सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज जिससे शरीर से प्रत्येक गाँठ होगी गायब

सिस्ट जिसे हम गांठ के नाम से जानते हैं, या इसे पुटि भी कहा जाता है। सिस्ट हमारे शरीर में कहीं ना कहीं जरूर पाए जाते हैं, ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के जीवन काल में उसके शरीर के अंदर विभिन्न प्रकार के सिस्ट पाए जाते हैं। यह सिस्ट हमारे शरीर में पूरे जीवन काल बने रहते हैं, इनमें से कुछ ही सिस्ट ऐसे होते हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं तथा हमारे लिए जानलेवा होते हैं। शरीर में विभिन्न प्रकार के सिस्ट से बचने के लिए आज हम आपको सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज की जानकारी उपलब्ध कराएंगे जिससे आप सिस्ट की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

आधुनिक समय में महिलाओं के अंडाशय में होने वाले सिस्टम बहुत ही गंभीर होते हैं, जिनके कारण महिलाएं पीसीओडी की समस्या का सामना करती है, जिसके कारण महिलाएं अपने पूरे जीवन काल में मां बनने का सपना नहीं पूरा कर सकती है क्योंकि महिलाओं के अंडाशय में सिस्ट की समस्या होने के कारण अंडो का निर्माण नहीं हो पाता है, जिसके कारण महिलाओं को पीरियड के समय तथा सेक्स क्रिया के समय दर्द का सामना करना पड़ता है।

आधुनिक समय में बदलती जीवन शैली तथा खान-पान के कारण हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिनका कोई कारण या वास्तविक मतलब नहीं होता है। ऐसी ही परिस्थितियों में आजकल महिला तथा पुरुषों के शरीर के विभिन्न अंगों में सिस्ट या गांठ देखने को मिलती है। अधिकतर मामलों में यह गांठ शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं होती है, किंतु कुछ परिस्थितियों में यह कैंसर जैसी बीमारियों का कारण भी बनती है। इसलिए किसी प्रकार की समस्या ना होने पर भी शरीर में उत्पन्न हुई सिस्ट  या गांठ को ठीक करना बहुत ही अनिवार्य होता है, जिससे आप दर्द तथा कैंसर जैसी समस्याओं से बचे रह सकते हैं। 

सिस्ट क्या है? 

सिस्ट क्या है

सिस्ट हमारे शरीर में पाया जाने वाला एक अवांछित पुटि या गांठ होती है, जो शरीर के अंदर किसी भी अंग में हो सकती है। हमारे शरीर के अंदर विभिन्न अगों में एक झिल्ली के अंदर कुछ द्रव तथा कोशिकाएं एकत्रित हो जाती है, जो एक थैली का रूप ले लेती है, जिसके अंदर कोशिकाएं तथा तरल पदार्थ उपस्थित होता है।

यह सिस्ट कभी-कभी पूरे जीवन काल हमारे शरीर के अंदर ऐसे ही पड़े रहते हैं, किंतु कभी-कभी कुछ समय पश्चात यह फट जाते हैं, जिसके कारण शरीर के विभिन्न अंगों में संक्रमण भी हो सकता है। यदि सिस्ट हमारे शरीर के अंदर फट जाता है, तो हमारे शरीर में कैंसर जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है, या फिर इंफेक्शन के कारण शरीर में दर्द तथा अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। इसलिए शरीर में उत्पन्न हुए किसी भी सिस्ट या गांठ को अनदेखा न करें, यह किसी प्रकार के कैंसर का प्राथमिक स्तर भी हो सकता है।

सिस्ट के प्रकार

जैसा कि आप जानते हैं कि सिस्ट या गांठ हमारे शरीर के किसी भी अंग में हो जाती है, हमारे शरीर की कोशिकाओं के अनियंत्रित हो जाने के कारण होती है। सामान्य तौर पर यह गांठे हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं होती है, और हमारे शरीर में पूरे जीवन काल ऐसे ही पड़ी रहती हैं, किंतु कुछ परिस्थितियों में इनका आकार धीरे-धीरे बढ़ता रहता है और अंत में यह फट जाते हैं, जिसके कारण शरीर में कुछ परिस्थितियों में नुकसान हो सकता है, या फिर कैंसर जैसी परिस्थितियों के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। अधिकतर मामलों में सिस्ट कुछ समय पश्चात ठीक हो जाते हैं। शरीर के अंगों के अनुसार सिस्ट को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है

