडिफाई मिशनरी सेक्स पोजिशन में महिलाएं अधिक पेंट्रेशन के लिए अपने पैरों को पुरुष के कमर में चारों तरफ लपेटती हैं
- अधिक पेनिट्रेशन होने के कारण ऐड महिला तथा पुरुष दोनों को अत्यधिक सेक्स का आनंद मिलता है।
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द्वितीय तिमाही
महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान द्वतीय तिमाही तो समय 4 से 6 महीने तक का माना जाता है जिस समय महिलाओं में गर्भावस्था का विकास हो जाता है, तथा गर्भ बाहर दिखाई देता है, तथा पेट सामान्य से अधिक ऊंचा हो जाता है, तथा महिलाओं को चलने फिरने था उसने बैठने में प्रॉब्लम होने लगती है, तथा इस समय महिलाओं को सेक्स करने की इच्छा तीव्र हो जाती है। किंतु डर की वजह से महिलाएं सेक्स के लिए नहीं करती है, ऐसी स्थिति में महिलाओं को सेक्स करने के लिए सेक्स संतुष्टि लेने के लिए निम्नलिखित सेक्सपोजिशन को अपनाना चाहिए। जो दूसरी तिमाही में सेक्स करने में मदद करते हैं, तथा इन सेक्सपोजिशन का प्रयोग करते हुए दूसरी तिमाही के दौरान भी सेक्स क्रिया की जा सकती है।
- साइड सैडल।
- सिटिंग पोजीशन।
- वुमन ऑन टॉप।
- एज ऑफ द बेड।
साइड सैडल
साइड सैडल सेक्स पोजिशन महिलाओं में दूसरी तिमाही के दौरान अपनाई जाने वाली पोजीशन है, जो गर्भवती महिलाएं गर्भधारण के 3 महीने के पश्चात अपनाते हैं। जिस समय महिलाओं का पेट गर्भधारण के कारण उठा हुआ दिखाई देने लगता है, तथा पेट पर कोई दबाव ना पड़े जिससे गर्भ में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो इसका ध्यान रखते हुए सेक्स क्रिया की जाती है। साइड सैडल सेक्स पोजिशन सेक्स क्रिया हमें पेट पर पड़ने वाले दबाव से बचाती है, तथा अत्यधिक सेक्स आनंद प्राप्त होता है। साइड सैडल किसी भी तरह से साइड की पोजीशन बच्चे पर कोई दबाव नहीं डालती, और यह बेहद सुखद हो सकती है। साइड सैडल सेक्स करने के लिए निम्नलिखित स्टेप अपनाए जा सकते हैं।
- इस सेक्स क्रिया में पुरुष बिस्तर पर सीधे लगता है।
- महिला पेनिट्रेशन के लिए पुरुष के लिंग के पास पैरों को रख कर लेट जाती है।
- महिला भी सीधी अवस्था में पुरुष के लिंग के पास लेती है।
- लेटे समय दोनों समांतर नहीं होते हैं अर्थात दोनों एक दूसरे को क्रॉस करते हुए लेटते हैं।
- ऐसे में पुरुष थोड़ा महिला की तरफ घूम कर अपने लिंग को महिला की योनि में प्रवेश करता है।
- ऐसी स्थिति में पुरुष एक हाथ से महिला के पैरों को सहारा दे सकता है।
- सेक्स करते समय ऐसा सुनिश्चित करना चाहिए कि महिला के पेट पर किसी प्रकार का दबाव ना पड़े।
- इस सेक्स पोजिशन के दौरान दोनों के हाथ खुले होते हैं जिससे यह दूसरे को सहला सकते हैं।
- 4 महीने गर्भवती महिला के साथ सेक्स क्रिया करने का यह बहुत ही आसान तरीका है।
सिटिंग पोजीशन
गर्भावस्था के दौरान सेक्स करने के लिए सीटिंग पोजिशन बहुत ही आरामदायक पोजीशन होती है। दूसरी तिमाही में सेक्स करने के लिए अच्छी पोजीशंस में से सीटिंग पोजिशन सेक्स करने के लिए सबसे अच्छी पोजीशन मानी जाती है, तथा इस पोजीशन में गर्भवती महिला को किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है, तथा महिला और पुरुष दोनों को ही सेक्स क्रिया का पूर्ण आनंद प्राप्त होता है गर्भावस्था के दौरान जब महिलाएं सेक्स क्रिया के अत्यधिक उत्तेजित होती हैं। महिलाओं को संतुष्ट करने के लिए सिटिंग पोजिशन का प्रयोग किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित स्टेप प्रयोग किए जाते हैं।
- पुरुष कुर्सिया सोफे पर सीधे बैठ जाता है।
- महिला पुरुष की तरफ मुंह करके अपने दोनों पैरों को कमर में डालते हुए पुरुष के ऊपर बैठते हैं।
- महिला के पुरुष के ऊपर बैठने के पश्चात पुरुष पेनिट्रेशन करता है।
- सीटिंग पोजिशन में पेनिट्रेशन अच्छी तरह से होता है जिससे सेक्स का आनंद मिलता है।
- महिला के वक्षस्थल पुरुष के वक्षस्थल से मिलते हैं जिससे उत्तेजना बढ़ती है।
- एक दूसरे के हाथ खुले होते हैं जिससे वे एक दूसरे को सहला सकते हैं।
- दोनों के आई कांटेक्ट होते हैं जिससे अट्रैक्शन बढ़ता है।
- फेस टू फेस होने के कारण आपस में किस किया जा सकता है।
- सीटिंग पोजिशन में महिला पुरुष के ऊपर रहती है इसलिए पेट में दबाव नहीं लगता है।
वुमन ऑन टॉप
दूसरी तिमाही अर्थात 4 से 6 महीने की गर्भावस्था के समय सेक्स करना बहुत कठिन हो जाता है, तथा यह जोखिम पूर्ण भी होता है, क्योंकि महिलाओं के गर्भ में शिशु काफी बड़ा हो चुका होता है, और महिलाओं का पेट काफी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में सेक्स क्रिया करने के लिए वुमन ऑन टॉप सेक्स विधि का प्रयोग किया जाता है, जो दूसरी तिमाही में सेक्सपेयर करने के लिए बहुत अधिक सुरक्षित होती हैं। इस विधि से शेक्सपीयर करने से महिला के गर्भ को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है, तथा महिला और पुरुष को सेक्स क्रिया का आनंद प्राप्त होता है। दूसरी तिमाही में सेक्स क्रिया करने के लिए वुमन ऑन टॉप सेक्स पोजीशन का प्रयोग करना चाहिए। वुमन ऑन टॉप सेक्स पोजीशन करने के लिए निम्नलिखित स्टेप प्रयोग किए जा सकते हैं
- वुमन ऑन टॉप सेक्स पोजीशन को करने के लिए पुरुष बिस्तर पर सीधे लेट जाता है।
- इसके पश्चात महिला पुरुष के कमर के पास दोनों तरफ पैर करके बैठती है।
- महिला अपने दोनों पैरों को मोड़ कर पुरुष के पेनिस के पास बैठती है।
- महिला के बैठने के पश्चात पुरुष पेनिट्रेशन करते हैं।
- पेनिट्रेशन के पश्चात महिला आगे पीछे सुविधा के अनुसार हो सकती है।
- वुमन ऑन टॉप सेक्स पोजीशन के समय पुरुष के हाथ खुले होते हैं।
- पुरुष अपने दोनों हाथों से महिला के ब्रेस्ट और क्लिटॉरिस को टच कर सकते हैं।
- पुरुष तथा महिला दोनों में से किसी ने यदि अधिक जोर लगाया तो इस बच्चे को नुकसान हो सकता है।
- सेक्स क्रिया करते समय बच्चे की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
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एज ऑफ द बेड
दूसरी तिमाही में महिलाओं का पेट गर्भधारण के कारण काफी ज्यादा निकल जाता है। इसलिए सेक्स क्रिया करने में परेशानी होती है, किंतु महिलाएं इस समय सेक्स क्रिया के लिए बहुत अधिक उत्तेजित होती है। इसलिए उनकी मानसिक दशा तथा उन को खुश रखने के लिए कुछ विशेष प्रकार के सेक्स पोजीशंस अपनाया जाते हैं, जिनमें एज ऑफ द बेड बहुत ही सूटेबल सेक्सपोजिशन माना जाता है।। इस सेक्स पोजिशन को अपनाकर महिला तथा पुरुष बड़ी आसानी से सेक्स क्रिया कर सकते हैं, तथा इस सेक्स क्रिया के दौरान महिला तथा पुरुष दोनों ने सेक्स क्रिया का आनंद ले सकते हैं, इस पोजीशन में सेक्स क्रिया को करने के लिए निम्नलिखित स्टेप अपनाए जा सकते हैं
- एज ऑफ द बेड सेक्स पोजीशन करने के लिए महिला को अपनी कमर को बेड के किनारे करते हुए पीठ के बल लेटना होता है।
- बेड पर बैक साइड की तरफ से लेट कर महिला अपने दोनों पर ऊपर करते हुए फैलाती है।
- दोनों पैरों के बीच में बेड के नीचे पुरुष खड़ा होता है।