  • फ़ोलिकल सिस्ट।
  • कार्पस लुटियम सिस्ट।
  • डरमोईड सिस्ट।
  • सिस्टाडेनोमास सिस्ट। 
  • एडोमेट्रियमोमास सिस्ट। 
  • पोलिस्टिक ओरियन सिंड्रोम।

फ़ोलिकल सिस्ट

फ़ोलिकल सिस्ट

जब महिलाओं में मासिक चक्र का समय होता है, तो फॉलिकल थैली में अंडों का विकास होता रहता है, और मासिक धर्म के दौरान फॉलिकल थैली फट जाती है, और अंडाशय से अंडे रिलीज होकर गर्भाशय में पहुंते हैं किंतु कभी-कभी अंडो का निर्माण करने वाली फॉलिकल थैली नहीं फटती है, जिसके कारण अंडे रिलीज नहीं होते हैं, और अंडाशय में यह बढ़ने लगती है और इसके अंदर फ्लूड तथा कोशिकाएं एकत्रित होकर एक गांठ या सिस्ट बना देते हैं।

सामान्य तौर पर अंडाशय में होने वाली यह सिस्ट या गांठ अपने आप ठीक होने लगती है, किंतु कभी-कभी यह ठीक नहीं होती है तथा अंडों के निर्माण में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे महिलाओं में पीरियड तथा सेक्स क्रिया के समय दर्द की समस्या उत्पन्न होने लगती है। महिलाओं के अंडाशय में फॉलिकल सिस्ट के कारण पेट के निचले हिस्से में दर्द, सेक्स का पीरियड के समय असहनीय पीड़ा तथा महिलाओं में बांझपन की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

कार्पस लुटियम सिस्ट 

कार्पस लुटियम सिस्ट 

महिलाओं के अंडाशय में अंडों का निर्माण फॉलिकल थैली में होता है। मासिक धर्म के दौरान जब अंडे बड़े हो जाते हैं तो फॉलिकल थैली फट जाती है और अंडे बाहर निकल जाते हैं। मासिक धर्म के दौरान अंडों के निकालने के पश्चात फॉलिकल थैली भी निकल जाती है, किंतु कभी-कभी पीरियड्स के पश्चात फॉलिकल थैली नहीं निकलती है, जिसके कारण उस थैली में अतिरिक्त द्रव एकत्रित हो जाता है। फॉलिकल थैली में एकत्रित हुआ यह अतिरिक्त द्रव सिस्ट का कारण बनता है, जिसके कारण अंडाशय में कार्पस लुटियम नामक सिस्ट उत्पन्न हो जाता है। अधिकतर मामलों में यह सिस्ट अगले पीरियड के दौरान अंडों के साथ निकल जाता है, किंतु कुछ परिस्थितियों में यह बढ़ने लगता है और पेट में दर्द सेक्स तथा पीरियड्स के समय होने वाले दर्द का कारण बन सकता है। 

डरमोईड सिस्ट

डरमोईड सिस्ट

डरमोईड सिस्ट हमारे शरीर के ऊपरी हिस्से में सामान्य रूप से दिखाई देते हैं, जिनके अंदर मास या द्रव एकत्रित हो जाता है। सामान्य रूप से किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है, तथा शरीर को यह किसी प्रकार के नुकसान नहीं पहुंचाते हैं तथा कुछ समय पश्चात यह अपने आप ठीक हो जाते हैं, किन्तु कुछ परिस्थितियों में डरमोईड सिस्ट धीरे-धीरे बढने लगते हैं और कैंसर जैसी परिस्थितियां उत्पन्न कर देते है। इनके ऊपर सामान्य रूप से  त्वचा, बाल, आदि उपस्थित होते हैं तथा ऊपरी सतह पर यह सामान्य त्वचा की तरह गांठ जैसी संरचना मैं दिखाई देती हैं, जिन्हें डरमोईड सिस्ट के नाम से जाना जाता है। 