- पुरुष महिला की योनि में लिंग प्रवेश करता है।
- इस क्रिया को करने के लिए पुरुष को थोड़ा देखने की आवश्यकता हो सकती है।
- एज ऑफ द बेड सेक्स पोजीशन में महिला का भार बेड पर तथा पुरुष का भार बाहर होता है।
- कोई भी एक दूसरे के शरीर पर हावी नहीं होता।
- पुरुष का जमीन पर खड़े रहने के कारण महिला के पेट पर कोई दबाव नहीं पड़ता है।
- एज ऑफ द बेड सेक्स पोजीशन में पर्याप्त पेनिट्रेशन होता है जिससे सेक्स का आनंद मिलता है।
- इस पोजीशन में सेक्स किया करने से महिला तथा पुरुष दोनों को संतुष्टि मिलती है।
तीसरी तिमाही के दौरान
दूसरी तिमाही पूरा होते ही तीसरी तिमाही प्रारंभ होती है जिसका समय छठे महीने से बच्चे के जन्म तक होता है। यह तिमाही गर्भावस्था के अंतिम तिमाही होती है, तथा इस समय गर्भवती महिला के साथ सेक्स क्रिया करना बहुत अधिक जोखिम भरा होता है। लेकिन इस समय महिलाओं को सेक्स क्रिया के लिए बहुत अधिक उत्तेजना होती है। इसलिए महिलाओं को तनाव मुक्त तथा खुश रखने के लिए सेक्स क्रिया आवश्यक भी होती है, आठवें महीने से बच्चे के जन्म तक महिलाओं में सेक्स क्रिया के प्रति बहुत अधिक उत्तेजना होने लगती है। यदि इस समय महिलाओं के साथ सेक्स किया की जाती है तो यह सेक्स क्रिया उनके गर्भावस्था के दर्द से आराम दिलाती है। इसलिए जोखिम पूर्ण होने के बावजूद भी इस समय सेक्स क्रिया करने से लाभ प्राप्त होता है, तथा महिलाएं तनाव मुक्त होती हैं। तीसरी तिमाही के दौरान निम्नलिखित पोजीशंस में सेक्स क्रिया करना सुरक्षित हो सकता है
- स्पूनिंग।
- डॉगी स्टाइल।
- ओरल सेक्स।
स्पूनिंग
तीसरी तिमाही में सेक्स क्रिया करने के लिए पुरुषों द्वारा स्पूनिंग पोजिशन का प्रयोग किया जाता है। इस पोजीशन को अपनाने से महिलाओं के गर्भ में किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, तथा महिला पुरुष सेक्स क्रिया से एक दूसरे को संतुष्ट करते हैं, तथा महिलाओं को इस समय इस स्पूनिंग पोजिशन में सेक्स क्रिया करने से गर्भ के दर्द से आराम मिलता है, तथा तनाव मुक्त रहती है। तनाव मुक्त होने के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है। स्पूनिंग सेक्स पोजिशन के लिए निम्नलिखित स्टेप अपनाया जा सकते हैं।
- महिला तथा पुरुष एक ही करवट में बिस्तर पर लेटे हैं।
- महिला पुरुष के सामने पीठ करके लेटती है।
- महिला अपने कमर के भाग को पुरुष के कमर वाले भाग से टच करती है।
- पुरुष महिला के पीछे से पेनिट्रेशन करता है।
- इसमें महिला को बहुत कम मेहनत करनी पड़ती है।
- स्पूनिंग सेक्स पोजीशन में वजाइनल पेंट्रेशन बहुत अधिक होता है।
- जिससे महिला तथा पुरुष दोनों को ही सेक्स सुख प्राप्त होता है।
- इस समय किसी का भी भार एक दूसरे के ऊपर नहीं होता है
- स्पूनिंग सेक्स पोजीशन में पुरुष के दोनों हाथ खुले होते हैं जिससे वह ब्रेस्ट तथा शरीर के अंगों को सहला सकता है।
- इस सेक्स पोजिशन में महिला के पेट पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं पड़ता है।
डॉगी स्टाइल