एडोमेट्रियमोमास सिस्ट

एडोमेट्रियमोमास सिस्ट

एडोमेट्रियमोमास सिस्ट फ़ोलिकल सिस्ट का रूप होता है, जिसमें जब फ़ोलिकल सिस्ट अंडाशय से निकलकर गर्भाशय में पहुंच जाता है और अपना विकास करने लगता है, तो इसे एडोमेट्रियमोमास सिस्ट के नाम से जाना जाता है। ऐसी स्थिति में यूटरन एंडोमेट्रियल कोशिका गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है, कभी-कभी या शरीर के लिए प्राणघातक भी हो सकता है, किंतु अधिकतर परिस्थितियों में यह गर्भाशय में बढ़ता रहता है और सेक्स तथा पीरियड्स के समय दर्द का कारण बनता है। एडोमेट्रियमोमास सिस्ट कभी-कभी सेक्स के दौरान क्षतिग्रस्त हो जाता है और टूट जाता है जिससे सेक्स के दौरान तथा पेट में अधिक दर्द उत्पन्न हो जाता है।

पोलिस्टिक ओरियन सिस्ट

पोलिस्टिक ओरियन सिस्ट सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज

आजकल के बदलती लाइफस्टाइल के कारण महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते रहते हैं, जिसके कारण महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का श्रावण होने लगता है जिसके कारण महिलाओं के शरीर में विभिन्न प्रकार के शारीरिक परिवर्तन होते हैं। शारीरिक परिवर्तन होने के कारण महिलाओं के अंडाशय में पुरुष हार्मोन बढ़ने के कारण पीरियड्स में प्रभाव पड़ता है जिसके कारण अंडे रिलीज ना होने के कारण अंडाशय के अंदर एक सिस्ट बन जाता है, जिसे ओरियन सिस्ट कहा जाता है। यह महिलाओं के शरीर में पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या के कारण बनता है। महिलाओं के शरीर में बनने वाले इस ओरियन सिस्ट के कारण पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, और महिलाओं को विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं। 

ओवेरियन सिस्ट के लक्षण

ओवरी सिस्ट या अंडाशय में सिस्ट महिलाओं के अंडाशय में बनने वाले सिस्ट होते हैं, जो बंद थैली नुमा आकृति से होते हैं। इनके अंदर तरल पदार्थ भरा होता है, अंडाशय महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का हिस्सा होते  है, यह गर्भाशय के दोनों तरफ पेट के निचले हिस्से में होते हैं। इनकी संख्या 2 होती है जो अंडे के साथ ही साथ एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निर्माण करते हैं। ओवरी सिस्ट के तब तक कोई लक्षण या संकेत नहीं दिखते जब तक वह अधिक बड़े ना हो जाए। अधिकतर ओवरी सिस्ट कैंसर का कारण नहीं होते हैं, किन्तु इसका उपचार कराना बहुत जरूरी होता है। ओवेरियन सिस्ट के निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं 

  • महिला को अनियमित पीरियड्स।
  • महिलाओ का अचानक वजन बढ़ना।
  • शरीर पर अधिक बाल उगना।
  • महिला का भावनात्मक उथल-पुथल होना। 
  • बेवजह चिड़चिड़ापन दिखाना।
  • बच्चा कंसीव न कर पाना।
  • महिला के शरीर,चेहरे, गर्दन, छाती, जांघों पर धब्बे पड़ जाना।
  • स्किन ऑयली होना।
  • बालों में डैंड्रफ की समस्या होना।
  • चेहरे पर मुंहासे की समस्या होना।

ओवेरियन सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज

आधुनिक समय में ओवेरियन सिस्ट महिलाओं के गर्भाशय होने वाली एक बहुत बड़ी समस्या है, जिसके कारण महिलाओं का जीवन तबाह होने लगा है। आधुनिक समाज में महिलाओं में होने वाले शारीरिक परिवर्तन के कारण पुरुष हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है, जिसके कारण महिलाओं ने विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं के साथ और ओवेरियन सिस्ट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। इन समस्याओं को ठीक करने के लिए आज कल होम्योपैथिक दवाओं का सहारा लिया जा रहा है।

होम्योपैथिक दवाओं द्वारा शरीर में उपस्थित ओरियन सिस्ट, किडनी सिस्ट तथा अन्य विभिन्न प्रकार के शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले सिस्ट की समस्या को ठीक किया जा सकता है। इसलिए आज हम आपको ओवेरियन सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज के साथ-साथ किडनी सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज के बारे में जानकारी देंगे, जिसके द्वारा आप बड़ी आसानी से शरीर में होने वाले सिस्ट का इलाज कर सकते हैं। सिस्ट का इलाज करने के लिए निम्नलिखित दवाओं का प्रयोग किया जाता है 

ओवेरियन सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज की दवा 

  • एपिस मेलिफिका (Apis Mellifica)
  • लैकेसिस म्युंटस (Lachesis Mutans)
  • बोलाडोना (Belladonna)
  • कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
  • ग्रेफाईट (Graphite)
  • लाईकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)
  • पल्सेटिला निग्रिकान्स (Pulsatilla Nigricans)
  • आर्सेनिक एलम (Arsenicum Album)
एपिस मेलिफिका (Apis Mellifica)

एपिस मेलिफिका (Apis Mellifica)

जब महिलाओं के शरीर में ओरियन सिस्ट की समस्या होती है, तो महिलाओं के शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन दिखाइ देते हैं। महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं तथा उन्हें पीरियड्स के समय बहुत अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है। जब महिलाओं के गर्भाशय या अंडाशय में किसी प्रकार का सिस्ट उत्पन्न होता है, तो महिलाओं के पीरियड तथा शारीरिक क्रियाएं अनियमित हो जाती हैं। कभी-कभी प्रोजेस्टेरोन हार्मोन अनियमित हो जाता है, तथा पुरुष हार्मोन का श्रावण बढ़ जाता है, जिसके कारण महिलाओं में पीरियड के समय बहुत अधिक दर्द सा होता है।

यह समस्या पीसीओएस या पीसीओडी कहलाती है इस प्रकार के सिस्ट का इलाज करने के लिए एपिस मेलिफिका नामक होम्योपैथिक दवा का प्रयोग किया जाता है। जिसको हनी बी के सामान्य नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं के शरीर में होने वाली निम्नलिखित समस्याओं के लिए हनी बी अथवा एपिस मेलिफिका होम्योपैथिक दवा का प्रयोग किया जा सकता है। यह दवा किडनी में सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज में भी प्रयोग की जा सकती है। यदि महिलाओं के शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप इस दवा का प्रयोग कर सकते

  • महिलाओं के दोनों अंडाशय में से किसी एक में अंडो का जमा होना।
  • पेट के निचले हिस्से में अत्यधिक दर्द का होना। 
  • अंडाशय और गर्भाशय वाले क्षेत्र जकड़न महसूस करना। 
  • पीरियड के दौरान अंडाशय में कांटे जैसी चुभन होना।
  • सिर दर्द था आंखों की समस्या होना।
  • पीरियड का बहुत कम आना।
  • जाँघों में सुन्न तथा दर्द का होना।
  • भूख तथा प्यास का कम लगना।
  • अल्ट्रासाउंड के दौरान अंडाशय में सिस्ट का होना।
लैकेसिस म्युंटस (Lachesis Mutans)

सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज लैकेसिस म्युंटस (Lachesis Mutans)

लैकेसिस म्युंटस होम्योपैथिक दवा है, जिसका प्रयोग गर्भाशय में सिस्ट जैसी समस्या के साथ-साथ अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। जब महिलाओं में गर्भाशय तथा अंडाशय के क्षेत्र में किसी प्रकार का सिष्ट उत्पन्न होता है, तो वह महिलाओं के लिए समस्या का कारण बन सकता है इसलिए शरीर के किसी अंग में उत्पन्न हो गए सिस्ट को ठीक करना बहुत ही आवश्यक होता है।

शरीर में उत्पन्न हुए सिस्ट को ठीक करने के लिए लैकेसिस म्युंटस नामक होम्योपैथिक दवा का प्रयोग किया जाता है, जिसे सामान्य रूप से बुशमास्टर स्नेक के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा शरीर में किसी भी अंग पर हुए सिस्ट को आसानी से ठीक कर सकती है। इस दवा का प्रयोग बहुत अधिक धार्मिक,  शक्की स्वभाव, तथा वहम की स्थिति को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। सिस्ट के अलावा यदि निम्नलिखित लक्षण भी शरीर में दिखाई देते हैं, तो लैकेसिस म्युंटस होम्योपैथिक दवा का प्रयोग किया जा सकता है।

  • चोट लगने पर खून आसानी से बहने की स्थिति को रोकने के लिए।
  • अंडाशय में किसी प्रकार का सिस्ट या गांठ होने की समस्या को ठीक करने के लिए।
  • मासिक धर्म बहुत कम होने की समस्या के लिए।
  • मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द होने की स्थिति को ठीक करने के लिए।
  • स्तन ग्रंथियों का नीला होना तथा स्तनों में जमाव महसूस होने की स्थिति को ठीक करने के लिए।
  • सुबह के समय महिलाओं में उदासी तथा दुःख की स्थिति को दूर करने के लिए।
  • महिलाओं के दिमाग से शक तथा वहम की स्थिति को मिटाने के लिए।
बोलाडोना (Belladonna)