तीसरी तिमाही के दौरान महिला 6 से 9 महीने तक की गर्भवती हो सकती है या फिर बच्चे के जन्म का समय भी हो सकता है। इस समय सेक्स करना सबसे असुरक्षित रहता है, क्योंकि सेक्स करने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है। किंतु यदि महिलाओं को सेक्स करने की उत्तेजना होती है, तो निश्चित रूप से ही सेक्स करना सुरक्षित होता है, क्योंकि इस समय सेक्स क्रिया करने से महिलाएं संतुष्ट तथा खुश रहती हैं। जिसके कारण उनको किसी प्रकार का मानसिक तनाव नहीं रहता है, और यह गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बहुत ही जरूरी होता है। अतः तीसरी तिमाही में सेक्स क्रिया करने के लिए एक विशेष प्रकार की सेक्सपोजिशन का प्रयोग किया जा सकता है, जिसको हम डॉगी स्टाइल सेक्स पोजिशन के नाम से जानते हैं। डॉगी स्टाइल सेक्स पोजिशन को करने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जा सकते हैं।
- डॉगी स्टाइल सेक्स पोजिशन करने के लिए महिला अपने दोनों हाथों तथा पैरों के घुटनों के बल बेड पर झुक जाती है।
- महिला जपते समय अपने दोनों पैरों को थोड़ा सा खोल कर रखती है।
- महिला के दोनों पैरों के बीच पुरुष अपने घुटनों के बल बैठ जाता है।
- घुटनों पर बैठकर पुरुष अपने लिंग को महिला की योनि में प्रवेश करता है।
- महिलाओं में सेक्स करने की यह पोजीशन बहुत ही आम होती है।
- क्योंकि इस सेक्स पोजीशन का प्रयोग महिलाएं सामान्य अवस्था में भी बहुत अधिक करती हैं।
- डॉगी स्टाइल सेक्स पोजिशन करने में महिलाओं को बहुत अधिक आनंद की प्राप्ति होती है।
- डॉगी स्टाइल सेक्स पोजिशन में पेनिट्रेशन काफी अच्छी तरह से होता है।
- तीसरी तिमाही के दौरान सेक्स तैयार करने से पेट पर कोई दबाव नहीं पड़ता है।
- देखकर किसी प्रकार का दबाव ना होने की वजह से गर्भ बिल्कुल सुरक्षित रहता है।
ओरल सेक्स
गर्भवती महिलाओं को तीसरी तिमाही में सेक्स क्रिया की उत्तेजना होने पर उन्हें संतुष्ट करने के लिए कुछ विशेष प्रकार की सेक्स पोजीशन अपनाई जाती है। किंतु यदि आठवें और नौवें महीने में महिला को सेक्स क्रिया की संतुष्टि देना हो तो पेनिट्रेशन सेक्स क्रिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस समय पेनिट्रेशन द्वारा सेक्स क्रिया करना महिला के दर्द के लिए असुरक्षित हो सकता है। इसलिए इस समय महिला को सेक्स संतुष्टि देने के लिए ओरल सेक्स का प्रयोग किया जाता है। ओरल सेक्स करो महिलाओं को संतुष्ट करने के लिए निम्नलिखित तरीके बनाए जा सकते हैं।
- महिलाओं को पुरुषों द्वारा ओरल सेक्स देने के लिए मुंह तथा जीभ का प्रयोग किया जाता है।
- अपने मुंह से पुरुष महिला के शरीर को चूमता है।
- महिला के स्तनों को चूसता है।
- अपनी जीभ द्वारा पेनिट्रेशन करता है।
- जीभ से महिला के सेक्सुअल पार्ट को चाटता है।
- योनि में जीभ द्वारा पेनिट्रेशन करने के लिए विभिन्न प्रकार के कंडोम उपलब्ध हैं।
- ओरल सेक्स करने के लिए डेंटल डैम कंडोम का प्रयोग किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान इन सेक्स पोजिशन्स को ट्राई ना करें
महिलाओं में गर्भावस्था एक नाजुक परिस्थिति होती है। जिस समय महिलाओं को सुरक्षित रहने की बहुत अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि यदि किसी विशेष प्रकार की चोट तथा धक्का भी लग जाता है, तो गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान हो सकता है, तथा महिला को बहुत अधिक दर्द भी हो सकता है। ऐसी परिस्थितियों में सेक्स क्रिया करना सुरक्षित नहीं होता है, किंतु महिलाओं को मानसिक संतुष्टि प्राप्त करने के लिए सेक्स क्रिया की जाती है, जो करते समय बहुत अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, तथा इसके लिए उपरोक्त बताए गए विभिन्न प्रकार की सेक्स पोजिशन का प्रयोग किया जा सकता है। उपरोक्त बताए गए सभी सेक्सपोजिशन गर्भावस्था के समय सेक्स करने के लिए सुरक्षित हैं। किंतु इनके अलावा कुछ विशेष प्रकार की सेक्स पोजीशन से बचना चाहिए, जो गर्भावस्था के समय महिला के गर्भ को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