बोलाडोना (Belladonna)

बोलाडोना एक होम्योपैथिक औषधीय है जिसका प्रयोग महिलाओं में पीरियड से संबंधित विभिन्न समस्याओं को ठीक करने तथा शरीर में होने वाले सिस्ट तथा गांठ को ठीक करने के लिए किया जाता है। यदि महिलाओं के गर्भाशय तथा अंडाशय के साथ-साथ किया इसके अलावा शरीर के किसी भी अंग में गांठ की समस्या है, तो इसके इलाज के लिए बोलाडोना नामक होम्योपैथिक दवा का प्रयोग किया जाता है जिसे डेडली नाइटशेड के सामान्य नाम से भी जाना जाता है। यह शरीर में होने वाले सिस्ट तथा गांठ जैसी समस्याओं को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाती है, सिस्ट तथा गांठ की समस्या के साथ-साथ यह दवा अन्य निम्नलिखित समस्याओं को ठीक करने के लिए भी प्रयोग की जाती है।

  • महिलाओं के ब्रेस्ट में भारीपन तथा दर्द काअनुभव होना। 
  • महिलाओं के अंडाशय में तथा गर्भाशय के क्षेत्र में बहुत अधिक दर्द का अनुभव होना।
  • योनि से गर्म तरल पदार्थ का रिसाव का अनुभव होना।
  • शरीर में हिलने डुलने पर दर्द का अनुभव होना।
  • पीरियड्स के समय गहरे लाल के खून का अधिक निकलना।
  • दाहिने अंडाशय में बाय अंडाशय से अधिक दर्द का अनुभव होना।
  • जननांगों का अचानक बढ़ जाना तथा मांसपेशियों का ढीला हो जाना।
  • ब्रैस्ट की निप्पल पर लाल रंग की दर्दनाक धारियां दिखाई देना।
  • पीरियड्स के समय पीरियड में आने वाले रिसाव से दुर्गंध आना।
कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)

सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)

कैल्केरिया कार्बोनिका का प्रयोग शरीर से गांठ तथा शिष्ट की समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह एक होम्योपैथिक दवा है जिसे हम कार्बोनेट ऑफ लाइन के सामान्य नाम से भी जानते हैं। जब हमारे शरीर में किसी भी अंग पर सिस्ट की समस्या होती है, तो कैल्केरिया कार्बोनिका  का प्रयोग सिस्ट को ठीक करने के लिए किया जाता है। कैल्केरिया कार्बोनिका का प्रयोग ओवेरियन सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज के साथ-साथ किडनी में सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज के रूप में किया जाता है। कैल्केरिया कार्बोनिका का प्रयोग सिस्ट के अलावा अन्य विभिन्न प्रकार के समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। जो निम्नलिखित हैं

  • मासिक धर्म के दौरान पेट में अचानक दर्द तथा सर दर्द की समस्या को ठीक करने के लिए।
  • डर, चिंता, भूलना, उलझना, तथा कामना करने की इच्छा की समस्या को ठीक करने के लिए।
  • टॉन्सिल ग्रंथि में सूजन को ठीक करने के लिए।
  • महिलाओं में पीरियड्स जल्दी होना तथा पीरियड्स में अधिक खून आने की समस्या को ठीक करने के लिए।
  • पीरियड्स प्रारंभ होने के पहले स्तनों में अधिक भारीपन दर्द महसूस होना।
  • पीरियड्स के समय तथा पीरियड के बाद पेट के निचले हिस्से में दर्द का होना। 
  • शरीर में पोषण की कमी के कारण हुई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए।
  • पीरियड से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याओं का अचानक शुरू तथा बंद हो जाना।
ग्रेफाईट (Graphite)

सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज ग्रेफाईट (Graphite)

ग्रेफाईट नामक होम्योपैथिक दवा का प्रयोग शरीर में सिस्ट तथा गांठ की समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता है, जिन महिलाओं तथा पुरुषों में शरीर के किसी अंग में गांठ की समस्या होती है या सिस्ट अथवा पुटि हो जाते हैं, तो डॉक्टर द्वारा ग्रेफाईट जिसे हम ब्लैक लेड या प्लंबेगो किस सामान्य नाम से भी जानते हैं, का प्रयोग किया जाता है। शरीर में सिस्ट की समस्या के कारण कैंसर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए शरीर के किसी भी अंग में होने वाले सिस्ट को ठीक करना बहुत ही आवश्यक होता है। आधुनिक समय में महिलाओं के अंडाशय तथा गर्भाशय में सिस्ट की समस्या बहुत अधिक देखने को मिलती है, जिसके कारण महिलाओं को विभिन्न प्रकार की शारीरिक तथा सेक्स समस्याएं होती हैं।