गर्भावस्था के समय सेक्स क्रिया करने के लिए सेक्स क्रियाओं को तीन भागों में विभाजित किया गया है। प्रथम तिमाही, द्वितीय तिमाही, तथा तृतीय तिमाही प्रत्येक तिमाही के हिसाब से गर्भावस्था के दौरान सेक्स क्रियाओं को विभाजित किया गया है, तथा इसके दौरान अपनाई जाने वाली पोजीशंस को अलग-अलग प्रयोग करने के लिए बताया गया है। तीनों तिमाहियों के दौरान किसी भी तिमाही की सेक्स पोजीशन दूसरी पहले वाले तिमाही में नहीं करना चाहिए, अर्थात आप पहली तिमाही में किसी भी प्रकार की सेक्स पोजीशन को अपना सकते हैं। किंतु ध्यान रहे कि अधिक तेज तथा उत्तेजना में सेक्स क्रिया नहीं करनी चाहिए, और दूसरे तिमाही की सेक्स क्रिया पहले 3 महीने नहीं करनी चाहिए। तीसरी तिमाही की प्रक्रिया को दूसरी तिमाही में नहीं करना चाहिए तथा अंतिम तिमाही में सेक्स क्रिया करने से बचना चाहिए, और ओरल सेक्स करने के समय सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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गर्भावस्था में सेक्स पोजीशन अपनाने के फायदे तथा नुकशान
गर्भावस्था के दौरान सेक्स क्रिया के लिए विशेष प्रकार के सेक्स पोजीशन अपनाएं जाते हैं। जिनके प्रयोग से गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान सेक्स पोजीशन अपनाए जाते हैं, तो महिलाओं को सेक्स सुख की प्राप्ति होती है। किंतु महिलाओं के गर्भ को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान सेक्स पोजीशन अपनाने के कुछ फायदे तथा नुकसान होते हैं, क्योंकि प्रत्येक जगह पर फायदे के साथ-साथ कुछ न कुछ नुकसान भी होते हैं। इसलिए सेक्स पोजीशन को अपनाने से सेक्स क्रिया के फायदे मिलते हैं। लेकिन कुछ नुकसान भी होते हैं। गर्भावस्था के समय सेक्स पोजीशन अपनाने के फायदे तथा नुकसान निम्नलिखित में
गर्भावस्था के समय सेक्स पोजीशन अपनाने के फायदे
गर्भावस्था के समय सेक्स पोजीशन अपनाकर सेक्स क्रिया करने से महिला को सेक्स संतुष्टि मिलती है तथा महिलाएं तनाव मुक्त होती हैं। महिलाओं को सेक्स सुख प्राप्त होने के कारण उनको प्रेग्नेंसी के समय होने वाले दर्द से राहत मिलती है। अतः गर्भावस्था के समय सेक्स पोजीशन अपनाते हुए सेक्स करने के निम्नलिखित फायदे होते हैं
- मानसिक तनाव में कमी।
- पेल्विक एरिया को मजबूती मिलती है।
- रक्तचाप को अच्छा सामान्य रखता है।
- इम्यून पावर में सुधार आता है।
- प्रेग्नेंसी में सेक्स की इच्छा की पूर्ति।
- गर्भावस्था के समय होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
- सेक्स की पूर्ति होने से ख़ुशी मिलती है।
गर्भावस्था के समय सेक्स पोजीशन अपनाने के नुकसान
गर्भावस्था के समय सेक्स क्रिया करने से महिलाओं को नुकसान होता है। लेकिन यदि महिलाओं को सेक्स क्रिया करने के लिए विशेष प्रकार की सेक्स पोजिशन का प्रयोग किया जाता है। जिनके द्वारा महिलाओं को सेक्स क्रिया करने पर किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है। किंतु गर्भावस्था के समय सेक्स क्रिया करने से कुछ नुकसान होते हैं। जो निम्नलिखित हैं
- गर्भाशय में संकुचन हो सकता है।
- सेक्सुअल इंटरकोर्स करते समय महिलाओं को दर्द हो सकता है।
- योनि तथा गर्भाशय के आसपास दर्द है ऐठन हो सकती है।