इसलिए शरीर के किसी भी अंग में सिस्ट की समस्या के लिए डॉक्टर की सलाह पर ग्रेफाईट नामक होम्योपैथिक दवा का प्रयोग किया जा सकता है। सिस्ट के अलावा निम्नलिखित समस्याओं के लिए भी ग्रेफाईट का प्रयोग किया जाता है।

  • महिलाओं के पेट में दर्द के कारण पेट फटने जैसी समस्या को ठीक करने के लिए।
  • त्वचा संबंधी विभिन्न समस्याओं को ठीक करने के लिए।
  • महिलाओं में पीरियड्स के समय आवाज भारी होना, जी मिचलाना, तथा नाक बहना व जुकाम जैसी समस्याओं के लिए।
  • महिलाओं के स्तन भारी तत्व बहुत अधिक डाइट महसूस होने पर।
  • महिलाओं में स्तनों पर छाले होना तथा निप्पल ओं का फट जाना व दर्द की समस्या के लिए। 
  • महिलाओं में पीरियड्स का लंबे समय तक होना।
  • पेट में कब्ज जैसी समस्याओं के लिए।
  • पीरियड्स के समय हल्के रंग का खून का बहुत अधिक आना। 
लाईकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)

सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज लाईकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)

लाईकोपोडियम क्लैवाटम एक प्रकार की होम्योपैथिक औषधि है, जो शरीर में सिस्ट या गांठ जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए प्रयोग की जाती है। लाईकोपोडियम क्लैवाटम को हम क्लब मास के नाम से भी जानते हैं। इसका प्रयोग किडनी के सिस्ट की होम्योपैथिक दवा के रूप में भी किया जाता है, साथ ही साथ अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याओं को ठीक करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर लाईकोपोडियम क्लैवाटम का प्रयोग करते हैं। यदि आपको निम्नलिखित में से कोई समस्या है, तो आप डॉक्टर की सलाह पर लाईकोपोडियम क्लैवाटम होम्योपैथिक दवा का प्रयोग कर सकते हैं।

  • लीवर की समस्या होना या बहुत अधिक भूख लगना की समस्या के लिए।
  • पेट में बहुत अधिक पर इसका करना जिसके कारण पेट फूलने जैसी समस्या के लिए।
  • मल करते समय मलद्वार से या फिर योनि मार्ग से खून का निकलने की समस्या के लिए।
  • दाहिनी ओर के अंडाशय में अत्यधिक दर्द की समस्या के लिए।
  • योनि मार्ग में जलन तथा अत्यधिक सूखेपन की समस्या को दूर करने के लिए।
  • योनि मार्ग से आने वाले वाइट डिस्चार्ज की समस्या को दूर करने के लिए।
  • पीरियड्स देर से प्रारंभ होकर देर तक चलना तथा पीरियड्स के समय अधिक रक्त का स्राव होना।
  • उपरोक्त समस्याओं का शाम के समय अधिक बढ़ने के कारण।
पल्सेटिला निग्रिकान्स (Pulsatilla Nigricans)

सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज पल्सेटिला निग्रिकान्स (Pulsatilla Nigricans)

Pulsatilla Nigricans एक होम्योपैथिक औषधि है जिसका प्रभाव शिष्ट की समस्या को ठीक करने के लिए किया जाता है, इसे विंडफ्लावरके नाम से भी जाना जाता है। एक अध्ययन में पल्सेटिला निग्रिकान्स का प्रयोग 36 महिलाओं में ओरियन सिस्ट को ठीक करने के लिए किया गया, जिसमें के 30 महिलाएं इस दवा के प्रयोग के पश्चात पूरी तरह से ठीक हो गई, इसलिए यह दवा ओरियन सिस्ट के साथ-साथ शरीर के अन्य विभिन्न अंगों में होने वाले सिस्ट तथा गांठ की समस्या को दूर कर सकती हैं।

इस का प्रयोग डॉक्टर द्वारा सिस्ट के साथ-साथ अन्य विभिन्न समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। यदि आपके शरीर में सिस्ट या गांठ जैसी कोई समस्या है, तो आप डॉक्टर की सलाह पर पल्सेटिला निग्रिकान्स का प्रयोग कर सकते हैं तथा निम्नलिखित समस्याओं को ठीक करने के लिए भी इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है।

  • प्यास ना लगने की समस्या को दूर करने के लिए।
  • पीठ दर्द तथा थकान की समस्या को दूर करने के लिए।
  • महिलाओं में पीरियड्स के दौरान ठंड लगने की समस्या को दूर करने के लिए।
  • महिलाओं में पीरियड्स के दौरान गाढ़ा थक्केदार खून की समस्या को ठीक करने के लिए।
  • प्रत्येक माहवारी में खून की समस्या एक जैसी ना होने की स्थिति में।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने की स्थिति में।
  • पीरियड देर से तथा कम होने की समस्या को ठीक करने के लिए। 
  • पीरियड से पहले तथा पीरियड्स के दौरान दस्त की समस्या को ठीक करने के लिए।
आर्सेनिक एलम (Arsenicum Album)

सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज आर्सेनिक एलम (Arsenicum Album)

आर्सेनिक एलम इस प्रकार की होम्योपैथिक औषधि है, जिसे हम आर्सेनिक ऑक्साइड के नाम से जानते हैं। आर्सेनिक एलम हमारे शरीर में बनने वाले विभिन्न प्रकार के सिस्ट तथा गांठ के समस्या को दूर करती है इसलिए शरीर में होने वाली विभिन्न प्रकार की गांठ तथा सिस्ट की समस्या को ठीक करने के लिए डॉक्टर द्वारा आर्सेनिक एलम नामक होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। सिस्ट तथा गांठ की समस्या के अलावा आर्सेनिक एलम का प्रयोग विभिन्न प्रकार के समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। यदि आपको शरीर के किसी अंग में गांठ तथा सिस्ट की समस्या को ठीक करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर आर्सेनिक एलम का प्रयोग कर सकते हैं। आर्सेनिक एलम का प्रयोग अन्य निम्नलिखित समस्याओं के लिए किया जा सकता है।

  • महिलाओं के पेट तथा दाहिने अंडाशय में अत्यधिक दर्द की समस्या को ठीक करने के लिए।
  • पेट तथा अंडाशय में दर्द के दौरान बेचैनी उत्पन्न होने की स्थिति को ठीक करने के लिए।
  • थोड़ी थोड़ी देर में बहुत अधिक प्यास लगने की समस्या को ठीक करने के लिए।
  • खाने को देखने तथा सूंघने से ही मितली या उल्टी आना।
  • जांघ तथा पेट में बहुत अधिक दर्द होने की स्थिति में।
  • त्वचा तथा चेहरे पर बहुत अधिक मुहांसों को ठीक करने के लिए।
  • पीरियड जल्दी होना तथा पीरियड के दौरान अधिक खून आने की स्थिति को ठीक करने के लिए।
  • थोड़ा सा काम करने के पश्चात बहुत अधिक थकान महसूस होने की स्थिति में।

निष्कर्ष

आधुनिक समय में हमारे शरीर में किसी ना किसी उम्र में गांठ तथा सिस्ट की समस्या जरूर हो जाती है, हमारे शरीर में होने वाले ये सिस्ट कभी-कभी नुकसानदायक होते हैं, किंतु ज्यादातर मामलों में हमारे लिए नुकसानदायक नहीं होते हैं और वह पूरे जीवन हमारे शरीर में ऐसे ही पड़े रहते हैं। किंतु कुछ सिस्ट समय के साथ साथ बढ़ते रहते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं इसलिए सिस्ट का इलाज कराना बहुत ही आवश्यक होता है।

आधुनिक समय में विभिन्न प्रकार की दवाओं के साथ-साथ सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज उपलब्ध है, जिसके द्वारा सिस्ट को समाप्त किया जा सकता है। उपरोक्त लेख में ओवेरियन सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज के साथ साथ किडनी सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई गई है, तथा विभिन्न प्रकार की होम्योपैथिक दवाओं के बारे में बताया गया है तो यदि आपको भी सिस्ट से संबंधित किसी प्रकार की समस्या है तो आप डॉक्टर की सलाह पर उपरोक्त दवाओं का सेवन कर सकते।

लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्न

क्या सिस्ट का इलाज होम्योपैथी से किया जा सकता है?