- महिलाओं के योनि से ब्लीडिंग हो सकती है।
- एमनियोटिक फ्ल्यूइड का रिसाव हो सकता है।
- गर्भावस्था के समय गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान हो सकता है।
निष्कर्ष
जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो कुछ समय पश्चात उनको सेक्स करने की उत्तेजना बढ़ने लगती हैं। लेकिन गर्भ में किसी प्रकार की समस्या ना हो इसके वजह से वह पुरुषों के साथ संभोग क्रिया नहीं करती हैं, क्योंकि उनके अनुसार यदि सेक्स क्रिया की जाती है, तो गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान हो सकता है, और यदि सामान्य स्तर पर देखा जाए तो किसी भी तरह से यदि आप सेक्स क्रिया करते हैं, तो नुकसान हो सकता है।
लेकिन यदि आप विशेष प्रकार की सेक्स पोजीशन का प्रयोग करते हुए सेक्स क्रिया करते हैं, तो आपके घर भाषा को किसी भी प्रकार की कोई क्षति नहीं होती है, तथा गर्भ में पलने वाला बच्चा भी सुरक्षित रहता है। गर्भावस्था में सेक्स क्रिया करने के लिए गर्भावस्था के समय अपनाई जाने वाली सेक्स पोजीशंस के बारे में आज के लेख में वर्णन किया गया है, जो गर्भावस्था सेक्स की सेक्स पोजीशन की जानकारी के लिए जिस की सहायता से महिलाएं गर्भधारण के समय भी अपनी सेक्स इच्छा की पूर्ति कर सकती हैं, तथा अपने मानसिक तनाव को दूर कर सकते हैं।
FAQ’s
प्रेगनेंसी में कौन से सेक्स पोजिशन सुरक्षित हैं?
प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स क्रिया करने के लिए विभिन्न प्रकार की सेक्स पोजीशंस का प्रयोग किया जाता है। जिनके द्वारा गर्भावस्था के समय भी सुरक्षित सेक्स किया जा सकता है। गर्भ में पल रहे बच्चे को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित सेक्स करने के लिए अलग-अलग समय के अनुसार अलग-अलग सेक्स पोजीशन होते हैं। इनको पहली तिमाही दूसरी तिमाही तथा तीसरी तिमाही में अलग-अलग विभाजित किया गया है। गर्भावस्था के समय अनुसार सेक्स पोजीशंस का प्रयोग किया जाता है। अलग-अलग समय में अलग-अलग सेक्स पोजीशन के लिए उपरोक्त लेख का अध्ययन करने की आवश्यकता है, जिसके द्वारा आप को पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।
गर्भावस्था के समय कैसे संबंध बनाना चाहिए?
गर्भावस्था के समय शारीरिक संबंध स्थापित करने के लिए विशेष प्रकार के सेक्स पोजीशन को अपनाया जा सकता है, जिनके द्वारा सुरक्षित सेक्स किया जा सकता है। अलग-अलग समय में अलग-अलग प्रकार की सेक्स पोजीशन को अपनाकर गर्भावस्था के समय पूर्ण रूप से सुरक्षित सेक्स करना महिलाओं के लिए सुरक्षित होता है, जिससे उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर कोई असर नहीं पड़ता है, तथा उन्हें सेक्स का आनंद मिलता है। जिससे उनकी मानसिक तनाव दूर होता है उन्हें खुशी मिलती है।
Is sex during pregnancy safe? गर्भावस्था के समय सेक्स क्रिया करना क्या सुरक्षित है?
बिना किसी सुरक्षित तरीके से सेक्स करना प्रेग्नेंसी के समय सुरक्षित नहीं है प्रेग्नेंसी के समय सेक्स क्रिया करने के लिए विशेष प्रकार की सेक्स पोजीशन का प्रयोग करना चाहिए, जो गर्भावस्था के समय सुरक्षित तरीके से सेक्स का आनंद प्रदान कराती हैं। यदि आप भी गर्भावस्था के समय सेक्स क्रिया करना चाहती हैं, तो गर्व के समय के अनुसार विशेष प्रकार की सेक्स पोजीशन का सहारा ले सकती हैं। जिनके द्वारा आपको सेक्स क्रिया का पूर्ण आनंद प्राप्त होगा।
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