हमारे शरीर में उत्पन्न अनैच्छिक तथा आप्राकृतिक संरचना होती है जो हमारे शरीर के किसी भी अंग में उत्पन्न हो सकती है। सिस्ट में एक झिल्ली नुमा संरचना के अंदर कोशिकाएं तथा द्रव एकत्रित हो जाने के कारण बनते हैं, जो कभी-कभी हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते है। आधुनिक समय में विभिन्न प्रकार की दवाओं द्वारा सिस्ट का इलाज किया जाता है। आज के समय में सिस्ट का होम्योपैथिक इलाज भी उपलब्ध है जिसके द्वारा सिस्ट की समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।

सिस्ट कैसे खत्म करें?

सिस्ट को जड़ से समाप्त करने के लिए उपरोक्त लेख में बताई गई विभिन्न प्रकार की होम्योपैथिक दवाओं के द्वारा ही किया जा सकता है। यदि आपको सिस्ट की समस्या है तो आप डॉक्टर की सलाह पर उपरोक्त लेख में बताए गए होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग करते हुए सिस्ट तथा अन्य विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर कर सकते हैं।

लिपोमा के लिए कौन सी होम्योपैथी दवा सबसे अच्छी है?

लिपोमा हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाले एक प्रकार की गांठ या सिस्ट है, जो हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के अंगों में उत्पन्न होते हैं, जिन को ठीक करने के लिए उपरोक्त लेख में विभिन्न प्रकार की होम्योपैथिक औषधियों का वर्णन किया गया है, जिनमें से किसी भी प्रकार की औषधि का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर करने से लिपोमा की समस्या को समाप्त किया जा सकता है। इसलिए यदि आपको लिपोमा की समस्या है तो आप लेख में बताई गई होम्योपैथिक औषधियों का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर कर सकते हैं।

मुझे कितनी होम्योपैथिक गोलियां लेनी चाहिए?

यदि आप किसी के समस्या को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक गोलियों का प्रयोग कर रहे हैं, तो आपको आपके डॉक्टर द्वारा आप की शारीरिक संरचना तथा उम्र व रोग की समस्या के अनुसार आपको गोलियों का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। इसलिए किसी प्रकार की दवा का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और जहां पर आप के शारीरिक संरचना व रोग के इतिहास के अनुसार आपको दवा की मात्रा की  सलाह देते हैं। 

होम्योपैथिक उपाय कब तक के लिए अच्छा है?

यदि आप किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक दवा का प्रयोग कर रहे हैं, तो रोग के ठीक हो जाने  तक आप होमोपैथिक दवा का प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि होम्योपैथिक दवा हमारे शरीर में किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं पहुंचाती है। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से भी परामर्श ले सकते हैं, डॉक्टर आपके रोग के फैलाव के अनुसार आपको दवा का प्रयोग बता देंगे।

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Dr. Pankaj Verma
हमारी टीम ACPP.MD में डॉक्टर पंकज मुख्य चिकित्सक सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं, तथा प्रारम्भिक समय में चिकित्सा के क्षेत्र में इन्होंने नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल गुरुग्राम में चिकित्सक तथा सेक्सोलॉजिस्ट के रूप में कार्य किया है। डॉ पंकज वर्मा ने MD Medicine की डिग्री PGIMER Chandigarh से व डायबिटीज में UK से Fellowship तथा संधिवातीयशास्त्र में PGC की डिग्री USA से किया है, और डॉ पंकज वर्मा ने मनोचिकित्सा और परामर्श में परास्नातक किया हुआ है, वर्तमान समय में पंकज वर्मा अपनी सेवाओं को MBBS डॉक्टर के रूप में AIIMS नई दिल्ली में दे रहे हैं। अपने अनुभव तथा शिक्षा के आधार पर डॉक्टर पंकज वर्मा हमारी टीम ACPP.MD के साथ पिछले कई वर्षों से मुख्य चिकित्सक सलाहकार के रूप में भी कार्यरत हैं, जो समय-समय पर आप सभी के लिए गठिया रोग, गुप्त रोग, तथा मनोचिकित्सा स्वास्थ्य से संबंधित सलाह प्रदान करते हैं, जिनकी सलाह के पश्चात तथा दवाइयां प्रयोग करने से हजारों लोगों ने अपनी बीमारी से संबंधित समस्याएं ठीक की हैं।

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